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Friday 13 September 2019

Subhash Ghai की फिल्म में Anil Kapoor और Jackie Shroff फिर साथ !


फिल्म निर्माता और निर्देशक सुभाष घई, काँची : द अनब्रेकेबल (२०१४) के बाद टांग दी गई अपनी निर्देशक की हैट, २४ अक्टूबर को मुक्ता आर्ट्स की स्थापना के दिन, वापस पहनने जा रहे हैं। इस दिन, जब वह अपनी वापसी फिल्म का शॉट ले रहे होंगे, उस समय कैमरे के सामने अनिल कपूर और जैकी श्रॉफ होंगे। यह, अनिल कपूर, जैकी श्रॉफ और सुभाष घई की तिकड़ी का दस साल बाद पुनर्मिलन होगा।

सुभाष घई के साथ राम लखन
अनिल कपूर और जैकी श्रॉफ ने, सुभाष घई के निर्देशन में आखिरी बार कैमरा फिल्म राम-लखन के लिए फेस किया था। राम-लखन में, अनिल कपूर और जैकी श्रॉफ, छोटे और बड़े भाई बने थे। अनिल कपूर बिगड़ैल और आवारा किस्म के लखन और जैकी श्रॉफ एक पुलिस अधिकारी बने थे। माधुरी दीक्षित और डिम्पल कापड़िया इनके नायिकाएं थे। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बड़ी हिट साबित हुई थी।

सुभाष घई के रामचंद- किशनचंद
इस तिकड़ी की, ३० साल बाद वापसी फिल्म काफी हद तक राम-लखन की सीक्वल फिल्म होगी।  इस फिल्म का टाइटल रामचंद -किशनचंद होगा। यह क्राइम कॉमेडी जॉनर की फिल्म होगी। इस फिल्म में, अनिल कपूर और जैकी श्रॉफ की फिफ्टी प्लस के पुलिस अधिकारियों की भूमिका में नज़र आएंगे । परन्तु, इन दोनों की भूमिकाओं में तड़का राम-लखन वाला ही होगा। फिल्म में नायिकाएं होंगी या नहीं, अभी तय नहीं हुआ है।

क्या आएगा मोड़ ?
अनिल कपूर और जैकी श्रॉफ के करियर को परवान चढाने में सुभाष घई निर्देशित फ़िल्में महत्वपूर्ण हैं। जैकी श्रॉफ को हिंदी फिल्मों का नायक सुभाष घई की फिल्म हीरो ने ही बनाया था। अनिल कपूर को झकास एक्टर बनाने वाली फ़िल्में सुभाष घई की ही थी। सुभाष घई की ताल के बाद निर्देशित फिल्म यादें, किसना : द वारियर पोएट, ब्लैक एंड वाइट, युवराज और काँची : द अनब्रेकेबल फ्लॉप हुई थी। अब पांच साल बाद, अपनी निर्देशित फिल्म रामचंद- किशनचंद में अपने राम-लखन के करियर को क्या मोड़ देते हैं। 

Saturday 8 December 2018

Kate Sharma withdraws complaint against Subhash Ghai


As on 13th October 2018 Kate Sharma posted her allegations against veteran film maker Subhash Ghai on face book and later made a written complaint on the same evening at DN Nagar Police Station, Andheri West, Mumbai   alleging him for misconduct and sexual harassment on 6th August 2018 in his office in front of other guests.

Subhash Ghai denied all her allegations and stated that he has always respected women with dignity and shall always respect and shall continue his support  for women empowerment.

Police took charge of the complaint and investigated the case. Also They enquired with the people present there on the same evening. After police made many efforts to call Kate Sharma at police station she appeared at police station only on  22nd October 2018 with a request to postpone her application and then again she reappeared on 14th Nov  at police station to withdraw  her application against Subhash Ghai  and made a statement that she does not want to  pursue it further for her personal reasons.


On 29th November 2018 after completing the enquiry of entire case police decided to close the case as they found NO SUBSTANCE  in her allegations.  


