Wednesday, 4 February 2015

'हंटर' सेक्स कॉमेडी फिल्म नहीं है - राधिका आप्टे

रंगमंच से फिल्मों  में आई राधिका आप्टे ने हिंदी, बंगाली, मराठी, तेलुगु, तमिल और मलयालम फिल्मों में अभिनय किया है।  तमिल फिल्म 'धोनी' के लिए उन्हें सह अभिनेत्री का एसआईआईएमए अवार्ड भी मिला है। पिछले साल उनकी मराठी फिल्म 'लै भारी' को सफलता मिली थी। उनकी एक फिल्म बदलापुर २०  फरवरी को रिलीज़ होने वाली है।  वह अपनी अगली फिल्म 'हंटर' के लिए क्यों ख़ास उत्साहित हैं? पेश है उनसे बातचीत के अंश -
आपकी फिल्म बदलापुर रिलीज़ होने वाली है।  लेकिन, आप ' हंटर' को लेकर ख़ास उत्साहित है।  क्या  खास है हंटर में ?
हंटर मेरी पसंदीदा फिल्म है। वह इसलिए कि  हम लोगों ने इस प्रोजेक्ट पर अपना काफी लम्बा समय लगा दिया है।  हमें अपने इस प्रोजेक्ट पर सबसे ज़्यादा भरोसा है।  हर्ष ( फिल्म के निर्देशक हर्षवर्द्धन कुलकर्णी) न केवल अच्छे स्टोरीटेलर हैं, उनका सेंस ऑफ़ ह्यूमर भी गज़ब का है।  मानवीय स्वभाव को समझने की उनकी क्षमता मुझे चकित कर देती है। मुझे याद है जब हम पहली बार मिले थे तो हर्ष ने हम लोगों में अपना गहरा विश्वास प्रकट किया था।  हम उनकी साफगोई से प्रभावित हुए थे।  फिल्म में मेरे नायक गुलशन (देवइया) को मैं तब से जानती हूँ, जबसे मुंबई में आई।  वह सबसे ज़्यादा फोकस एक्टर है।  कोई शक नहीं कि वह टैलेंटेड भी हैं। इसलिए मेरा इस फिल्म के प्रति ख़ास उत्साहित होना स्वाभाविक है।
हंटर में अपने रोल के बारे में बताएं ?
मैंने इस फिल्म से पहले किसी दूसरी फिल्म में ऐसा किरदार नहीं किया।  मेरा किरदार तृप्ति मज़ेदार है,  मज़ाकिया है,  अत्याधुनिक है। वह कभी कभी लोगों को धमकाने की कोशिश भी करती है। कभी आसानी से टूट जाती है। मुझे ख़ुशी है कि  मेरी यह फिल्म इस साल २० मार्च को रिलीज़ हो रही है। ख़ुशी की बात है कि  फैंटम और शेमारू इसके साथ हैं। 
क्या यह सेक्सी फिल्म है ?
हंटर इस नॉट अ सेक्स कॉमेडी ऐट आल।  यह दो लोगों की असल प्रेम कहानी है।  मैं अपने जीवन में तृप्ति और मंदर से कई बार मिल चुकी हूँ।  इसलिए मैंने दावे के साथ कह सकती हूँ कि  काफी लोग आसानी से कहानी के  इन दो चरित्रों से खुद की समानता पाएंगे। 
बदलापुर में वरुण धवन और नवाजुद्दीन सिद्दीकी के  अलावा हुमा कुरैशी और यामी गौतम भी हैं।  इतने सितारों की भीड़ में आपका रोल क्या है ?
मैं अपने रोल के  बारे में बात नहीं कर सकती। आपको फिल्म को देखने तक इंतज़ार करना होगा।
आप हिंदी के अलावा बांगला, मराठी, तमिल, तेलुगु और मलयालम फ़िल्में कर चुकी है।  इसका क्या कारण है कि  आपने किसी एक भाषा हिंदी या मराठी में फोकस नहीं किया ?
हाँ, मैं हिंदी पर ज़्यादा फोकस करना चाहती थी। लेकिन, इन क्षेत्रीय भाषा की फिल्मों में मुझे जो रोल ऑफर हुए, वह काफी इंटरेस्टिंग थे। फिर मैं दूसरी इंडस्ट्री को भी जानना चाहती थी। मुझे एक राज्य से दूसरे राज्य में ट्रेवल करना  पसंद है।  मैं देखती हूँ कि  भिन्न राज्यों के लोग संस्कृति के  लिहाज़ से कितने अलग और समान हैं।  
आपका रोल चुनने का मापदंड क्या है ?
कुछ खास नहीं।  यह हमेशा बदलता रहता है। कभी मेरा रोल, कभी स्क्रिप्ट या फिर डायरेक्टर या एक्टर, आदि आदि।  कोई एक क्राइटेरिया नहीं बनाया है मैंने।  यह सब्जेक्टिव है।  प्रोजेक्ट टू प्रोजेक्ट बदलता रहता है।
मांझी लम्बे समय से रुकी फिल्म है।  क्या इस फिल्म के बारे में कुछ बता पाएंगी ?
यह सत्य कथा है। मेरी अब तक की सुनी कहानियों में  काफी प्रेरित करने वाली कहानी है यह ।  केतन सर के साथ काम करना मेरा सपना था। मुझे नवाज़ (नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी) के साथ काम करना भी काफी पसंद है। मैं कह सकती हूँ कि इस फिल्म में काम करना मेरे लिए संतोषजनक अनुभव था।
आपकी मराठी फिल्म 'लै भारी' हिट हो चुकी है।  क्या कोई दूसरी मराठी फिल्म भी कर रही हैं ?
जब भी मैं कोई मराठी फिल्म साइन करूंगी, आपको ज़रूर बताऊँगी। 
हिंदी और मराठी फिल्म उद्योग की तुलना साउथ इंडियन फिल्म इंडस्ट्री से कैसे करेंगी ?
साउथ की फिल्म इंडस्ट्री में एक दूसरे से बिलकुल भिन्न चार भाषाओँ में फ़िल्में बनाई जाती हैं।  मैं हिंदी और मराठी में  ज़्यादा कम्फर्ट फील  करती हूँ, क्योंकि मैं इन भाषाओँ को बोल सकती हूँ तथा संस्कृति से परिचित हूँ  । मैं मानती हूँ कि  हर फिल्म उद्योग अच्छी और बुरी फ़िल्में बनाता है।  कुछ बॉक्स ऑफिस पर सफल होती हैं। कभी संवेदनशीलता का फर्क महसूस किया जा सकता है, लेकिन यह संस्कृति के कारण होता है।







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