कैप्टेन अमेरिका और
आयरन मैन के खेमे में बंट चुके हॉलीवुड के सुपर हीरो निर्देशक अन्थोनी रूसो की
फिल्म ‘सिविल वॉर’ में गंभीर चिता, बहस और युद्ध में व्यस्त होंगे। ज़ाहिर है कि
इन सुपर हीरोज के बीच तनाव के लम्हे दर्शकों पर भारी पड़ सकते हैं। रूसो ब्रदर्स
की निर्देशक जोडी को इसका एहसास है। इसलिए, फिल्म के दो सुपर हीरो अंट-मैन और
स्पाइडर-मैन कॉमिक अवतार में होंगे। कभी एक दूसरे के मित्र और दुनिया को बचाने के
लिए एक जुट होकर काम करने वाले यह दोनों सुपर हीरो खेमे में बंटे ज़रूर होंगे। उनके बीच युद्ध की नौबत भी आयेगी। इसके बावजूद यही करैक्टर फिल्म में हलके फुल्के
क्षण लायेंगे, दर्शकों को कॉमिक रिलीफ देंगे। अन्य सुपर हीरो चरित्रों की तुलना
में अंट मैन और स्पाइडर मैन का ही कॉमिक अवतार क्यों ? जवाब देते हैं फिल्म के एक
निर्देशक अन्थोनी रूसो, “इसमे कोई शक नहीं मार्वेल की फिल्मों की तुलना में सिविल
वॉर में गंभीर क्षण ज्यादा हैं। ऐसा स्वाभाविक है, जब दो दोस्त और साथी एक दूसरे
के आमने सामने खड़े हों। अगर हम इन्हें पूरी फिल्म में युद्ध करते दिखायेंगे तो
मामला गंभीर हो जायेगा। क्योंकि, यह सुपर हीरो है, कोई विलेन नहीं। अंट मैन और
स्पाइडर मैन बहुत बड़े हीरो हैं, लेकिन उन्हें विलेन नहीं बनाया जा सकता। इसलिए,
फिल्म को गंभीर और हास्य परिस्थितियों का मिला जुला फॉर्मेट दिया गया है। स्पाइडर
मैन और अंट मैन के करैक्टर दर्शकों को हंसाएंगे। अट मैन बने पॉल रड और स्पाइडर
मैन बने टॉम हॉलैंड काबिल अभिनेता हैं। वह अपने दर्शकों को रिलैक्स होने का पूरा
अवसर देंगे।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Wednesday, 16 December 2015
दर्शकों को हँसाएगा हॉलीवुड का मकडा और चीटा !
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मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
सिर्फ सलमान खान पर मेहरबान नहीं होती अदालतें !
तेरह साल पहले के
हिट एंड रन केस में पांच साल की सज़ा पाने के छः महीने के भीतर बॉलीवुड अभिनेता सलमान
खान बॉम्बे हाई कोर्ट से बरी हो गए। सलमान खान के प्रशंसक जहाँ खुश है कि उनका पसंदीदा
सितारा दोष मुक्त हो गया, वहीँ आम आदमी
हैरान है कि लम्बी सुनवाई और बहस के बाद सेशन कोर्ट में दोषी पाए गए सलमान खान इतनी
आसानी से छुटकारा कैसे पा सके। क्या इसलिए कि मारे गए और घायल हुए लोग फूटपाथ पर
सोने वाले गरीब थे, जबकि सलमान खान बॉलीवुड के बड़े सितारे हैं, उनका काफी रसूख और
पहुँच है। पैसा तो है ही। क्या कोर्ट मीडिया ट्रायल से प्रभावित होता है या
सेलेब्रिटी स्टेटस उसके न्याय को बौना बना देता है ?
क्या छूटेंगे सूरज पंचोली भी !
सच क्या है, इसकी
पुष्टि तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले कि बाद ही होगी। लेकिन, आदित्य पंचोली को कुछ
आस बंधी है।उनके बेटे सूरज पंचोली पर गजिनी और निःशब्द की नायिका जिया खान की माँ द्वारा जिया की कथित
हत्या करने के आरोप लगाए हैं । प्रारंभिक जांच में सूरज पंचोली को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी ही
माना गया था। बाद में आलिया की माँ ने कोर्ट में अपील दायर कर जिया की मृत्यु को
हत्या बताया था। इसके लिए उन्होंने सूरज को दोषी बताया था तथा सीबीआई जांच की अपील की थी। सलमान खान के मामले में हाई कोर्ट का फैसला आने से सूरज पंचोली के पिता आदित्य
पंचोली काफी खुश हैं। वह उन्ही बिन्दुओं पर, जिनके आधार पर हाई कोर्ट ने सलमान खान
को दोष मुक्त माना, जोर देकर सूरज को छुडाना चाहेंगे। यहाँ बताते चलें कि सलमान
खान ने ही इस साल फिल्म ‘हीरो’ के ज़रिये सूरज पंचोली का फिल्म डेब्यू करवाया था।
गोविंदा को सुप्रीम कोर्ट की सलाह
क्या सूरज पंचोली भी
सलमान खान की तरह पुख्ता सबूतों के अभाव में रिहा कर दिए जायेंगे ? इस सवाल का
जवाब तो आने वाला समय बतायेगा। लेकिन, इसमे कोई शक नहीं कि बॉलीवुड के एक्टर अपने
सेलेब्रिटी गुरूर में इधर उधर पंगा लेते रहते हैं। इस लिहाज़ से सलमान खान ज्यादा
कुख्यात हैं। उन पर कई दूसरे मामले देश की विभिन्न अदालतों में चल रहे हैं। दूसरे
मुकदाओं का परिणाम बॉम्बे हाई कोर्ट जैसा होगा, नहीं कहा जा सकता। लेकिन कोर्ट इन
सेलेब्रिटी के मामले में थोडा नरम लगता है। सलमान खान के साथ पार्टनर में जोड़ीदार
गोविंदा का मामला भी ताज़ा है। गोविंदा २००८ में मनी है तो हनी है की शूटिंग कर
रहे थे। उन्होंने सेट पर मौजूद एक गेस्ट को इस
लिए तमाचा मार दिया कि वह लड़कियों से बदसलूकी कर रहा था। पुलिस द्वारा राय नाम के गेस्ट
की शिकायत दर्ज न करने पर वह व्यक्ति खुद कोर्ट गया। ट्रायल कोर्ट ने गोविंदा
को दोषी मान कर सज़ा सुना दी। लेकिन, बॉम्बे हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आर्डर को
खारिज कर दिया। इस पर राय सुप्रीम कोर्ट गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में
गोविंदा को मौका दिया कि वह अपने प्रशंसक राय से मिल कर माफ़ी मांगे और मामले को
ख़त्म करवाए। अन्यथा उन पर आपराधिक मामला चलेगा और दो साल तक की सजा हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में
गोविंदा के एक्टर और एमपी होने को संज्ञान में लिया था।
बचे जॉन अब्राहम
बॉलीवुड सेलेब्रिटी
या तो घमंडी होते हैं या बददिमाग कि वह अपने प्रशंसकों से दुर्व्यवहार करने से बाज़
नहीं आते। लेकिन सैफ अली खान तो कुछ ज्यादा आगे चले गए। वह पद्मश्री से सम्मानित
हैं। लेकिन, उन्होंने इसकी परवाह किये बिना एक होटल में अपने परिवार और मित्र के