Rohit Shetty trapped into Spider-Man's Spider-Verse - पढ़ने के लिए क्लिक करें 

Saturday 2 January 2016

बॉलीवुड के लिए प्रतिभाओं की जनवरी

प्रतिभा के लिहाज़ से, बॉलीवुड के लिए जनवरी का महीना फलदार पेड़ की तरह है।  इस महीने प्रतिभाशाली अभिनेता, अभिनेत्रियां और डायरेक्टर मिले।  इनमे से बॉलीवुड के इम्तिहान में कुछ फेल भी हुए और कुछ फर्स्ट क्लास निकले ।  इस महीने पैदा निर्देशकों ने भारतीय सिनेमा को नयापन दिया।  कॉमेडी को नई दिशा दी।  एक्टर्स ने अपने सजीव अभिनय से चरित्रों को अविस्मरणीय बना दिया।
अभिनेत्रियां सेक्सी भी और इमोशनल भी
जनवरी में पैदा अभिनेत्रियां अभिनय  कला के  लिहाज़ से बेजोड़ हैं।  वह ग्लैमरस भी हैं और सेक्सी भी। इन अभिनेत्रीयों ने हिंदी फिल्मों की नायिका को नायक की परछाई से अलग अपनी पहचान दी।  इन अभिनेत्रियों के कारण फ़िल्में बिकती भी हैं और देखी भी जाती हैं।
विद्या बालन- साल के पहले दिन, १ जनवरी १९७९ को पैदा विद्या बालन की पहचान अभिनय सक्षम अभिनेत्री के बतौर हैं। उनका केरल से मुंबई तक का सफर टेलीविज़न से हो कर जाता है। सीरियल  हम पांच की यह नायिका आज परिणीता, डर्टी पिक्चर, कहानी, आदि फिल्मों में अपने कुशल अभिनय से पहचानी जाती हैं। उनको ध्यान में रख कर फ़िल्में लिखी जाने लगी है।
दीपिका पादुकोण- ५ जनवरी १९८६ को जन्मी दीपिका पादुकोण अभिनय और ग्लैमर का संगम हैं।  वह २००७ से लगातार हर साल कम से कम एक हिट फिल्म दे रही हैं। इस साल रिलीज़ फिल्म पीकू और तमाशा में उनके अभिनय की भी प्रशंसा हुई।
बिपाशा बासु- ७ जनवरी १९७९ को जन्मी बिपाशा बासु ने अपनी सेक्स अपील के बल पर ही ए ग्रेड फिल्मों को फतह किया।  उन्होंने इरोटिक थ्रिलर फिल्म जिस्म (२००३) से अपने करियर की शुरुआत की।  ऎसी फिल्मों की अभिनेत्रियां एक ख़ास खांचे वाली फिल्मों के लिए ही उपयुक्त मानी जाती हैं।  लेकिन, बिपाशा बासु ने खुद को इस ठप्पे से बचाते हुए नो एंट्री, फिर हेरा फेरी, रेस, धूम २, कॉर्पोरेट, अपहरण और बचना ऐ हसीनों जैसी बड़े बजट की भिन्न कथानकों वाली फ़िल्में की।
जनवरी  में जन्मी कुछ अन्य अभिनेत्रियो में से एक प्रीटी जिंटा की कभी तूती बोला करती थी।  उन्होंने लगभग हर बड़े सितारे के साथ फ़िल्में की। दक्षिण में अपनी अभिनय प्रतिभा का परचम लहराने के बाद श्रुति हासन और एमी जैक्सन हिंदी फिल्मों को जीतने आ गई हैं।  प्रीटी जिंटा और एमी जैक्सन ३१ जनवरी को पैदा हुई।  श्रुति  हासन ने २८ जनवरी को दुनिया में पहली सांस ली।  इनके अलावा कल्कि कोएच्लिन और पल्लवी शारदा १० जनवरी को, मिनिषा लाम्बा २८ जनवरी और रिया सेन २४ जनवरी को पैदा हुई अभिनेत्रियां हैं।
लाजवाब अभिनय वाले अभिनेता !
