Sunday, 12 November 2017

कमल हासन की हिन्दू विरोधी टिप्पणी की राजनीति !

भारतीय फिल्म अभिनेता कमल हासन हिन्दू संगठनों के निशाने पर हैं।  उन्होंने एक तमिल अख़बार में लेख में हिन्दुओं में टेररिज्म का उल्लेख किया था।  इस लेख के प्रकाशित होते ही पूरे हिंदुस्तान में तहलका मच गया।  कमल हासन के पक्ष और विरोध में बयानबाजी शुरू हो गई।  हिंदी फिल्मों में खल भूमिकाएं करने वाले अभिनेता प्रकाश राज उनके समर्थन में आ गए थे। सोशल साइट्स पर कमल हासन को गालियाँ दी गई। उन्हें अपना नाम कमाल हसन कर लेने की मुफ्त सलाह भी दी गई।  इसी समय तमिलनाडू के एक धर्म के आधार पर बने दल ने कमल हासन को मार डालने की धमकी भी दी ।  फिलहाल, कमल हासन हिन्दू संगठनों के खिलाफ अपना बहादुर चेहरा दिखाने में कामयाब हुए हैं। 
कमल खिलाने के निहितार्थ
कमल हासन के इस बयान के निहितार्थ निकाले जा रहे हैं।  पहला यह कि वह किसी न किसी जुगत से प्रचार पाना चाहते हैं।  दूसरा यह कि इसके  राजनीतिक निहितार्थ हैं।  आइये पहले जानने की कोशिश करते है कि उनके हिन्दू आतंकवाद का मुद्दा उठाने के क्या प्रचारात्मक निहितार्थ हैं ? कमल हासन की स्पाई ड्रामा फिल्म विश्वरूपम २ बन कर तैयार है।  यह फिल्म २०१३ में रिलीज़ फिल्म विश्वरूपम की रीमेक है । विश्वरूप की जिस दौरान शूटिंग चल रही थी, उसी दौरान विश्वरूपम २ का चालीस प्रतिशत हिस्सा फिल्मा लिया गया था । निर्माताओं का इरादा फिल्म को २०१३ के आखिर में रिलीज़ करने का था । लेकिन, विश्वरूप की रिलीज़ से पहले मुस्लिम संगठनों ने इतना बवेला मचाया कि कमल हासन को पसीना आ गया, उन्हें देश छोड़ देने की धमकी देनी पड़ी ।  नतीज़तन, विश्वरूप २ की बाकी की शूटिंग में देरी होती चली गई । विश्वरूप के पचड़े में फंसने के बाद सीक्वल फिल्म किसी न किसी कारण से रुकती चली गई । अब जब अप्रैल २०१७ में फिर शुरू हो कर फिल्म पूरी हुई तो कमल हासन इसे अक्टूबर में रिलीज़ करना चाहते थे । परन्तु, किसी ने भी कमल हासन की इस हिंदी/तमिल फिल्म में ख़ास रूचि नहीं दिखाई । तब तय किया गया कि ७ नवम्बर को फिल्म का ट्रेलर रिलीज़ किया जाए । इस तारीख़ को कमल हासन ६३ के हो जायेंगे । कमल हासन ने अपनी फिल्म के ट्रेलर की रिलीज़ से पहले हिन्दू आतंकवाद का मसला उठा का फिल्म की ओर लोगों का ध्यान खीच लिया है । अब वह फिल्म १८ नवम्बर को रिलीज़ करना चाहते हैं ।  हिन्दू आतंकवाद का मुद्दा उठा कर उन्होंने विश्वरूपम २ को चर्चा में ला दिया है ।
द्रविड़ राजनीति