साथ मौजूद इकबाल शर्मा नाम के गेस्ट के साथ बदसलूकी और मारपीट की। इस मामले में
भी मुंबई पुलिस ने प्रारंभिक ढिलाई बरती। फिलहाल सैफ अली खान पर मुकदमा चल रहा
है। जॉन अब्राहम अभिनीत तेज़ रफ़्तार मोटर साइकिल चलाने वाले डकैतों की कहानी ‘धूम’
बॉक्स ऑफिस पर सुपर हिट हुई थी। जॉन अब्राहम का मोटर साइकिल चलाने का शौक पुराना
है। अप्रैल २००६ में वह अपनी सुजुकी हयाबुषा मोटर साइकिल की रफ़्तार पर नियंत्रण
नहीं रख पाए और उन्होंने दो लोगों को घायल कर दिया। पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर
लिया। चार साल बाद इस मुकदमे पर हुए फैसले में कोर्ट ने उनके पहले अपराध के कारण
उन्हें केवल १५ दिनों सादा कैद की सजा सुनाई। लेकिन कुछ ही घंटों में बॉम्बे हाई कोर्ट
ने उन्हें ज़मानत दे दी। आजकल जॉन अब्राहम अपनी फिल्मों पर ज्यादा ध्यान लगा रहे
हैं।
अबु सलेम की मोनिका
कभी छोटी फिल्मों के
ज़रिये बॉलीवुड में प्रवेश करने वाली मोनिका बेदी को फ़िल्में तो मिली, लेकिन यह
फ़िल्में ख़ास नहीं चली। मोनिका बेदी का बॉलीवुड करियर ख़त्म हो जाता कि मोनिका को गैंगस्टर
अबू सलेम का साथ मिल गया। इसी के बूते पर वह करियर के ढलान में जोड़ी नंबर वन और
प्यार इश्क और मोहब्बत जैसी बड़े बैनर की फ़िल्में पाने में कामयाब हो पाई। इसके बाद
वह अबू सलेम के साथ भारत से बाहर भाग गई। लम्बी कानूनी कार्यवाही के बाद उनका
भारत को प्रत्यर्पण हुआ। लेकिन, जाली पासपोर्ट मामले में दोषी साबित होने के
बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अब तक काटी जेल अवधि को सज़ा की अवधि मानते हुए
रिहा कर दिया। आजकल मोनिका बेदी टीवी सीरियल कर रही हैं।
मई २००१ में एक्टर
फ़िरोज़ खान के बेटे फरदीन खान कोकीन खरीदते हुए पकडे गए थे। चूंकि, उन्होंने
स्वीकार किया कि वह ड्रग एडिक्ट हैं और उनके पास बरामद कोकीन थोड़ी मात्र में थी,
इसलिए उन पर नशीली दवाओं की बिक्री का मामला नहीं चला। उन पर खुद के उपयोग के लिए
कोकीन रखने का मामला चलाया गया। इस कानून के अन्दर पहली बार पकडे जाने वाला अगर
कोई शख्स सरकारी हॉस्पिटल में अपना ईलाज करवाता है तो उसे सज़ा नहीं होती। इस
प्रकार से नशे के आदि फरदीन खान भी कानून के शिकंजे से बच निकले।
पुरू ने मारे थे तीन
यहाँ बडबोले अभिनेता
राजकुमार के असफल एक्टर बेटे पुरु राजकुमार का मामला बेहद दिलचस्प है। पुरु पर मुंबई में नशे में तेज़ रफ़्तार कार चला कर ८ लोगों को कुचल देने का मामला
दर्ज हुआ था। इनमे से तीन की मौत हो गई थी। मुकदमे में पुरु दोषी भी साबित हुए। लेकिन, वह प्रत्येक मृतक परिवार को सिर्फ ३० हजार का हर्जाना दे कर छूट गए। इस समय भी कई
सेलेब्रिटी अपने किये अपराधों के लिए मुकदमे का सामना कर रहे हैं। शाहरुख़ खान पर आरोप
लगा था कि अपने तीसरे बेटे के जन्म से पहले उन्होंने गौरी के गर्भ का सेक्स
