पंजाब
दा पुत्तर सनी देओल अपने आप में निराले हैं। दिल की लगी को कभी नहीं
भूलते। इसीलिए उन्होंने यशराज फिल्म्स से अपने बेटे करण की लॉन्चिंग के लिए
आये तीन फिल्मों के ऑफर को ठुकरा दिया। आदित्य चोपड़ा सनी देओल के बेटे करण
की पर्सनालिटी से प्रभावित हुए थे। वह करण को अपने बैनर तले लांच करना
चाहते थे। कोई दूसरा पिता होता तो इस मौके को झट लपक लेता। लेकिन, सनी ने
आदित्य चोपड़ा के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। बात केवल यह नहीं कि सनी भी अपने
पिता की तरह अपने बेटे की लॉन्चिंग के लिए खुद फिल्म बनाना चाहते
हैं। दरअसल, सनी देओल 'डर ' के दिनों को भूले नहीं हैं, जब आदित्य चोपड़ा
के निर्देशक पिता यश चोपड़ा ने अपने प्रिय अभिनेता शाहरुख़ खान का
किरदार वज़नी बनाने के लिए फिल्म के क्लाइमेक्स में इस प्रकार बदलाव किया कि
दर्शकों की सहानुभूति फिल्म के हीरो सनी देओल के बजाय विलेन शाहरुख खान को
मिल गई। यशराज चोपड़ा ने बड़ी चतुराई से फिल्म के क्लाइमेक्स में शाहरुख़
खान को हीरोइन जूही चावला की बेरुखी से निराश सनी से मार खाते दिखा दिया
था। यह दूसरा मौका था, जब यश चोपड़ा ने देओलो को दांव दिया था। १९६९ में
रिलीज़ फिल्म आदमी और इंसान के क्लाइमेक्स को भी यश चोपड़ा ने फिल्म के विलेन
फ़िरोज़ खान को गोली मरवा कर सनी देओल के पिता और हीरो धर्मेन्द्र के बजाय
फ़िरोज़ खान की तरफ मोड़ दिया था। सनी देओल इन दो घटनाओ को कैसे भूल सकते
थे। इसलिए उन्होंने अपने बेटे के करियर को यशराज फिल्म्स के हाथों सौंपने
के बजाय खुद के हाथों में लेना ही ठीक समझा ।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Friday, 20 February 2015
मैं न भूलूंगा- सनी देओल
Labels:
फिल्म पुराण
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment