मशहूर फिल्म निर्देशक, दक्षिण के प्रतिष्ठित सुरेश प्रोडक्शंस के संस्थापक और एक व्यक्ति के तौर पर सबसे ज़्यादा १३ भाषाओँ में १५० फिल्मों का निर्माण कर गिनेस बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में नाम दर्ज कराने वाले तेलुगु और हिंदी फिल्मों के निर्माता डी० रामानायडू का आज देहांत हो गया। वह समाज कार्यों से सक्रीय रूप से जुड़े थे। वह १३वी लोकसभा में तेलुगु देशम पार्टी के सदस्य थे। उन्हें पद्मभूषण और दादासाहेब फालके पुरस्कार से अलंकृत भी किया गया था। आज के हिंदी फिल्मों के युवा दर्शक उनके नाम से परिचित नहीं होंगे, लेकिन उनके पोते राणा दग्गुबाती से यह दर्शक परिचित है। रामानायडू ने १९८० और १९९० के दशक में कई कलाकारों को मौका दिया। उनकी पारिवारिक फ़िल्में, ख़ास तौर पर जीतेन्द्र और राजेश खन्ना के साथ दिल और दीवार, दिलदार, बंदिश, मक़सद, तोहफा, आदि फ़िल्में हिंदी दर्शकों द्वारा ख़ास पसंद की गई। बॉलीवुड से डी० रामानायडू के पसंदीदा अभिनेता राजेश खन्ना थे। वह बतौर फिल्म निर्माता अपनी हर फिल्म के लिए पहले राजेश खन्ना से ही संपर्क करते थे। राजेश खन्ना के उपलब्ध न होने पर वह जीतेन्द्र के साथ फ़िल्में बनाते थे। उन्होंने राजेश खन्ना के साथ कुल तीन फ़िल्में बनाई और तीनों ही ब्लॉकबस्टर साबित हुई। उन्होंने रेखा, हेमा मालिनी, जया प्रदा, श्रीदेवी, मिनाक्षी शेषाद्रि, आदि दक्षिण की बड़ी अभिनेत्रियों और जीतेन्द्र, राजेश खन्ना, अनिल कपूर, मिथुन चक्रवर्ती के साथ श्रेष्ठ पारिवारिक फिल्मों का निर्माण किया। दिलचस्प बात यह थी कि उनकी लगभग सभी फ़िल्में हिट-सुपरहिट हुई। उन्होंने अनाड़ी फिल्म से अपने बेटे वेंकटेश को करिश्मा कपूर के साथ हीरो बना कर पेश किया। एक समय डी ० रामानायडू की फिल्मों के कारण ही हिंदी दर्शकों के बीच के बापैया, के राघवेंद्रराव, के मुरली मोहन राव, दसारी नारायण राव और के० मुरली मोहन राव जैसे निर्देशकों की पहचान बनी। डी० रामानायडू की फिल्मों का ख़ास फॉर्मेट था। यह फ़िल्में बड़े सितारों के साथ पारिवारिक हुआ करती थी। लेकिन, इन फिल्मों में मसाला भरने के लिए जयाप्रदा, श्रीदेवी और माधुरी दीक्षित जैसी अभिनेत्रियों को भी कामुक अंग प्रदर्शन करना पड़ता था। दक्षिण में बनी फिल्मों में डी० रामानायडू की फिल्मों का दबदबा १९९० के दशक तक जारी रहा। २००० में रिलीज़ सुनील शेट्टी, सुष्मिता सेन और नम्रता शिरोड़कर की फिल्म आग़ाज़ के बाद २००२ में कुछ तुम कहो कुछ हम कहें की असफलता के बाद डी रामानायडू की सक्रियता दक्षिण की तेलुगु और तमिल फिल्मों तक सीमित हो गयी। पिछले साल रिलीज़ तेलुगु फिल्म दृश्यम और इस साल की शुरू में रिलीज़ फिल्म गोपाला गोपाला को अच्छी सफलता मिली थी। उनके द्वारा निर्मित इकलौती बांगला फिल्म असुख को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्राप्त हुआ। ६ जून १९३६ को करमचेदु मद्रास में जन्मे डी० रामानायडू के बड़े बेटे सुरेश बाबू फिल्म निर्माता, छोटे वेंकटेश और पोते राणा दग्गुबाती फिल्म अभिनेता है।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Wednesday, 18 February 2015
डी० रामानायडू की मसाला फिल्मों में जयाप्रदा और श्रीदेवी भी अंग प्रदर्शन करती थी
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श्रद्धांजलि
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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