निर्धारण टेस्ट करवाया था। हालाँकि, खान का कहना था कि यह आरोप अबराम (बेटे) के
जन्म के बाद लगा है। फिलहाल इस मामले में कोर्ट का फैसला आना है।सलमान खान भी
अभी राजस्थान में काले हिरन के शिकार से अपना पल्ला नहीं छुडा पाए हैं। उनके साथ तब्बू,
नीलम और सोनाली बेंद्रे भी अभियुक्त हैं। शाइनी आहूजा को अपनी नौकरानी के साथ बलात्कार के मामले में सज़ा हो चुकी है। फिलहाल, वह जमानत पर बाहर हैं। इसी प्रकार से अंकित तिवारी और मॉडल एक्टर इन्दर
कुमार बलात्कार के आरोप में जेल गए और आजकल ज़मानत पर हैं। अरमान कोहली बिग बॉस की
सह-प्रतिभागी सोफ़िया हयात को धमकी देने के आरोप में जेल गए। वह भी ज़मानत पर हैं।
इससे साफ़ है कि भिन्न अपराधों के लिए आरोपित बॉलीवुड सेलिब्रिटीज मुकदमा ज़रूर झेल
रहे हैं, लेकिन जल्द ही ज़मानत पर बाहर आ गए। सिर्फ संजय दत्त ही इकलौते ऐसे अभिनेता हैं, जो
अपनी सज़ा पूरी करने क लिए महाराष्ट्र की यरवदा जेल में हैं। इससे ऐसा लग सकता है कि देश की अदालतें बॉलीवुड सेलिब्रिटी पर ख़ास मेहरबान होती है। वैसे मीडिया ट्रायल भी कोर्ट को प्रभावित कर देता है।
अल्पना कांडपाल
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फिल्म पुराण
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
हर महान जासूस के पीछे एक बेवक़ूफ़ भाई होता है
लुइस लेटेरिएर निर्देशित एक्शन कॉमेडी फिल्म 'द ब्रदर्स ग्रिम्सबी ' यह स्थापित करने की कोशिश है कि हर महान जासूस के पीछे एक शर्मिंदा करने वाला भाई होता है। नॉबी इंगिलश फुटबॉल टीम के लिए उपद्रव करने वाले गिरोह का एक अच्छा लेकिन मंदबुद्धि सदस्य है। एक ग्रिम्सबी जो कुछ चाहता है, वह सब कुछ नॉबी के पास है। यानि ११ बच्चे और खूबसूरत महिला मित्र। बस कमी है तो बिछुड़े हुए भाई की। नॉबी और सेबेस्टियन लम्बे समय के बिछुड़े भाई है। सेबेस्टियन एमआई ६ का एजेंट है। सबसे खतरनाक हत्यारा। इन दोनों बिछुड़े भाई फिर साथ आते हैं दुनिया पर संभावित बड़े आतंकी हमले को रोकने के लिए। सेबेस्टियन को अगर इस हमले को रोकना है तो उसे अपने बेवक़ूफ़ भाई का साथ लेना ही होगा। इस दिलचस्प खतनाक वाली एक्शन कॉमेडी फिल्म के निर्देशक लुइस ने नाउ यू सी मी, द इनक्रेडिबल हल्क और द ट्रांसपोर्टर जैसी हिट फिल्मों का निर्देशन किया है। फिल्म में नॉबी की भूमिका साचा बैरन कोहेन कर रहे हैं। उन्होंने ही फिल्म को लिखा भी है। उनके भाई की भूमिका में मार्क स्ट्रांग हैं तथा गर्ल फ्रेंड रिबेल विल्सन बनी है। आइला फिशर, गबौरी सिडिबे और पेनेलोप क्रज़ की भूमिका भी महत्वपूर्ण है।
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मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Tuesday, 15 December 2015
बिना श्रवण के नदीम सैफी की वापसी !
