पर्पल पेबल
पिक्चर्स पहली असमिया फिल्म 'भोगा खिरकी ('ब्रोकन विंडो') के निर्माण के लिए तैयार हैं। बैनर की संस्थापक, प्रियंका चोपड़ा और डॉ. मधु चोपड़ा ने जब से क्षेत्रीय सिनेमा में
प्रवेश किया,
तभी से
सिनेमा के साथ उनकी रचनात्मक क्षमता को वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता
दिलाने में जुटे है । मराठी फिल्म
वेंटीलेटर के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार अर्जित करने और टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में
सिक्किमी फिल्म का सफल प्रीमियर करने पश्चात करके उत्साहित चोपड़ा जोड़ी पद्म भूषण विजेता फिल्म निर्देशक जानू बरुआ के साथ पहली असमी फिल्म बना रही हैं। भोगा खिरकी की कहानी के केंद्र में एक महिला है, जिसकी जिंदगी में तीन लोगों के बीच वैचारिक और अस्तित्व के संघर्ष के
कारण उथल-पुथल शुरू हो गई है। यह तीन लोग उसके पिता, पति और एक अजनबी है। भोगा खिरकी की कहानी उत्तर-पूर्व में एक अनछुए विषय पर है। डॉ चोपड़ा
कहती हैं,
"हम एक होम
प्रॉडकशन होने के नाते चाहते है की पूरी दुनिया में असमिया फिल्म, भोगा खिरकी दिखाई जाये। उत्तर-पूर्वी
राज्य हमारे देश में सबसे अधिक प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और हम उनकी संस्कृति के बारे में बहुत कम जानते हैं। मैं इस फिल्म के लिए बहुत उत्साहित हूँ। मुझे जानू बरुआ जैसी सिनेमा की बड़ी
प्रतिभा के साथ सहयोग करने पर गर्व है। " जानू बरुआ के विषय में यह बताना उपयुक्त होगा कि वह, भभेंद्र नाथ सैकिआ के साथ असमी कला सिनेमा के स्तम्भ हैं। उनकी फिल्मों ने ११ राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीते हैं। हिंदी फिल्म दर्शकों ने फिल्म मैंने गांधी को नहीं मारा फिल्म से गांधी के सिद्धांतों को समझने की कोशिश की थी। जानू ने हिंदी फिल्म मुंबई कटिंग की एक कहानी अनजाने दोस्त का निर्देशन भी किया है। उनकी एक हिंदी फिल्म हर पल रिलीज़ नहीं हो सकी है। जानू बरुआ को भारत सरकार ने २०१५ में पद्म भूषण सम्मान दिया था।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Friday, 9 February 2018
पर्पल पेबल पिक्चर्स की पहली असमिया फिल्म भोगा खिरकी
Labels:
Jahnu Barua,
असम से
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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