Sunday 19 January 2020

Street Dancer यानि बॉलीवुड में डांस फ़िल्में !


कंगना रानौत की फिल्म पंगा से पंगा लेने वाली रेमो डिसूज़ा की फिल्म स्ट्रीट डांसर ३डी देसी-विदेशी डांस के भिन्न रूप दिखाने वाली फिल्म है। इस फिल्म में आधुनिक नृत्य की कई शैलियाँ होंगी। शानदार सेट्स पर जानदार डांसर अपनी नृत्य प्रतिभा का प्रदर्शन करते नज़र आएंगे । लन्दन की पृष्ठभूमि पर यह फिल्म भी प्रतिस्पर्द्धा की कहानी है । दो विरोधी डांस ग्रुप हैं । एक हिंदुस्तान का है, एक पाकिस्तान का । दोनों में प्रतिस्पर्द्धा होती रहती है । कभी किसी कैफ़े में, कभी सड़क पर । जिसे स्ट्रीट बैटल कहा जाता है । कहने का मलतब यह कि रेमो डिसूज़ा की वरुण धवन, श्रद्धा कपूर, नोरा फतेही और प्रभुदेवा अभिनीत इस फिल्म में डांस प्रमुख होगा । इसे डांस शैली की फिल्म कहा जा रहा है ।
गीत संगीत और नृत्य की अलमारा
स्ट्रीट डांसर में, दो देशों के नृत्य समूहों की कहानी है। एशियाई होने का गौरव है। इस लिहाज़ से, स्ट्रीट डांसर का कैनवास देश से उठ कर विदेश चला जाता है। अन्यथा, बॉलीवुड में डांस फिल्मों की कमी नहीं रही है। हिंदी फ़िल्में तो वैसे भी नृत्य-गीत के लिए मशहूर हैं। पहली सवाक फिल्म आलमआरा (१९३१) में गीत और संगीत के साथ डांस का इस्तेमाल किया गया था। इस फिल्म के बाद डांस, हिंदी फिल्मों की ज़रुरत बन गए। फ़िल्में किसी भी युग की रही हो, अच्छा नृत्य कर सकने वाले अभिनेता- अभिनेत्रियों की मांग हमेशा रही है।  हिंदी फिल्मों में नृत्य का उमंग दर्शाने के लिए इस्तेमाल होता है। ख़ुशी का इज़हार करने के लिए नृत्य ज़रूरी है।  तवायफों के कथानकों पर बनी फिल्मों में नृत्य ख़ास हुआ करता था। प्रतिस्पर्द्धा दर्शाने के लिए भी नृत्यों का इस्तेमाल किया गया।पिछले साल की सबसे अच्छी कमाई करने वाली फिल्म वॉर में हृथिक रोशन और टाइगर श्रॉफ के बीच डांस मुकाबला फिल्म रिलीज़ होने से पहले ही काफी चर्चित हो चुका था । ऐसे गीत काफी मशहूर भी हुए। डांस रियलिटी शो के सीक्वेंस रख कर भी फ़िल्में बनाई गई। आइये जानते हैं ऎसी ही कुछ फिल्मों के बारे में।
कल्पना (१९४८)- यह भारत की पहली डांस फिल्म थी, जिसके नायक-नायिका रियल लाइफ में नृत्यकार थे। एक डांसर के अपनी डांस अकादमी स्थापित करने की इच्छा को दर्शाने वाली इस फिल्म में क्लासिकल डांसर उदय शंकर और उनकी पत्नी अमला शंकर ने, नायक नायिका की भूमिका की थी। यह फिल्म उदय शंकर की इकलौती निर्देशित फिल्म थी। इस फिल्म से पद्मिनी का हिंदी फिल्म डेब्यू हुआ था। अभिनेत्री उषा किरण की भी यह पहली फिल्म थी। इस फिल्म में भारतीय शास्त्रीय नृत्यों का प्रदर्शन हुआ था। इस फिल्म की शूटिंग, पांच सालों तक जैमिनी  स्टूडियो में होती रही थी। इस शूटिंग को देख कर निर्माता एस एस वसन को तमिल फिल्म चंद्रलेखा बनाने का विचार आया।
