डायरेक्टर जोड़ी अब्बास-मुस्तान की फिल्म टार्ज़न द वंडर कार (२००४) से अपने फिल्म करियर की शुरुआत करने वाले वत्सल सेठ का आजकल ठिकाना टीवी सीरियल बने हुए हैं। यहाँ बता दें कि वत्सल सेठ का एक्टिंग करियर १९९७ की एक टीवी सीरीज जस्ट मोहब्बत से शुरू हुआ था। इस लिहाज़ से वत्सल की यह घर वापसी जैसी हैं। लेकिन, इस घर वापसी के बावजूद, उन्हें अपने अभिनेता को दिखाने के बहुत बढ़िया मौके नहीं मिल रहे। एक हसीना थी, रिश्तों का सौदागर : बाज़ीगर या फिर हासिल में वत्सल के किरदारों शौर्य गोयनका, आरव त्रिवेदी और कबीर रायचंद को देखिये ! किरदारों के नाम ज़रूर बदले हैं, लेकिन उनकी सूरत और सीरत नहीं बदली। वही अमीरियत, लम्पटता, किसी भी पसंदीदा लड़की को बिस्तर तक ले जाने की बेकरारी और लाउड संवाद अदायगी, वत्सल के तमाम करैक्टरों की पहचान है। बहरहाल, वत्सल के किरदारों की तरह वत्सल की एक आदत भी कहीं नहीं बदली। वह चाय के शौक़ीन हैं। फिल्म या टीवी के सेट पर उन्हें चाय की तलब लगी तो उन्हें चाय चाहिए। बनाने वाला कोई नहीं है, लेकिन सामान है तो वह खुद बनाने जुट जाते हैं। अब हासिल के स्टे पर ही देखिये, वत्सल को चाय की इच्छा हुई। तुरंत जा पहुंचे स्टाल पर। खुद चाय बनाना शुरू कर दिया। वत्सल कहते हैं, "मैं अपनी चाय के लिए बहुत पर्टिकुलर हूँ। मैं अपनी चाय के बिना कुछ नहीं कर सकता। सेट पर चाय बनाने के लिए कोई नहीं होता, तो खुद बनाने लगता हूँ चाय।" उनकी पसंदीदा चाय कैसी होती है और वह उसे कैसे बनाते हैं, यह बाद में पूछ कर बताएँगे।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Wednesday, 22 November 2017
वत्सल ने 'हासिल' के सेट पर खुद के लिए खुद से बनाई चाय
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Television,
ये ल्लों !!!
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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