Thursday 19 October 2017

साठ के सनी देओल पल पल दिल के पास

हिंदी फिल्मों में हीरो बन कर  आ रहे स्टार्स के बच्चों की दिक्कत यह होती है कि उन्हें अपने  पिता की छाया में  जगह बनानी होती है।  इसके लिए उन्हें अपने स्टार फादर की इमेज से हटकर अपनी इमेज बनानी होती है।  राजकपूर के तीन बेटों ऋषि कपूर, रणधीर कपूर और राजीव कपूर को भी इन्हे दिक्कतों का सामना करना पड़ा था।  ऋषि कपूर ने रोमांटिक लवर बॉय इमेज बनाई।  रणधीर कपूर रिबेल रोमाटिंक नायक बने।  राजीव कपूर फंस गए।  ऋषि कपूर  लम्बी रेस का घोड़ा साबित हुए।  रणधीर कपूर ने कुछ सालों तक अपनी गाडी खींची।  राजीव कपूर राम तेरी गंगा मैली के बावजूद मैले साबित हुए।  कुछ ऐसा ही हादसा धर्मेंद्र बेटों सनी देओल और बॉबी देओल के साथ  भी हुआ ।  आज सनी देओल साठ के हो गए।  इसलिए आज इस ६० साल के एग्री यंग मैन का ज़िक्र ही।  ५ अगस्त १९८३ को, जब सनी देओल की बतौर नायक पहली फिल्म रिलीज़ हुई तो दर्शक यह जानते हुए भी कि वह हिंदी फिल्मों के ही-मैन धर्मेंद्र का बेटा है, उसके चेहरे की मासूमियत पर मुग्ध हो गए।  बेताब हिट हुई।  बेताब की सनी देओल-अमृता सिंह जोड़ी भी हिट हो गई।  सनी देओल की दिक्कत यह थी कि ताक़तवर बाज़ू होते हुए भी वह पिता की तरह ही-मैन  नहीं बन सकते थे।  ओरिजिनल ही-मैन की मौजूदगी में डुप्लीकेट को कौन पूछता! सनी के सामने पिता के वटवृक्ष की छाया में मुरझाने के खतरा मंडरा रहा था।  ऐसे समय में पहले राहुल रवैल और  बाद में राजकुमार संतोषी मदद को आगे आये।  राहुल रवैल ने फिल्म अर्जुन में सनी देओल को ऐसा किरदार दिया, जो सीधा सादा पढ़ाकू छात्र था।  लेकिन, अपने दोस्त की ह्त्या के बाद वह हथियार उठा लेता था।  सनी देओल का व्यक्तित्व, फिल्म की अर्जुन की इमेज में फिट बैठा।  अर्जुन हिट हो गई।  सनी देओल की एंग्री यंगमैन इमेज को एक्शन का जामा पहनाया  राजकुमार संतोषी ने।  फिल्म थी घायल।  मासूम अजय मेहरा के जीवन में उस समय तूफ़ान आ जाता है, जब उसके भाई की हत्या हो जाती है।  भाभी की आत्महत्या के बाद अजय के सब्र का पैमाना भर जाता है।  वह विलेन से खुद निबटने के लिए मैदान पर उतर आता है। राजकुमार संतोषी ने फिल्म में सनी देओल की शर्ट फड़वा कर उनके मर्दाना जिस्म का गज़ब   का प्रदर्शन करवा दिया था।  इस फिल्म ने सनी देओल को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिलवा दिया।  दामिनी में सनी देओल की छोटी भूमिका थी।  लेकिन, इस फिल्म में सनी देओल के मुक्के ने फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर ऊपर से ऊपर उठाया ही, सनी को दूसरा राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी दिलवा दिया।  इसके साथ ही सनी देओल मासूम चेहरा मगर ढाई किलो के हाथ वाले एंग्री यंगमैन बन गए।  तब से आजतक सनी देओल का ढाई किलो का हाथ जब उठता है, तब आदमी उठता नहीं, उठ जाता है और फिल्म बॉक्स ऑफिस पर ऊपर ही ऊपर उठ जाती है।  आज साठ साल के हो गए सनी देओल के बेटे करण भी हीरो बनने के लिए कमर कस रहे हैं।  खुद सनी देओल उन्हें तैयार कर रहे हैं।  फिल्म पल पल दिल के पास है।  इसके नायक करण देओल हैं और निर्देशक सनी देओल।  फिल्म का टाइटल पल पल दिल के पास,  पिता-दादा धर्मेंद्र की फिल्म ब्लैक मेल के एक गीत से लिया गया है। हो सकता है कल जब फिल्म रिलीज़ होगी तो एक नया देओल दर्शकों के दिल के पास होगा।   लेकिन, इतना तय है कि सनी देओल का मासूम एंग्री यंगमैन पल पल दर्शकों के दिल के पास है।  सनी देओल को शुभकामनायें। 


No comments:

Post a Comment