झनक झनक पायल बाजे (१९५५)- फिल्म निर्माता निर्देशक वी शांताराम की पहली टैक्नीकलर डांस फिल्म झनक झनक पायल बाजे में, दो  नर्तकों प्यार के साथ डांस को बड़ी खूबसूरती से पिरोया गया था। इस फिल्म में प्रमुख भूमिका में संध्या और गोपी कृष्ण थे।  गोपी कृष्णा वास्तव में शास्त्रीय नृत्य विधा के नर्तक थे। इस फिल्म  ने बॉक्स ऑफिस पर १  करोड़ का कारोबार किया था।
नवरंग (१९५९)- वी शांताराम की यह दूसरी फिल्म नवरंग भी प्रेम, कविता और नृत्य को पिरोये हुई, क्लासिकल फिल्म थी। इस फिल्म में महिपाल और संध्या की मुख्य भूमिका थी। सी०  रामचंद्र के संगीत से सजी नवरंग को इसके नृत्य, रंग संयोजन, संगीत और मर्मस्पर्शी कथानक के कारण बॉक्स  ऑफिस पर १ करोड़ से अधिक का कारोबार करने का मौका मिला। 
डिस्को डांसर (१९८२)- जब दर्शक स्ट्रीट डांसर देख रहे होंगे तो उन्हें मिथुन चक्रवर्ती की फिल्म डिस्को डांसर ज़रूर याद आएगी।  बी सुभाष निर्देशित इस फिल्म में मिथुन  चक्रवर्ती ने एक स्ट्रीट डांसर को बड़ी प्रतियोगिता जीतते  दिखाया था।  अभिनेत्री किम और राजेश खन्ना ने फिल्म के इमोशन को सम्हाला था।  फिल्म मे बप्पी लहरी के संगीतबद्ध गीत आज भी क्लब डांसरों के लिए प्रेरणा है।  फिल्म ने ३ करोड़ से ज़्यादा का कारोबार किया था।
नाचे मयूरी (१९८६)- टी रामाराव निर्देशित फिल्म नाचे मयूरी शास्त्रीय नृत्यांगना सुधा चंद्रन के जीवन पर फिल्म थी। यह फिल्म अपने पाँव गवा चुकी सुधा चंद्रन के शास्त्रीय नृत्य को चोटी पर पहुंचाने का कथानक था। फिल्म में सुधा चंद्रन ने खुद को जिया था।  आजकल, सुधा चंद्रन टीवी सीरियलों मे चरित्र भूमिकाये करती नज़र आती हैं।
इलज़ाम (१९८६)- शिबू मित्र ने स्ट्रीट डांस को चोरी करने में उपयोग करने का कथानक लेकर इलज़ाम का निर्माण किया था।  इस फिल्म में सड़क पर डांस करने वाले अजय की भूमिका गोविंदा ने की थी। इस फिल्म और इसके बाद फिल्म लव ८६ से गोविंदा डांसिंग स्टार बन गए। फिल्म ने ३ करोड़ से ज़्यादा का कारोबार किया।
दिल तो पागल है (१९९७) - यश चोपड़ा रोमांस फिल्मों के निर्देशक माने जाते हैं। उन्होंने फिल्म दिल तो पागल है में तीन नर्तकों शाहरुख खान, माधुरी दीक्षित और करिश्मा कपूर का प्रेम त्रिकोण बनाया था।  इस फिल्म को श्यामक डावर की अनोखी कोरियोग्राफी के लिए सराहना और सफलता मिली।  फिल्म ने २८ करोड़ का कारोबार किया। इस फिल्म ने समग्र मनोरंजन करने वाली लोकप्रिय फिल्म, श्रेष्ठ कोरियोग्राफी और श्रेष्ठ सह अभिनेत्री (करिश्मा कपूर) का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता।
नाच (२००४)- रामगोपाल वर्मा निर्देशित फिल्म नाच को बॉक्स ऑफिस पर सफलता से दूर रह जाना पड़ा हो। लेकिन एक नए एक्टर और कोरियोग्राफर की प्रेम कहानी में अन्तरा माली ने कई अच्छे डांस किये थे।  फिल्म ने ३ करोड़ का कारोबार किया।