लेकिन, कमल हासन द्वारा हिन्दू आतंकवादी का मुद्दा उठाने के राजनीतिक निहातार्थ ज्यादा है । अभी कमल हासन ने अपनी राजनीतिक पार्टी बनाने का ऐलान किया है । दक्षिण की, ख़ास तौर पर तमिलनाडु की राजनीति ब्राह्मण विरोध पर चलती है । हालाँकि, इसे चलाने वाले ब्राहमण ही होते हैं । इतिहास में झांके तो खास तौर पर तमिल राजनीति में फिल्म एक्टर्स का वर्चस्व रहा है । तमिल राजनीति में द्रविड़ वर्चस्व गैर तमिल ख़ास तौर पर तेलुगु भाषी लोगों की देन है । १९६७ में कांग्रेस के पतन के बाद तमिल राजनीति में द्रविड़ों का वर्चस्व स्थापित हो गया । इसके बाद द्रविड़ दल तमिलनाडु की सत्ता प्राप्त करते रहे । यह दो प्रमुख दल द्रविड़ मुन्नेत्र कज़गम या डीएमके और अन्ना डीएमके हैं । जस्टिस ईवी रामासामी उर्फ़ पेरियार ने जस्टिस पार्टी का गठन किया था । बाद में इस पार्टी का नाम बदल कर द्रविदार कज़गम कर दिया गया । हालाँकि, यह पार्टी गैर राजनीतिक थी, जिसकी मांग अलग द्रविड़ नाडू बनाये जाने की थी । इस पार्टी के दो नेताओं पेरियार और सीएन अन्नादुरै के बीच मतभेदों के कारण यह पार्टी दो फाड़ हो गई । अन्नादुरै ने द्रविड़ मुन्नेत्र कज़गम की स्थापना की । इसके बाद हिंदी विरोधी आन्दोलन के ज़रिये राजनीति में प्रवेश करने का निर्णय लिया गया । १९६७ में कांग्रेस को हरा कर अन्नादुरै तमिलनाडु के मुख्य मंत्री बने । अन्नादुरै के दो शिष्य फिल्म लेखक करुनानिधि और फिल्म अभिनेता एमजी रामचंद्रन के बीच सत्ता संघर्ष छिड़ गया । हालाँकि, अन्नादुरै की मौत के बाद करुनानिधि मुख्य मंत्री बने । लेकिन, एमजी रामचंद्रन ने डीएमके को तोड़ कर आल इंडिया द्रविड़ मुन्नेत्र कज़गम की स्थापना की । १९७७ में रामचंद्रन मुख्य मंत्री बने । १९८७ में उनकी मृत्यु के बाद पार्टी की बागडोर उनकी पत्नी जानकी के पास आई । लेकिन, फिल्म अभिनेत्री जे जयललिता ने इसे हथिया लिया । तबसे तमिलनाडू की सत्ता कभी करूणानिधि और कभी जे जयललिता के पास आती और जाती रही ।
फिल्म वाले मुख्य मंत्री
तमिलनाडु की राजनीति द्रविड़ आन्दोलन के उभार के बाद फ़िल्मी पृष्ठभूमि वाले लोगों के हाथों में रही । करूणानिधि फिल्म लेखक थे । उनकी लिखी कई फिल्मों में एमजी रामचंद्रन और जे जयललिता ने अभिनय किया था । रामचंद्रन को तो करूणानिधि की फिल्मों के कारण ही सफलता मिली । उनकी इमेज जनता के रक्षक की बन गई थी । रामचंद्रन ने इसी इमेज को भुनाया । बाद में जयललिता ने भी इसी इमेज को भुनाते हुए राजनीति खेली । दक्षिण की फिल्मों की खासियत है कि यहाँ फैन क्लब है । प्रशंसक अपने एक्टरों के मंदिर बनाते हैं और उन्हें भगवान् की तरह पूजते हैं । अपनी फ़िल्मी छवि के सहारे तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश की राजनीती में फिल्म वाले उभरे ।
जे जयललिता के देहांत के बाद
