Thursday 19 March 2015

बड़ी अनोखी है इस 'गब्बर' की वापसी !


गब्बर सिंह का नाम सुन कर १९७५ की हिट फिल्म शोले का डरावना डाकू गब्बर सिंह याद आ जाता है, जिसका नाम लेकर माएं बच्चो को यह कह कर सुलाती थी कि 'सो जा, नहीं तो गब्बर आ जायेगा।' आज वायकॉम १८ मोशन पिक्चर्स का गब्बर भी इसी प्रकार डराने आ रहा है।  पर वह बच्चों को या मासूम लोगों को नहीं, बल्कि घूसखोरों, हरामखोरों और घोटालेबाजों को डराने आ रहा है। लोगों को भ्रष्टाचार के विरुद्ध जगा कर अपनी फिल्म 'गब्बर इस बैक' का प्रचार करने का अनोखा आईडिया है वायकॉम १८ मोशन पिक्चर्सऔर संजयलीला भंसाली का। दस लाख जगहों पर, १५ शहरों और हर आम और ख़ास जगह फिल्म  'गब्बर इज़ बैक' का प्रचार का किया जा रहा है। इरादा 'आमआदमी' तक सन्देश पहुँचाने का है, जो निचले स्तर पर भ्रष्टाचार से परेशान है। यह प्रचार सामग्री एलान करती है- बैड इज़ द न्यू गुड' । संजयलीला भंसाली की कृष निर्देशित फिल्म 'गब्बर इज़ बैक' का गब्बर एक आम आदमी है। इसीलिए इस फिल्म के प्रचार पोस्टरों में दाढ़ी वाली आकृति का रेखांकन तो है, पर वह कौन है साफ़ नहीं किया गया है।  फिल्म में यह आम आदमी अक्षय कुमार हैं, लेकिन पोस्टर आम आदमी के लिए है।  यह चेहरा किसी का भी हो सकता है, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़े। कहते हैं वायकॉम १८ मोशन पिक्चर्स के वाईस प्रेसीडेंट रुद्ररूप दत्ता, "गब्बर नाम मूल गब्बर सिंह का भय पैदा करता है।  हमने इस प्रचार के जरिये चतुराई भरे विज्ञापनपट, मोशन पोस्टर और कुछ दूसरे ब्रांडिंग तैयार किये हैं, जो चेतावनी देते हैं भ्रष्टाचार के खिलाफ। हमारा उद्देश्य निचले स्तर तक पैंठे भ्रष्टाचार के विरुद्ध लोगों को जागृत करने का है। 'गब्बर इज़ बैक' मनोरंजक है, पर सन्देश देने वाली फिल्म है ।  कुछ ऐसा ही हमारा प्रचार भी है।  
आइये जानते हैं वायकॉम १८ ने फिल्म के प्रचार के लिए क्या क्या जुटाया और फैलाया है। फिल्म के प्रचार में मूल गब्बर (शोले के गब्बर सिंह) के संवादों का सहारा लिया गया है। मसलन चाय के कप में लिखा है- चाय पियो, चाय पानी नहीं। पान स्टाल में लगा पोस्टर कहता है- रिश्वत का चूना खाया ! अब गोली खा। 'गब्बर इज़ बैक' के प्रचार की गहराई और फैलाव का अंदाज़ा कुछेक उदाहरणों से लगाया जा सकता है। मुख्य अख़बारों में गब्बर विज्ञापन दिए जा रहे हैं। मुंबई के डब्बावाले पूरी दुनिया में मशहूर हैं। इस प्रचार में ऐसे ३५०० डब्बावालों के ५० हजार डब्बों में पोस्टर चिपकाये गए हैं और डब्बावालों को गब्बर सन्देश वाली टी शर्ट्स पहनाई गई हैं।  २१ शहरों के १० हजार रिक्शा,  ३७० बसों, पूरी डेल्ही की मेट्रो लाइन पर १५ विज्ञापनपट तथा मुंबई मेट्रो पर १० होर्डिंग्स लगाईं गई हैं।  मुंबई रेलवे स्टेशनों के १५० प्लेटफार्म पर विज्ञापनपट लगाये गए। हैं  पश्चिम और सेंट्रल मुंबई की एक एक लोकल ट्रेन की गब्बर ब्रांडिंग कर दी गई है। मुंबई और अहमदाबाद के पेट्रोल पम्पस में ३५ होर्डिंग्स लगाईं गई है। चार शहरों की मेरु कैब्स को भी ब्रांडेड कर दिया गया है। इन सभी में गब्बर की चेतावनी अंकित है। इसके अलावा १३ शहरों के तीन हजार चाय स्टाल और चार हजार पान के खोकों पर सात हजार पोस्टर के साथ गब्बर ब्रांड वाले आठ लाख कप और कप लटकाने वाले १४ सौ डैंगलर भी बांटे गए हैं। रसोई गैस के एक लाख सिलिंडर गब्बर ब्रांड वाले टैग्स लगाए गए हैं। तीन शहरों की कैसेट और सीडीज की दो हजार दुकानों पर एंटी-पायरेसी पोस्टर भी लगाए गए हैं। जिन १७ शहरों के चाय और पान के खोकों में गब्बर टीज़र पोस्टर बांटे गए हैं, वहां के उपलब्ध रेडियो चैनलों पर गब्बर सन्देश बजाया जायेगा । 
एक्शन स्टार अक्षय कुमार की फिल्म 'गब्बर इज़ बैक' १ मई को पूरी दुनिया में रिलीज़ होगी। इस फिल्म में अक्षय कुमार के हैरतअंगेज एक्शन हैं।  करीना कपूर खान विशेष भूमिका में आइटम सांग कर रही हैं। श्रुति हासन पहली बार अक्षय कुमार के साथ रोमांस करेंगी।  सुनील ग्रोवर दर्शकों को हंसाने के लिए हैं।  यानि मनोरंजन का पूरा सामान है।  अब देखना है कि रिलीज़ होने से डेढ़ महीना पहले भ्रष्टाचार पर साधा गया संजयलीला भंसाली और वायकॉम १८ का निशाना 'गब्बर इज़ बैक' एक्शन और मनोरंजन की छौंक के साथ दर्शकों को मनोरंजन के साथ साथ सन्देश दे पाने में कितना सफल होता है। 










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