आजा नचले (२००७)- निर्माता यश चोपड़ा की अनिल मेहता निर्देशित फिल्म आजा नचले में एक नृत्यांगना अपने कसबे का ओपन डांसर थिएटर बचाने के लिए घर  वापस आती है।  माधुरी दीक्षित की मुख्य भूमिका वाली फिल्म आजा नचले बॉक्स ऑफिस अपर १४ करोड़ कमाने के बावजूद फ्लॉप फिल्मों में शुमार है।
चांस पे डांस (२०१०)- निर्देशक केन घोष ने फिल्म इंडस्टी में संघर्ष कर रहे एक्टर के सहारे एक डांस ड्रामा चांस पे डांस का निर्माण किया था।  इस फिल्म में शाहिद कपूर और जेनेलिआ डिसूज़ा ने मुख्य भूमिका की थी। यह फिल्म फ्लॉप हुई थी।
एबीसीडी: एनी बॉडी कैन डांस (२०१३)- फिल्म कोरियोग्राफर रेमो डिसूज़ा निर्देशित इस डांस ड्रामा फिल्म में मुंबई की चॉल में रहने वाले नृत्य ग्रुप्स के बीच प्रतिस्पर्धा करते हुए बड़ी स्पर्धा जीतने की कहानी थी। इसमें प्रभुदेवा और गणेश आचार्य जैसे रियल डांसरों ने अभिनय किया था। के के मेनन, लॉरेन गॉटलिब, आदि की इस फिल्म को मिली सफलता के बाद इसका सीक्वल भी सफल हुआ।  स्ट्रीट डांसर ३डी इसी फिल्म की तीसरी कड़ी है।
मुन्ना माइकल (२०१७)- शब्बीर खान निर्देशित फिल्म मुन्ना माइकल की कहानी माइकल जैक्सन से प्रेरित मुन्ना की कहानी थी। इस भूमिका में टाइगर श्रॉफ ने अपनी नृत्य प्रतिभा का जम कर प्रदर्शन किया था।  लेकिन निधि अगरवाल, नवाज़ुद्दीन सिद्दीक़ी और रोनित रॉय की यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कुछ ख़ास नहीं कर सकी थी।


बॉलीवुड डांस का सफ़र
उपरोक्त विवरण से बॉलीवुड फिल्मों की नृत्य-यात्रा स्पष्ट हो जाती है। शुरूआती हिंदी फिल्मों में गीत-संगीत के साथ शास्त्रीय और लोक नृत्य चित्रित हुए थे। इनमे मुख्य रूप से कत्थक और भारत नाट्यम शैली शामिल थी। धीरे धीरे कर समूह नृत्य प्रस्तुत करने का सिलसिला शुरू हो गया।  १९५० और १९६० के दशक में कोरियोग्राफरों ने नर्तकों के बड़े ग्रुप लेकर नृत्य संयोजन करना शुरू किया। इनमे लोक नृत्य का प्रभाव नज़र आता था। नगाड़ा डांस से सजी फिल्म चंद्रलेखा, दक्षिण की फिल्म होने के बावजूद बॉलीवुड को समूह नृत्य के लिए प्रेरित करने वाली फिल्म थी। अलबेला, मधुमती, मदर इंडिया, श्री ४२०, बाबुल, आदि फिल्मों में ग्रुप डांस संयोजन हिंदी फिल्मों में रंग भर जाने के बाद, फिल्मों में नृत्य संयोजन बड़े शानदार तरीके से पेश किये जाने लगे। भव्य और भड़कीले सेट्स पर नाचते गाते नर्तकों और नर्तकियों का समूह और नायक-नायिका अनोखा  मंजर पेश कर रहे थे। १९७० के दशक में फिल्मों में कैबरे का प्रवेश हुआ।  किसी क्लब या बार में नर्तकी भड़कीले कैबरे करती नज़र आने लगी।  बाद में, कैबरे की जगह डिस्को ने ले ली। आजकल बॉलीवुड फिल्मों के गीत अपनी स्टाइल यानि फ्री स्टाइल हो गए हैं।  इनमे शास्त्रीय नृत्य, कैबरे, डिस्को, आदि का मिश्रण नज़र आता है। देशी नृत्य शैली के साथ विदेशी नृत्य शैली का मिश्रण हो गया है। स्ट्रीट डांसर ३डी  में बॉलीवुड फ्री स्टाइल का प्रदर्शन होता दिखाई देगा। 
पहले डांसिंग स्टार भगवान दादा