कमल हासन वही फिल्म-गेम खेल रहे हैं । विश्वरूपम में वह एक अंडरकवर एजेंट विसम अहमद कश्मीरी उर्फ़ विश्वनाथ उर्फ़ विस बने थे । यह एजेंट देश के दुश्मनों को उनके घर में घुस कर ख़त्म करता था । विश्वरूपम २ इसके आगे की कड़ी है । इस फिल्म से कमल हासन अपनी एक देश भक्त इमेज पुख्ता करना चाहते हैं । उनकी आने वाली फिल्म शाबास कुंडू और इंडियन २ भी देश या समाज के दुश्मनों के खिलाफ फ़िल्में हैं । हिन्दू विरोधी बयानबाजी के जरिये कमल हासन बढ़त लेना चाहते हैं । वह जताना चाहते हैं कि विश्वरूप का रूप मुस्लिम विरोध नहीं । वह एक अन्य अभिनेता रजनीकांत के सुपरस्टारडम को जानते हैं । रजनीकांत ने अपनी राजनीति में आने की इच्छा काफी पहले ही व्यक्त कर दी थी । वह पिछले चुनाव में ही राजनीति में कूद पड़ना चाहते थे । अब चूंकि, जयललिता का देहांत हो चूका है तो तमिल राजनीति में रिक्तिता आ गई है । ब्राह्मण जयललिता की जगह लेने वाला कोई मज़बूत नेता नहीं है । कमल हासन और रजनीकांत इसके दावेदार हो सकते हैं । जहाँ कमल हासन अपनी इमेज बनाने के लिए अपनी फिल्मों का सहारा ले रहे हैं, वैसे ही रजनीकांत भी करेंगे । विज्ञान फंतासी फिल्म २.० के बाद उनकी फिल्म काला रिलीज़ होने वाली है । यह एक गैंगस्टर फिल्म है, लेकिन तमिल सम्मान का ढिंढोरा पीटने वाली फिल्म है । मुंबई में दक्षिण के लोगों को उनके रंग के कारण काला कहा जाता है । फिल्म में रजनीकांत का चरित्र काला गैंगस्टर बन कर मुंबई के लोगों पर अपना वर्चस्व स्थापित करता है । रजनीकांत इस फिल्म को राजनीतिक टोन देकर अगले चुनाव में इस्तेमाल करेंगे । फिलहाल, वह अपनी फिल्म २.० की सफलता सुनिश्चित करना चाहते हैं, ताकि फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त सफलता मिले । फिल्म की सफलता रजनीकांत की राजनीतिक इमेज बनाने की राह आसान करेगी । कमल हासन इसे जानते हैं । इसलिए, उन्होंने पहल कर दी है । वह तमिलनाडु की वर्तमान सरकार के भ्रष्टाचार पर प्रहार भी करते रहते हैं । दिल्ली की आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविन्द केजरीवाल ने मुलाक़ात कर कमल हासन ने अपनी ईमानदार छवि बनाने की कोशिश की है ।

संभव है कि कमल हासन-रजनीकांत टीम का पहला मुकाबला २०१९ के लोकसभा चुनाव के दौरान हो जाए । यह दोनों अभिनेता किसी द्रविड़ पार्टी के बजाय भारतीय जनता पार्टी को पसंद करते हैं । भारतीय जनता पार्टी को भी किसी बड़े चेहरे की तलाश है । वह इनमे से किसी एक अभिनेता का सहारा ले कर तमिलनाडु की राजनीति में पकड़ स्थापित करना चाहेगी । कमल हासन ने विजय की फिल्म मेर्सल में जीएसटी विरोधी संवाद पर राज्य के बीजेपी अध्यक्ष की टिप्पणी के विरोध में विजय का समर्थन कर कमल हासन ने बीजेपी को खुद की मज़बूती का एहसास दिलाने की कोशिश की है । लेकिन, हाल फिलहाल बीजेपी देखों और प्रतीक्षा करो की नीति पर चलेगी । जिसकी ज्यादा पॉपुलैरिटी होगी, बीजेपी उसे ही वरेगी । और कोई एक अपनी पार्टी बनाएगा ।

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