Sunday, 11 February 2018

खिलजी के बाद अब बॉलीवुड का नायक आतंकवादी

क्या बॉलीवुड में बुरे चरित्रों को नायक बनाने का सिलसिला शुरू हो गया है ? इस साल, पद्मावत जैसी बड़ी फिल्म का नायक एक आक्रमणकारी, लूटपाट करने वाले लम्पट चरित्र अलाउद्दीन खिलजी को बनाने के बाद बॉलीवुड उत्साहित ही हुआ होगा कि हिंदी फिल्म दर्शक बुरे चरित्रों को स्वीकार कर रहा है।  इस कड़ी में निर्माता, निर्देशक और लेखक हंसल मेहता की फिल्म ओमरता भी है।  हंसल मेहता ने अमृता (१९९४) से राख (२०१०) तक कोई आठ फ्लॉप फ़िल्में दी थी।  इसके बाद,   हंसल मेहता ने चोला बदला।  उन्होंने विवादित और रियल लाइफ चरित्रों पर  फ़िल्में बनानी शुरू कर दी।  हंसल मेहता को मुंबई के, आतंकवाद के आरोपों से घिरे मुसलमानों की वकालत करने वाले रियल लाइफ वकील शाहिद आज़मी पर फिल्म शाहिद बना कर, ख़ास सोच रखने वाले  राजनीतिज्ञों और  दर्शकों की स्वीकार्यता मिली।  इस प्रकार की फिल्मों को विदेशी फेस्टिवलों में पसंद किया जाता है।  उसी  पसंदगी को हिंदी फिल्मों के समीक्षक भी स्वीकार कर लेते हैं।  इसी स्वीकार्यता को देखते हुए हंसल मेहता ने इसी शैली में फ़िल्में बनानी  शुरू कर दी।  अगली फिल्म सिटीलाइटस गाँव से शहर आये जोड़े पर फिल्म थी।  लेकिन, उनकी अगली फ़िल्में कुख्यात रियल लाइफ चरित्रों  पर अलीगढ और सिमरन थी।  अब वह फिल्म ओमेर्ता को लेकर आ रहे हैं।  यह फिल्म, ब्रिटेन में जन्मे एक मुस्लिम आतंकवादी मोहम्मद ओमर सईद शैख़ के जीवन पर है।  इस आतंकवादी पर वाल स्ट्रीट जर्नल के पत्रकार डेनियल पर्ल का  अपहरण करने और हत्या करने का आरोप लगाया गया था।  हंसल मेहता, विवादित चरित्रों पर फ़िल्में कुछ इस तरह से बनाते हैं, ताकि सहानुभूति पैदा हो।  उनकी फिल्म विवादित हो, वह बॉक्स ऑफिस पर कमाई कर सके।  अब यह बात दीगर है कि इसके बावजूद हंसल मेहता छाप फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर  कुछ ख़ास नहीं कर पाती।  अभी से यह कहना ठीक नहीं होगा कि हंसल मेहता की फिल्म ओमेर्ता आतंकवादी का महिमा मंडन करती है। लेकिन, हंसल मेहता का ट्रैक रिकॉर्ड बहुत अच्छा भी नहीं है। फिल्म मे आतंकवादी की भूमिका  राजकुमार राव कर रहे हैं। 

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