क्या यह इत्तेफ़ाक़ है कि अभिनेत्रियों की तरह  जनवरी में बहुमुखी प्रतिभा के अभिनेताओं ने जन्म लिया।  इन अभिनेताओं को अपने अभिनय के बूते हिंदी फिल्मों को नए प्रकार का नायक दिया।  बॉक्स ऑफिस को एक्टर-स्टार दिया। गायक मुकेश के पोते नील नितिन मुकेश ने जॉनी गद्दार से दर्शकों को आकर्षित किया था। उन पर नेगेटिव किरदार ख़ास फबते हैं।  ७ खून माफ़ और डेविड से दर्शकों को अपनी अभिनय प्रतिभा का लोहा मनवाने वाले नील नितिन मुकेश को दक्षिण के दर्शक सुपर हिट फिल्म कठ्ठी के विलेन के बतौर जानते हैं।  श्रेयस तलपडे (२७ जनवरी) और चन्दन रॉय सान्याल (३० जनवरी) लीक से हट कर भूमिकाओं से अपनी पहचान बना चुके हैं।  इनके अलावा आदित्य पंचोली (४ जनवरी), उदय चोपड़ा (५ जनवरी), इमरान खान, अध्ययन सुमन और अश्मित पटेल (१३ जनवरी), सिद्धार्थ मल्होत्रा (१६ जनवरी), सुशांत सिंह राजपूत (२१ जनवरी) और बॉबी देओल (२७ जनवरी) इसी महीने पैदा हुए।
नाना पाटेकर- १ जनवरी १९५१ को जन्मे नाना पाटेकर ने  खुद की पहचान बीआर चोपड़ा की फिल्म 'आज की आवाज़' के विलेन के रूप में बनाई।  अंकुश, तृषाग्नि, सलाम बॉम्बे, आदि कुछ फिल्मों में खुद को हरफनमौला अभिनेता साबित करने वाले नाना पाटेकर ने विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म परिंदा के अन्ना सेठ की भूमिका में दर्शकों की रीढ़ में सिहरन पैदा कर दी। वह प्रहार के नायक और निर्देशक थे।  तिरंगा, क्रांतिवीर, अग्निसाक्षी, टैक्सी नंबर ९२११, ब्लफ मास्टर, वेलकम, आदि उनकी अभिनय प्रतिभा और बॉक्स ऑफिस पर पकड़ को साबित करने वाली फ़िल्में थी।
इरफ़ान खान - नाना  पाटेकर जैसी प्रतिभा ७ जनवरी १९६७ को पैदा इरफ़ान खान में भी नज़र आई। उन्होंने सलाम बॉम्बे से  पीकू और जज़्बा तक खुद की प्रतिभा बार बार साबित की।  इसी का नतीज़ा है कि वह हॉलीवुड फिल्मों में स्वीकार किये गए।  इसी साल उन्हें जुरैसिक वर्ल्ड में देखा गया।
ह्रितिक रोशन- १० जनवरी १९७४ को जन्मे ह्रितिक रोशन सुन्दर सूरत और गठीले शरीर के कारण बॉक्स ऑफिस के पसंदीदा हैं।  वह अपनी अभिनय प्रतिभा से भी फिल्म मिशन कश्मीर, फ़िज़ा, लक्ष्य, गुज़ारिश, ज़िन्दगी न मिलेगी दुबारा और अग्निपथ के दर्शकों को प्रभावित कर चुके हैं। उनकी सिंधु सभ्यता की पृष्ठभूमि पर फिल्म 'मोहन जोदड़ो' की दर्शकों को प्रतीक्षा है।
अलग तरह की फ़िल्में बनाने वाले निर्देशक
जनवरी में ऐसे निर्देशक जन्मे, जिन्होंने बॉलीवुड में मील का पत्थर साबित होने वाली फ़िल्में बनाई।   फिल्मों को उत्कृष्ट तकनीक और गुणवत्ता प्रदान की।  ख़ास बात यह थी कि हर डायरेक्टर की अपनी अलग दृष्टि थी।  इससे हिंदी फिल्म दर्शकों को भिन्न शैली वाली फिल्में देखने को मिली।