अगले साल २९ जनवरी को रिलीज़ होने जा रही फिल्म 'इश्क़ फॉरएवर' में नदीम सैफी का संगीत है। वह १० साल बाद हिंदी फिल्मों में वापसी कर रहे हैं। पूरे १९९० के दशक और २००० के पूर्वार्द्ध में कभी नदीम सैफी का नाम श्रवण राठौड़ के साथ बतौर संगीतकार जोड़ी नदीम श्रवण सुना पढ़ा जाता था। इन दोनों ने इस दौरान आशिक़ी, साजन, दीवाना, दिल का क्या कसूर, हम हैं रही प्यार के, रंग, दिलवाले, राजा, बरसात, अग्नि साक्षी, जीत, राजा हिंदुस्तानी, परदेस, सिर्फ तुम धड़कन, कसूर, हम हो गए आपके, राज़, दिल है तुम्हारा, दिल का रिश्ता अंदाज़, तुमसे नहीं देखा, बेवफा आदि जैसी ढेरो फिल्मों का संगीत दिया। बताते हैं कि फिल्म राज के संगीत को मशहूर सर पॉल मैककार्टनी ने भी सराहा था। नदीम और श्रवण की जोड़ी १९७९ में भोजपुरी फिल्म 'दंगल' के संगीत के रिलीज़ के साथ सामने आया। इन दोनों ने हिंदी फिल्म 'मैंने जीना सीख लिया' (१९८१) का संगीत दे कर पहली बार बॉलीवुड में प्रवेश किया। लेकिन, इस जोड़ी को शोहरत मिली टी सीरीज की महेश भट्ट निर्देशित फिल्म 'आशिक़ी' के संगीत से। यह टी सीरीज के मालिक गुलशन कुमार की व्यावसायिक चतुराई थी कि उन्होंने फिल्म के संगीत का ज़बरदस्त प्रचार किया। फिल्म का संगीत इतना हिट हुआ कि संगीत के बल पर आशिक़ी भी सुपर हिट हो गई। नदीम-श्रवण जोड़ी टी सीरीज के गुलशन कुमार की पसंदीदा जोड़ी थी। नदीम, श्रवण और गुलशन तिकड़ी ने ९० के दशक को मधुर संगीत से गूंजायमान कर दिया। कैसी विडम्बना थी कि जिस गुलशन कुमार ने नदीम को आकाश पर पहुंचाया, उसी गुलशन कुमार की हत्या में आरोपित हो कर नदीम सैफी को देश छोड़ कर लंदन बस जाना पड़ा। लंदन से भी वह श्रवण के साथ संगीत रचना करते रहे। लेकिन २००५ में दोस्ती फिल्म के संगीत के बाद यह जोड़ी टूट गई। अब 'इश्क़ फॉरएवर' के ज़रिये नदीम सैफी हिंदी फिल्मों में वापसी करना चाहते हैं। खबर यह भी है कि वह दीवाना २ और साजन २ के अलावा विशेष फिल्म्स की अगली फिल्म का संगीत दे सकते हैं। लेकिन, सब कुछ निर्भर करेगा 'इश्क़ फॉरएवर' के संगीत की लोकप्रियता पर। समीर सिप्पी की इस फिल्म में कृष्णा चतुर्वेदी, रूही सिंह, लिसा रे, आदि काम कर रहे हैं। यह एक म्यूजिकल ड्रामा फिल्म है। क्या नदीम सैफी नब्बे के दशक वाला रंग जमा पाएंगे ? यह बड़ा सवाल है। लेकिन, पहले सुनिए फिल्म के एक गीत के टीज़र में नदीम की धुन-
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गीत संगीत
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Monday, 14 December 2015
फिर बच्चों के बीच स्टीवन स्पीलबर्ग