स्ट्रीट डांसर में, दर्शकों को ढेरों रियल लाइफ डांसरों की प्रतिभा देखने को मिलेगी। अब तो डांस आम हो चुके हैं। लेकिन, कभी कैमरा के सामने नृत्य करना सबके बस की बात नहीं थी। यही कारण है कि जब १९५१ में भगवान दादा ने नृत्य और संगीत से सजी ड्रामा फिल्म अलबेला निर्देशित की तो यह फिल्म दर्शकों को बहुत पसंद आई ही, खुद भगवान दादा भी पहले डांसिंग स्टार बन गए। फिल्म के शोला जो भड़के गीत में भगवान दादा के नृत्य की नक़ल बॉलीवुड के आज के कई सितारों ने अपनी फिल्मो में पेश की। भगवान के बाद, गीतांजलि, संध्या, महिपाल, हेलेन, लक्ष्मी छाया, बिंदु, आदि अपने नृत्य के कारण आज भी याद की जाती हैं। बाद में तो वैजयंतीमाला, पद्मिनी, रागिनी, वहीदा रहमान, हेमा मालिनी, श्रीदेवी, जयाप्रदा, माधुरी दीक्षित, उर्मिला मातोंडकर, आदि अपनी नृत्य प्रतिभा के बल पर काफी सफल हुई। गोविंदा को अपने नृत्य के कारण सफलता मिली। आज भी, हृथिक रोशन, वरुण धवन, टाइगर श्रॉफ, आदि अपनी नृत्य प्रतिभा के कारण खास माने जाते हैं।
फिल्मों में श्रेष्ठ डांस मुक़ाबले
फिल्म स्ट्रीट डांस में तो एक बार नहीं, कई कई बार, कई कई डांस मुक़ाबले दिखाए जाएंगे। डांस मुक़ाबले फिल्म के नृत्यों में रोमांच भर देते हैं। इनमे नाटकीयता भी पर्याप्त होती है। फिल्म दिल तो पागल है में डांस मुक़ाबला था।  फिल्म रब ने बना दी जोड़ी में नायक- नायिका डांस मुक़ाबला जीतने के बाद एक हो जाते हैं। देवदास का डोला रे डोला और  बाजीराव मस्तानी का पिंगा गीत डांस मुक़ाबले के लिहाज़ से बेहद सफल गीत है। हिंदी फिल्मों में डांस सफलता का यूएसपी भी बन गए हैं। यही कारण है कि काला चश्मा, राधा कैसे न जले, मुन्नी बदनाम हुई,  चोली के पीछे क्या है, काटे नहीं काटते दिन ये रात, छइयां छैया, प्यार किया तो डरना क्या गीत आज भी यादगार हैं। हिंदी फिल्मों में आइटम सांग्स, रीमिक्स या रीक्रिएट गीत अपने नृत्यों के कारण लोकप्रिय हुए।
आसान नहीं डांस फिल्म
इसमें कोई शक नहीं कि हिंदी फिल्मों में नृत्य-गीत खास होते हैं। लेकिन, नृत्य या डांस फिल्म बनाना आसान नहीं होता। ज़रूरी नहीं कि दर्शक हर डांस फिल्म को पसंद कर ले। ऐसी फिल्मों में नृत्य की शैलियों में भिन्नता रखना ज़रूरी है। यहाँ ताज़ातरीन उदाहरण फिल्म भंगड़ा पा ले का लेते हैं।  पंजाबी भंगड़ा और पाश्चात्य डांस पर आधारित इस फिल्म को, नए चहेरों के कारण सिनेमाघर मिलने में कठिनाई हुई। करण जौहर जैसे निर्माता ने सूरज पंचोली और इसाबेले कैफ की फिल्म टाइम टू डांस को इस लिए डब्बा बंद कर दिया कि इनके नृत्यों में नवीनता और उत्तेजना नहीं थी। खबर थी कि रेमो डिसूज़ा, सलमान खान के साथ एक डांस फिल्म डांसिंग डैड बनाने जा रहे हैं। लेकिन, रेस ३ की असफलता के बाद, यह फिल्म ठन्डे बस्ते मे डाल दी गई। इसलिए, अगर स्ट्रीट डांसर सफल हो जाती है, तो भी यह नहीं कहा जा सकता कि डांस फ़िल्में बनने का सिलसिला बन जाएगा ।

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