Saturday 29 December 2018

सेंसर के फंदे में लिटिल टेररिस्ट


कुछ हफ़्तों पहले, समाचार रिपोर्टें सामने आई थीं, जिसमें अपनी शॉर्ट फ़िल्म लिटिल टेररिस्ट के लिए भारत के सबसे कम उम्र के ऑस्कर नामांकित निर्देशक अश्विन कुमार, ने खुद को ऐसी जगह पाया, जहाँ कोई फिल्म निर्माता नहीं होना चाहता। एक रचनात्मक माध्यम होने के नाते, फिल्मों का सीबीएफसी के साथ लंबे समय से  मुद्दों पर टकराव का एक व्यापक स्तर रहा है। किसी आवाज पर अंकुश लगाने के उनके बढ़ते तरीकों के साथ साथ, कई फिल्मों को अस्वीकार कर देने या गलत प्रमाण पत्र देने के अपने विभिन्न कारणों के संदर्भ में सीबीएफसी कई बार खबरों में रहा है। और अश्विन कुमार की अगली फिल्म नो फादर्स इन कश्मीरइस समय ऐसा ही नया मुद्दा है। जुलाई से लेकर अब तक सीबीएफसी के साथ फिल्म का अपना अनुभव रहा है जब फिल्म ने पहली बार प्रमाणन के लिए आवेदन किया था। इस प्रक्रिया में आमतौर पर जहां 60-68 दिन लगते हैं, इस फिल्म को केवल प्रमाण पत्र प्राप्त करने में भी 100 दिन लगे। फिर इसके बावजूद कि बोर्ड द्वारा बनाए गए सभी वैध दिशानिर्देशों का पालन किया गया, सीबीएफसी ने अक्टूबर में फिल्म को '' सर्टिफिकेट दिया। 


नो फादर्स इन कश्मीर 16 साल के दो मासूमों की प्रेम कहानी है, जो अपने पिता के खो जाने की समान परिस्थिति में एक दूसरे मिलते हैं। उनके पिता वापसी की अनिश्चितता के साथ कश्मीर में गायब हो गए हैं। दिलचस्प बात यह है कि अश्विन ने इससे पहले इंशाल्लाह फुटबॉल और इंशाल्लाह कश्मीर नामक दो अन्य लघु फिल्में बनाई हैं, जिन पर पहले फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने प्रतिबंध लगाया था और बाद में दोनों ने राष्ट्रीय पुरस्कार जीता। अब जब फिल्म निर्माताओं ने अपनी नवीनतम फिल्म के लिए यू/ए के लिए प्रमाण पत्र में संशोधन के लिए सवाल व अनुरोध करने का फैसला किया, तो यह मामला फिल्म प्रमाणन के लिए अंतिम निर्णय लेने वाली संस्था एफसीएटी को दे दिया गया। मामले की जांच के बाद, एफसीएटी ने अपनी स्क्रीनिंग में जो 11 दिसंबर को आयोजित की गई थी, सीबीएफसी संशोधन समिति से फिल्म को उचित सुनवाई के लिए देने की मांग की और 10 दिनों में यानी 21 दिसंबर तक एक लिखित उचित प्रमाण पत्र देने के लिए कहा। तब से सीबीएफसी ने पहले ही आदेश को हटा दिया है और फिल्म पर अपना आदेश देने के लिए और विस्तार के लिए कहा है। 



यह एक फिल्म निर्माता के लिए बुरे सपने समान होता है, जिसने फिल्म बनाने में पैसे के अलावा समय और रचनात्मकता का निवेश किया है, खासकर जब यह स्वतंत्र प्रोजेक्ट हो। इन दो फिल्म प्रमाणन निकायों के बीच चल रही रस्साकशी ने नो फादर्स इन कश्मीर के निर्माताओं को अपनी फिल्म की रिलीज को लेकर काफी अनिश्चितता में डाल रखा है। इस फिल्म में कुलभूषण खरबंदा, सोनी राजदान और अंशुमान झा जैसे प्रभावशाली कलाकारों की टीम है जिसमें दो बच्चे ज़ारा वेब, शिवम राणा भी हैं।    



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