फराह खान और फरहान अख्तर- इन दोनों हस्तियों की जन्म की तरीख बेशक ९  जनवरी है।  लेकिन, दोनों की फ़िल्में बनाने की शैली काफी भिन्न है।  फराह खान हलकी फुलकी कॉमेडी, कमोबेश स्पूफ फ़िल्में बनाती हैं। उन्होंने 'मैं हूँ न' और 'हैप्पी न्यू ईयर' जैसी सुपर हिट फ़िल्में बनाई हैं।  वहीँ, फरहान अख्तर दिल चाहता है, लक्ष्य, डॉन और डॉन २ जैसी फिल्मों के निर्देशक हैं।  यह सभी फ़िल्में भिन्न शैली की हैं।  फराह खान ने फिल्म 'शीरीं  फरहाद की तो निकल पड़ी' में नायिका की भूमिका की थी।  फरहान अख्तर के खाते में दर्जन भर दूसरी फिल्मों के अलावा ' भाग मिल्खा भाग' जैसी यादगार फिल्म दर्ज़ है।
रमेश सिपप्पी - २३ जनवरी १९४७ को जन्मे रमेश सिप्पी ने जब 'अंदाज़' और 'सीता और गीता'  जैसी सुपर हिट फिल्मों के ज़रिये बॉक्स ऑफिस पर अपनी पहचान बनाई उस समय वह मात्र २४ साल के थे। दर्शकों की नब्ज़ पहचानने वाल रमेश सिप्पी ने उस दौर में 'शोले' जैसी हिंसक फिल्म का निर्माण किया, जब रोमांटिक फिल्मों का दौर ख़त्म नहीं हुआ था।  लेकिन, शोले जैसी उत्कृष्ट तकनीक वाली फिल्म बना कर, रमेश सिप्पी ने हिंदी फिल्मों को एक्शन धारा की ओर मोड़ा ही, उच्च तकनीक अपनाने के लिए भी प्रेरित किया।
सुभाष घई- २४ जनवरी ९४५ को जन्मे सुभाष घई को राजकपूर के बाद दूसरा शोमैन कहा गया। सुभाष घई की कालीचरण, विश्वनाथ और गौतम गोविंदा से लेकर क़र्ज़ और ताल तक फ़िल्में अपने मधुर संगीत और स्वप्निल भव्य सेट्स के कारण भी जानी जाती हैं। उन्होंने एक्शन फिल्मों के युग में भी हीरो, सौदागर, परदेस और ताल जैसी संगीतमय रोमांस फ़िल्में बनाई।  यह फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल भी हुई।
विक्रम भट्ट- २७ जनवरी १९६९ को जन्मे विक्रम भट्ट ने जनम और गुलाम जैसी हिट फिल्मों से अपने करियर शुरू किया।  लेकिन, उन्हें हॉरर फिल्मों को जीवन देने वाला निर्देशक माना गया हॉरर फिल्म राज़ (२००२)  के बाद।  इस फिल्म ने भट्ट कैंप के लिए फ्रैंचाइज़ी फिल्मों का दरवाज़ा खोल दिया।  फिल्म १९२० के बाद विक्रम भट्ट हॉरर फिल्मों के मसीहा बन गए।  उन्होंने हॉन्टेड फिल्म को ३डी में बना कर हॉरर फिल्मों के लिए भी उत्कृष्ट तकनीक के रास्ते खोल दिए।
प्रियदर्शन- ३० जनवरी १९५७ को जन्मे प्रियदर्शन ने मलयालम फिल्मों से अपने करियर की शुरुआत की।  दो दर्जन से ज़्यादा मलयालम फ़िल्में बनाने के बाद प्रियदर्शन फिल्म 'मुस्कराहट'  से हिंदी फिल्मों में आये।  इस फिल्म ने प्रियदर्शन को हिंदी दर्शको का प्रिय बना दिया।  गर्दिश और विरासत जैसी भिन्न शैली वाली फिल्मों के बाद फिल्म 'हेरा फेरी' (२०००) ने प्रियदर्शन को अलग तरह  की कॉमेडी फ़िल्में बनाने वाले निर्देशक के रूप में स्थापित कर दिया,  जिसकी फ़िल्में संदेसा भी देती थी।  'भूल भुलैया' में प्रियदर्शन कॉमेडी और सुपर नेचुरल पावर का अनोखा मिश्रण कर रहे थे।