बच्चों के लिए ई टी और जुरैसिक पार्क जैसी श्रेष्ठ फ़िल्में बनाने वाले निर्देशक स्टीवन स्पीलबर्ग एक बार फिर बच्चों के संसार में लौट आये हैं। वह रोआल्ड डाहल के १९८२ में प्रकाशित उपन्यास 'द बीएफजी' पर इसी टाइटल के साथ फिल्म बना रहे हैं। जिस दौर में स्पीलबर्ग 'पोलटेरजिस्ट' और 'ब्रिजेज ऑफ़ स्पाईज' के निर्माण में व्यस्त थे, ठीक उसी समय 'द बीएफजी' पर भी काम कर रहे थे। यह कहानी सोफी नाम की लड़की की देश की रानी और २४ फुट लम्बे बीएफजी के साथ मानवता के लिए खतरनाक दैत्यों को पकड़ने के लिए अभियान चलाने की है। बीएफजी यानि बिग फ्रेंडली जायंट एक अच्छा दैत्य है, जबकि उसके साथी दैत्य ब्लडलॉटर और फ़्लैशलम्पईटर बुरी प्रकृति के हैं। इस फिल्म में सोफी का किरदार नया चेहरा रूबी बर्नहिल कर रहा है। स्टीवन स्पीलबर्ग की जर्मनी में जासूस की कहानी 'ब्रिजेज ऑफ़ स्पाईज' से बिलकुल हट कर है। ब्रिजेज ऑफ़ स्पाईज जहाँ गंभीर किस्म की फिल्म थी, वहीँ द बीएफजी बच्चों को टारगेट फिल्म होने के बावजूद हँसी मज़ाक से भरपूर मनोरंजक फिल्म है। इस फिल्म का टाइटल रोल मार्क रयलन्स कर रहे है। मार्क ने 'ब्रिजेज ऑफ़ स्पाईज में रुडोल्फ एबल का किरदार किया था। रूबी बार्नहिल अभी ११ साल की हैं। वह ब्रिटिश हैं। द बीएफजी उनकी पहली फिल्म है। अपनी पहली फिल्म में ही रूबी बिल हैडर, पेनेलोप विल्टन और जेमैन क्लेमेंट जैसे वरिष्ठ कलाकारों के साथ काम करने का मौक़ा ही नहीं मिला है, बल्कि वह एक प्रकार से उनके मुकाबले में लीड कर रही है। मेलिसा मथिसन की यह आखिरी फिल्म है, जिसे उन्होंने स्टीवन स्पीलबर्ग के लिए लिखा है। मेलिसा ने ईटी: द एक्स्ट्रा-टेरेस्ट्रियल और द ट्वाईलाईट जोन जैसी फ़िल्में लिखी थी। मेलिसा के पिछले महीने कैंसर के कारण स्वर्गवास हो गया था। अगले साल १ जुलाई को रिलीज़ होने जा रही फिल्म 'द बीएफजी' का जादुई ट्रेलर देखिये।
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मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
गर्ल पावर का इंटरनेशनल हंगर गेम्स
इंटरनेशनल बॉक्स ऑफिस पर गर्ल्स पावर का नज़ारा है। जेनिफर लॉरेंस की मुख्य भूमिका वाली फिल्म 'हंगर गेम्स मॉकिंग्जय पार्ट २' लगातार चौथे वीकेंड भी बॉक्स ऑफिस की टॉप पोजीशन पर काबिज़ है। इस वीकेंड रिलीज़ क्रिस हेम्सवर्थ की केंद्रीय भूमिका वाली डायरेक्टर रॉन होवार्ड की फिल्म 'इन द हार्ट ऑफ़ द सी' टॉप पर अपना कब्ज़ा बना पाने में नाकाम रही। इसके साथ ही जेनिफर लॉरेंस की फिल्म टॉप पोजीशन पर चौथे हफ्ते भी काबिज़ रही। क्रिस हेम्सवर्थ की फिल्म ने पहले वीकेंड में ११ मिलियन डॉलर का कलेक्शन किया। यह किसी नई रिलीज़ और बड़े निर्देशक-एक्टर जोड़ी के लिहाज़ से बेहद खराब था। यह फिल्म १०० मिलियन डॉलर के बजट से बनाई गई है। वहीँ हंगर गेम्स मॉकिंग्जय २ ने ११.३ मिलियन डॉलर का बिज़नेस किया था। अगले हफ्ते स्टार वार्स रिलीज़ होनी है। हॉलीवुड फिल्मों के दर्शकों को स्टार वार्स फ्रैंचाइज़ी की इस फिल्म का बेसब्री से इंतज़ार है। शायद इसीलिए वह सिनेमाघरों से दूर रहना चाहता है। ऐसे में अगले वीकेंड 'इन द हार्ट ऑफ़ द सी' का बिज़नेस बुरी तरह से प्रभावित होने जा रहा है। मॉकिंग्जय २ चौथे वीकेंड में भी टॉप पर रह कर इस फ्रैंचाइज़ी की टॉप पर रहने वाली दूसरी फिल्म बन गई है। कैचिंग फायर सीरीज की ऎसी पहली फिल्म थी। इस साल लगातार बॉक्स ऑफिस की टॉप पर बने रहने का कारनामा फ्यूरियस ७ ने भी कर दिखाया था। मॉकिंग्जय २ अब तक वर्ल्ड वाइड ५६४ मिलियन डॉलर का कलेक्शन कर चुकी है। हालाँकि, मॉकिंग्जय पार्ट १ इस समय तक ६१०.