ऐसा लग रहा है कि दीपिका
पादुकोण का, दिल्ली
में जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में आंदोलन कर रहे छात्रों के साथ खड़ा होना भारी
पड़ गया है। उनकी फिल्म छपाक को इसका पहला नुकसान उठाना पड़ा। छपाक की ओपनिंग ५ करोड़
से भी कम लगी। दीपिका के कद के लिहाज़ से यह ओपनिंग अच्छी नहीं थी। इसके बाद,
इस फिल्म ने थोड़ा अच्छा कारोबार किया। लेकिन, पहला
वीकेंड १९ करोड़ के आसपास का रहा। जबकि, एक महीने पहले रिलीज़
रानी मुख़र्जी की फिल्म मर्दानी २ की ओपनिंग ३.८० करोड़ की मामूली लगी थी। लेकिन,
फिल्म ने रफ़्तार पकड़ी और अगले दो दिनों में ६.५५ और ७.८० करोड़ का
कारोबार करते हुए १८.१५ करोड़ का पहला वीकेंड कलेक्शन किया। ज़ाहिर है कि दीपिका
पादुकोण को विवाद से फायदे के बजाय नुकसान ही हुआ। बात यहीं तक नहीं थमी है। मुंबई
के अख़बारों में खबर है कि दीपिका पादुकोण के विज्ञापनों को टीवी से हटाया जा रहा
है। उत्पादक नहीं चाहते कि दीपिका के कारण उनके उत्पादों को नुकसान हो। इसलिए
उन्होंने चैनलों से कहा है कि अगले दो हफ़्तों तक उनके दीपिका पादुकोण वाले विज्ञापनों
को रोक दे या कम दिखाएं। दीपिका इस समय लगभग २० उत्पादों की ब्रांड एम्बेसडर हैं।
इनमे ज़्यादातर आम आदमी की ज़रुरत के सामानों के हैं। ऐसे में जनमानस में दीपिका का
विरोध इन ब्रांडों की बिक्री पर भी भारी पड़ सकता है। इसलिए हो सकता है कि टेलीविज़न
पर दीपिका पादुकोण उत्पादों की तारीफ़ करती नज़र न आये।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Monday, 20 January 2020
क्या Deepika Padukone पर भारी पड़ा जेएनयू विवाद ?
Labels:
Deepika Padukone,
खबर है,
गर्मागर्म
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment