Wednesday, 1 April 2015

लो फिर आ गए डिटेक्टिव 'दादा' ब्योमकेश बक्शी

३ अप्रैल को ७०एम एम के परदे पर एक बंगाली डिटेक्टिव नज़र आएगा। बांगला कहानी से निकले ब्योमकेश बक्शी नाम के इस जासूस ने अपनी बुद्धि के बल पर कई ऐसे मामलों को सुलझाया था, जिन्हे सुलझाने में कलकत्ता पुलिस हार मान चुकी थी। लेखक शरदिंदु बंदोपाध्याय ने इस चरित्र का निर्माण चालीस के दशक के, द्वितीय विश्वयुद्ध से घायल कलकत्ता की पृष्ठभूमि पर किया था ।  ब्योमकेश कॉलेज का छात्र था। वह अति चतुर युवा था। वह तर्क शक्ति और सूक्षम दृष्टि रखता था।  इसीलिए वह जटिल से जटिल मामले सुलझा पाने में सफल होता था।  ज़ाहिर है कि  ऐसे करैक्टर पर फ़िल्में बननी ही चाहिए थी ।  हालाँकि, 'डिटेक्टिव ब्योमकेश बक्शी' से पूर्व हिंदी में कोई भी फिल्म ब्योमकेश बख्शी के किरदार पर नहीं बनाई गई, लेकिन कुछ बांगला फिल्मे ज़रूर बनी। इनमे अंजन दत्ता की ब्योमकेश ट्राइलॉजी कुछ ख़ास है। हिंदी में ब्योमकेश बक्शी की कहानियों पर एक सीरियल ज़रूर बनाया गया, जिसे अच्छी सफलता मिली। 
ब्योमकेश के रचयिता शरदिंदु
शरदिंदु एक बांगला लेखक थे। उन्हें बांगला साहित्य का स्तम्भ  माना जाता है।  उन्होंने बांगला और हिंदी फिल्मों के लिए भी लिखा।  उनकी कलम से ब्योमकेश बक्शी का किरदार १९३२ में जन्मा। उन्होंने ब्योमकेश के किरदार के साथ ३३ जासूसी कहानियां लिखीं। इस जासूस का एक दोस्त अजित भी था। शरदिंदु १९३२ में फ़िल्में लिखने के लिए बॉम्बे आ गए।  उन्होंने बॉम्बे टाल्कीस और अन्य बैनरों  के लिए फ़िल्में लिखीं ।  उन्होंने तृषाग्नि को लिखा।  अपना पूरा ध्यान लेखन में लगाने के लिए वह १९५८ में बॉम्बे से पुणे चले गए।  उन्होंने अपने जीवन में कई नाटक लिखे, उपन्यासों की रचना की, बहुत सी लघु कथाओं को जन्म दिया।  उनकी पांच लघु कहानियों का इंग्लिश में अनुवाद किया गया।
ब्योमकेश बक्शी बांगला पुस्तकों और अख़बारों के कारण बंगाली जनमानस में लोकप्रिय था।  इसलिए बंगाल में इस किरदार पर फ़िल्में बनाया जाना स्वाभाविक था।  यहाँ तक कि सत्यजित रे ने ब्योमकेश की एक कहानी पर फिल्म बनाई और उत्तम कुमार जैसे अभिनेता ने ब्योमकेश का किरदार किया।  आइये जानते हैं ऐसी ही कुछ बांगला फिल्मों, टीवी सीरियलों और हिंदी फिल्म के बारे में -
चिड़ियाखाना (१९६७)- शरदिंदु बंदोपाध्याय के ब्योमकेश करैक्टर पर सत्यजित रे ने १९६७ में 'चिड़ियाखाना' फिल्म बनाई थी। इस फिल्म में अभिनेता उत्तम कुमार ने सत्यान्वेषी  ब्योमकेश का किरदार किया था।  इस रोल के लिए उत्तम कुमार को नेशनल अवार्ड मिला था।  एक अमीर आदमी को शक है कि कोई उसे मार देना चाहता है।  वह इसका पता लगाने के लिए ब्योमकेश को नियुक्त करता है।  लेकिन, एक दिन वह अमीर  आत्महत्या कर लेता है।  अब रहस्य की नयी नयी परतें खुलती चली जाती हैं। 
ब्योमकेश बक्शी (टीवी सीरियल १९९३-९७)- बंगाली ब्योमकेश पर टीवी सीरियल बासु चटर्जी ने बनाया था।  वह शरदेन्दु के साथ सीरियल के लेखक तथा निर्देशक थे।  यह सीरियल ३४ एपिसोड्स में १९९३ और १९९७  में दिखाया गया। इसमे शरदेन्दु की ब्योमकेश की जासूसी पर लिखी गई सभी कहानियां शामिल की गई थी।  इस सीरियल में धोती कुरता पहने बंगाली डिटेक्टिव दादा का किरदार एक पंजाबी अभिनेता रजित कपूर ने क्या खूब किया था। केके रैना और रवि झंकाल जैसे अभिनेता भी इस सीरियल में सह भूमिकाओं में थे।
 ब्योमकेश बक्शी (बांगला फिल्म २०१० )- बांगला फिल्मों के अभिनेता- निर्देशक अंजन दत्ता ने अबीर चटर्जी को ब्योमकेश  बक्शी का जामा पहना कर ब्योमकेश ट्राइलॉजी का निर्माण किया। इस त्रयी की पहली फिल्म ब्योमकेश बक्शी थी। इस फिल्म का निर्माण और निर्देशन अंजन दत्ता ने किया था।  फिल्म में डिटेक्टिव की भूमिका बंगाली अभिनेता अबीर चटर्जी ने की थी। इस फिल्म की दर्शकों ने बुरी आलोचना की थी।  ख़ास तौर पर निर्देशक अंजन दत्ता  की।  कहते हैं कि ब्योमकेश का किरदार करने से पहले अबीर को कोई नहीं जानता था।   लेकिन,ब्योमकेश बक्शी के बाद वह पूरे बंगाल में मशहूर हो गए। इस फिल्म में शरदेन्दु की कहानी आदिम रिपु (बेसिक इंस्टिंक्ट) को फिल्माया गया था। 
आबार ब्योमकेश (२०१२)-  ब्योमकेश  ट्राइलॉजी की दूसरी फिल्म २३ मार्च २०१२ को रिलीज़ हुई थी।  इस फिल्म में एक बार फिर अबीर चटर्जी ब्योमकेश के किरदार में हिमालय की वादी में एक फोटो की चोरी का पेंच सुलझाने में उलझ जाते हैं।
ब्योमकेश फिर एलो (२०१४)- ब्योमकेश ट्राइलॉजी की तीसरी और आखिरी फिल्म ब्योमकेश फिर एलो १९ दिसंबर २०१४ को रिलीज़ हुई।  इस फिल्म में कलकत्ता में ब्योमकेश के मशहूर हो जाने के बाद की कहानी थी।  कलकत्ता पुलिस एक धनी की हत्या की गुत्थी सुलझाने में मदद मांगती है।  इस फिल्म के ब्योमकेश तीसरी बार भी अबीर चटर्जी ही थे।
डिटेक्टिव ब्योमकेश बक्शी (२०१५)- निर्देशक दिबाकर बनर्जी की ब्योमकेश किरदार वाली यह फिल्म चालीस के दशक के दूसरे विश्व युद्ध से टूटे कोलकत्ता को समकालीन सन्दर्भ में पेश करती है।  फिल्म में दिबाकर ने कॉलेज से निकले ब्योमकेश के पहले केस पर कहानी गढ़ी है। ब्योमकेश का सामना एक दुष्ट जीनियस से पड़ता है, जो  दुनिया को नष्ट कर देना चाहता है।  फिल्म में ब्योमकेश का किरदार सुशांत सिंह राजपूत ने किया है। अभिनेता आनंद तिवारी ब्योमकेश के दोस्त अजित के किरदार में है।  यह फिल्म ३ अप्रैल २०१५ को रिलीज़ होने जा रही है। 
हिंदुस्तान में, ख़ास तौर पर बॉलीवुड में, जासूस करैक्टर पर बहुत सी फ़िल्में बनी हैं।  जीतेन्द्र की फ़र्ज़ और मिथुन चक्रवर्ती का फिल्म सुरक्षा का किरदार जी९ हिंदुस्तानी नहीं जेम्स बांड की नक़ल लगता है।  इस लिहाज़ से ब्योमकेश बक्शी के किरदार को देसी जासूस कहा जा सकता है।  हालाँकि, इस जासूस चरित्र को भी हिंदुस्तान का शर्लाक होम्स बताया जाता है।  लेकिन, 'डिटेक्टिव ब्योमकेश बक्शी' के निर्देशक दिबाकर बनर्जी इससे सहमत नहीं।  वह कहते हैं, " ब्योमकेश बक्शी ठेठ हिंदुस्तानी जासूस है।  वह भारतीय जनमानस  से सीधा कनेक्ट करता है।  ऐसा कनेक्शन शर्लाक होम्स नहीं बना पाता। "




अल्पना कांडपाल 

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