सत्तर- अस्सी के दशक में अपनी बढ़िया कॉमेडी से दर्शकों का दिल जीतने वाले देवेन वर्मा नहीं रहे। आज तड़के ह्रदय गति रुक जाने से पुणे के एक हॉस्पिटल में उनका देहांत हो गए। उन्होंने अभी २३ अक्टूबर को अपनी ७७ वां जन्मदिन मनाया था। राजनीति और समाजशास्त्र से स्नातक और पुणे में स्टेज शो से फिल्मों में आने वाले देवेन वर्मा की पहली फिल्म बीआर फिल्म्स की यश चोपड़ा निर्देशित फिल्म धर्मपुत्र १९६१ में रिलीज़ हुई थी। यह फिल्म फ्लॉप हुई। फिर, दो साल बाद बीआर चोपड़ा के निर्देशन में फिल्म गुमराह रिलीज़ हुई। इस फिल्म में उनकी हास्य भूमिका थी। फिल्म हिट हुई। देवेन वर्मा हास्य भूमिकाओं के लिए सुरक्षित कर लिए गए। उन्हें तीन फिल्मों चोरी मेरा काम, अंगूर और चोर के घर चोर के लिए श्रेष्ठ कॉमेडियन का फिल्मफेयर अवार्ड मिला। हालाँकि, देवर फिल्म में उनका सुरेश का नेगेटिव किरदार काफी चर्चित हुआ था। उन्होंने अंगूर फिल्म में संजीव कुमार जैसे बेजोड़ अभिनेता के साथ दोहरी भूमिका की थी। उनकी आखिरी अभिनीत फिल्म मेरे यार की शादी है थी, पर आखिरी रिलीज़ फिल्म कलकत्ता मेल थी, जो २००३ में रिलीज़ हुई थी। देवेन वर्मा के करियर को सही उड़ान १९७५ में रिलीज़ शशि कपूर की फिल्म चोरी मेरा काम से मिली। उन्होंने अपने ४२ साल लम्बे फिल्म करियर में ख़ामोशी, तमन्ना, मेरे अपने, बुड्ढा मिल गया, मालिक, अन्नदाता, धुंद , कोरा कागज़, इम्तिहान, ३६ घंटे, एक महल हो सपनो का, कभी कभी, एक से बढ़ कर एक, ज़िन्दगी, अर्जुन पंडित, भोला भाला, नौकरी, अनपढ़, दिल्लगी, कुदरत, लेडीज टेलर, थोड़ी सी बेवफाई, बीवी ओ बीवी, प्यासा सावन, वक़्त की दीवार, दौलत, अंगूर, नास्तिक, आज का एमएलए रामावतार, साहेब, जाग उठा इंसान, युद्ध, अलग अलग, झूठी, प्रेम प्रतिज्ञा, सड़क छाप, दिल, झूठी शान, चमत्कार, दीवाना, एक ही रास्ता, किंग अंकल, प्रोफेसर की पड़ोसन, यह दिल्लगी, अंदाज़ अपना अपना,राम जाने, साजन की बाहों में, उड़ान, दिल तो पागल है, इश्क़, सलाखें, क्या कहना, मेरे यार की शादी है और कलकत्ता मेल जैसी कोई १४४ फिल्मों में छोटी बड़ी भूमिकाएं की थीं । उनके नाम एक साथ १६ फिल्मों की शूटिंग करने का दिलचस्प कीर्तिमान दर्ज़ है। फिल्म आदमी सड़क का में उन पर फिल्माया गया शादी गीत मेरे यार की शादी है आज भी यादगार शादी गीतों में शुमार है । दिलचस्प तथ्य यह है कि इस गीत वाले शीर्षक पर बनी फिल्म 'मेरे यार की शादी है' में भी देवेन वर्मा ने अभिनय किया था । उन्होंने छह फिल्मों दाना-पानी, चटपटी, बेशरम, बड़ा कबूतर, नादान और यकीन का निर्माण किया था । इनमे से चार फिल्मों दाना-पानी, बेशर्म, बड़ा कबूतर और नादान के निर्देशक देवेन वर्मा ही थे । नादान की पटकथा तथा यकीन के पटकथा और संवाद देवेन वर्मा ने ही लिखे थे। उन्होंने नादान में आशा पारेख और नवीन निश्चल, बड़ा कबूतर में अशोक कुमार, बेशरम में अमिताभ बच्चन और दाना पानी में मिथुन चक्रवर्ती को निर्देशित किया था । वह मशहूर अभिनेता अशोक कुमार के दामाद थे।
देवेन वर्मा जब फिल्मों में आये तब महमूद, किशोर कुमार, राजेंद्र नाथ, आदि का एकछत्र राज्य था। इन सशक्त अभिनय क्षमता वाले कॉमेडियन के बीच अपनी जगह बनाना आसान नहीं था। इसके बावजूद देवेन वर्मा ने अपनी अलग जगह, अपनी अलग इमेज विकसित कर बनाई, जो इन हास्य अभिनेताओं से बिलकुल अलग थी । उन्होंने एक आम आदमी के बीच, आम परिस्थितियों के अंतर्गत अपना किरदार बिना लाउड अभिनय किये अंजाम दिया। बासु चटर्जी, बासु भट्टाचार्य, ऋषिकेश मुख़र्जी, आदि निर्देशकों ने उन्हें यह स्पेस दिया। यही कारण था कि वह चार दशक से अधिक समय तक बॉलीवुड में टिके रह सके। ऎसी अनूठी अभिनय प्रतिभा वाले कॉमेडियन को श्रद्धांजलि।
देवेन वर्मा जब फिल्मों में आये तब महमूद, किशोर कुमार, राजेंद्र नाथ, आदि का एकछत्र राज्य था। इन सशक्त अभिनय क्षमता वाले कॉमेडियन के बीच अपनी जगह बनाना आसान नहीं था। इसके बावजूद देवेन वर्मा ने अपनी अलग जगह, अपनी अलग इमेज विकसित कर बनाई, जो इन हास्य अभिनेताओं से बिलकुल अलग थी । उन्होंने एक आम आदमी के बीच, आम परिस्थितियों के अंतर्गत अपना किरदार बिना लाउड अभिनय किये अंजाम दिया। बासु चटर्जी, बासु भट्टाचार्य, ऋषिकेश मुख़र्जी, आदि निर्देशकों ने उन्हें यह स्पेस दिया। यही कारण था कि वह चार दशक से अधिक समय तक बॉलीवुड में टिके रह सके। ऎसी अनूठी अभिनय प्रतिभा वाले कॉमेडियन को श्रद्धांजलि।
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