१९८३ में साईं परांजपे ने नसीरुद्दीन शाह और फारूक शेख को कछुआ और खरगोश बना कर पंचतंत्र की कहानियों को परदे पर उतारा था। तीखी मिर्च सी कॉमेडी वाली
फिल्म 'कथा'
को बॉक्स ऑफिस
पर सफलता मिली, समीक्षकों ने भी सराहा। फिल्म के कछुआ नसीरुद्दीन शाह एक सीधे सादे और चुपचाप किस्म
के इंसान राजाराम बने थे,
जो पड़ोस की लड़की
संध्या से प्रेम करता है, लेकिन अपने प्यार का इज़हार नहीं कर पाता। फारूक शेख खरगोश यानि राजाराम के चालू किस्म के दोस्त
बासुदेव की भूमिका में थे। संध्या को पाने के लिए कछुआ और खरगोश की यह अनोखी कहानी अपने अंदाज़ की अलग
कॉमेडी फिल्म थी । २०१३ में, डेविड धवन ने साईं परांजपे की १९८१ में रिलीज़ फिल्म 'चश्मे बद्दूर' का चालू टाइप रीमेक चश्मे बद्दूर बनाया
था । इस फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर अच्छी
सफलता मिली थी। अब साईं परांजपे की १९८३
में रिलीज़ कछुआ और खरगोश की दौड़ पर फिल्म
का रीमेक फेमस फिल्म क्रिटिक और डायरेक्टर खालिद मोहम्मद करने जा रहे हैं । खालिद
मोहमद ने फ़िज़ा, तारीख, तहज़ीब और सिलसिले का डायरेक्शन किया
हैं। इस फिल्म के निर्माता अंजुम रिज़वी हैं। खालिद मोहमद की कथा के
खरगोश
मनीष पॉल, कछुआ मुहम्मद ज़ीशान अयूब और नवोदित तारिका शर्मीला मंद्रे कौन से
झंडे गाड़ेंगी । इस फिल्म में फराह खान की मेहमान भूमिका है।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Friday, 20 February 2015
एक बार फिर 'कथा'
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ये ल्लों !!!
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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