कहा जाता है कि लगातार अभ्यास और अध्ययन से इंसान परफेक्ट बन सकता हैं। अनंत महादेवन को भी अपनी अगली निर्देशित फिल्म गौर हरी दास्तां को तथ्यात्मक रूप से परफेक्ट बनाने के लिए कई तरह के कदम उठाने पड़े थे। इस फिल्म की कहानी स्वतंत्रता सेनानी गौर हरी दास की असल जिंदगी से प्रेरित है। इस फिल्म को आकार देने और बनाने से जुड़ी पूरी रचनात्मक प्रक्रिया में न सिर्फ फिल्म की कहानी से जुड़े असल हीरो को शामिल किया गया, बल्कि इतिहास की गहन जानकारी रखने वाले स्कॉलर्स की पूरी टीम भी इस प्रक्रिया में शामिल रही। ऐसा करने के पीछे वजह थी, यह सुनिश्चित करना कि कुछ खास ऐतिहासिक अवसरों का प्रस्तुतिकरण कुशलतापूर्वक हुबहु वास्तविकता जैसा ही किया जा सके। अनंत किसी भी तरह गलती की गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहते थे। स्कॉलर्स की टीम में दो लोग खासतौर पर फिल्म की कास्ट को फिल्म से संबंधित इतिहास पढ़ाने के लिए रखे गये थे। कोंकणा सेन शर्मा समेत फिल्म से जुड़ी पूरी कास्ट ने शूटिंग शुरू होने से पहले इन स्कॉलर्स से निजी तौर पर भी सेशंस लिए , ताकि फिल्म में मिनट दर मिनट घटने वाली घटनाओं से जुड़े तथ्यों को बारीकी से समझा जा सके। इस दौरान मिलने वाली जानकारी ने कोंकणा को एक अलग ही तरह के समय और दुनिया में पहुंचा दिया। इस जानकारी से सामने आए तथ्यों से उन्हें अपने किरदार को पूरी तरह समझने और गढ़ने में काफी मदद मिल सकी। परफेक्शन को लेकर हमेशा सतर्क रहने वाली कोंकणा कहती हैं, 'भारतीय बायोपिक्स में ऐसे शोध बहुत ही कम देखने को मिलते थे। यही सही तरीका भी था एक बीते हुए समय को दोबारा दर्शाने का ।"
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Saturday, 6 June 2015
कोंकणा के लिए इतिहास की क्लास
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आज जी
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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