ऋचा चड्डा को जैक ऑफ़ आल ट्रेड्स कहा जाना ठीक होगा ? उनके लिए इस अलंकार
की ज़रुरत इस लिए पड़ रही है कि अब वह डायरेक्शन करने जा रही हैं। इससे पहले वह खुद का परिचय लेखिका और सिंगर के तौर पर भी कराती रही हैं, क्योंकि, उन्होंने एक डॉक्यूमेंट्री रूटेड इन होप को लिखा और निर्देशित किया था। उन्होंने मॉडलिंग
से करियर की शुरुआत की। नाटक किये। फिर आ गई फिल्मों में। दिबाकर बनर्जी की फिल्म
ओये लकी लकी ओये में वह सपोर्टिंग एक्ट्रेस के बतौर नज़र आई। क्राइम ड्रामा फिल्म
गैंग्स ऑफ़ वासेपुर ने दर्शकों का ध्यान खींचा । फुकरे फिल्मों की भोली पंजाबन ने उन्हें
चमका दिया। हालाँकि, इस बीच उन्होंने संजय लीला भंसाली की फिल्म गोलियों की रास
लीला रामलीला में प्रभावशाली भूमिका की। ऋचा के करियर पर ध्यान दिया जाए तो
उन्होंने अपराध फ़िल्में ही ज्यादा की हैं। वैसे यह अनायास हो सकता है। लेकिन, उनका
अपने एक्टिंग करियर पर ध्यान देने के बजाय निर्देशन में कूद पड़ना, उनके डांवाडोल
एक्टिंग करियर की ओर इशारा करता लगता है। ऋचा चड्डा की बतौर निर्देशक शॉर्ट फिल्म एक व्यंग्यात्मक हास्य
फिल्म है। यह २०२५ की दुनिया पर केन्द्रित है, जहाँ प्रदूषण इतना बढ़ गया है कि
सब्जियां खरीदने पर भी उपलब्ध नहीं है। इस फिल्म में उन्होंने अपने वैलेंटाइन अली
फज़ल को लिया है। इस फ़िल्म की निर्माता उनकी दोस्त विशाखा सिंह है। तो ऎसी ऋचा चड्डा को जैक ऑफ़ आल ट्रेड एंड मास्टर ऑफ़ नन कहना गलत नहीं होगा न !
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Wednesday 14 February 2018
ऋचा चड्डा बन गई डायरेक्टर भी
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Richa Chadda,
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मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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