८ मिलियन डॉलर का कलेक्शन कर चुकी थी। लेकिन, यहाँ ध्यान रहे कि अभी हंगर गेम्स मॉकिंग्जय पार्ट २ को चीन में रिलीज़ होना है।
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मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
बॉलीवुड त्रिमूर्ति के राज कपूर
पचास साठ के दशक के राजकपूर, दिलीप कुमार और देव आनंद की त्रिमूर्ति अपने आप में निराली थी। अभिनय का अपना जुदा अंदाज़। राज कपूर भोले भाले सीधे सादे भारतीय युवा का प्रतिनिधित्व करते थे। ऐसा नहीं कि उन्हें देहाती रोल ही फबते थे। लेकिन वह मशहूर हुए अपनी गंवई वेश भूषा के कारण ही, अब चाहे वह फिल्म श्री ४२० हो या जिस देश में गंगा बहती है या तीसरी कसम या फिर सपनों का सौदागर। राज कपूर के हाव भाव से अलग थे दिलीप कुमार के हाव भाव। वह ट्रेजेडी किंग के बतौर मशहूर हुए। वह अपनी ज्यादातर फिल्मों में असफल प्रेम की खातिर तब तक जान गंवाते रहे, जब तक वह खुद इन भूमिकाओं के कारण डिप्रेशन का शिकार नहीं हो गए। इन दोनों से जुदा थे देव आनंद। देव आनंद का संवाद बोलने और हाथ पैर चलाने का अंदाज़ निराला था। वह ठेठ शहरी हीरो थे। कह सकते हैं कि वह आज के मेट्रो शहरों को रिप्रेजेंट करते थे। उनकी भूमिकाएं हलके फुल्के अपराध करने वाले अच्छे दिल के युवा की हुआ करती थी। इन तीनों की फ़िल्में और अदाएं खूब देखी और पसंद की गई। इन सबका अपना दर्शक वर्ग था। दिलीप कुमार और देव आनंद कट बाल तो तत्कालीन युवाओं के पसंदीदा थे। इस तिकड़ी की ख़ास बात यह थी कि बाद के कई अभिनेताओं ने जहाँ राजकपूर और दिलीप कुमार की नक़ल पर अभिनय कर स्टारडम की सीढियां चढ़नी शुरू की, वहीँ देव आनंद की मिमिक्री कर काफी लोग आज भी झोली भर रहे हैं.
राज कपूर को काफी नक़ल किया गया। आज के सुपर स्टार शाहरुख़ खान ने राज कपूर के गंवई को ख़ूब अपनाया। राजू बन गया जेंटलमैन जैसी फ़िल्में इसकी गवाह हैं। अनिल कपूर ने एंग्री यंग मैन का चोला ओढ़ने से पहले राज कपूर को ओढ़ा। इन दोनों अभिनेताओं पर तो शुरुआत में राज कपूर की नक़ल करने वाले अभिनेताओं को ठप्पा लग गया था। अब यह बात दीगर है कि बाद में इन दोनों ने दिलीप कुमार के कॉपी कैट अमिताभ बच्चन के एंग्री यंग मैन को गले लगा लिया। तमिल और तेलुगु फिल्मों के एक्टर डायरेक्टर एस जे सूर्या के तो राजकपूर गुरु थे। वह राज कपूर को सबसे बड़ा एंटरटेनर मानते थे। वह चाहते थे कि कभी कोई उनसे कहे कि सूर्या ने राज कपूर जैसा बनने का सबसे अच्छा प्रयास किया।
राज कपूर को काफी नक़ल किया गया। आज के सुपर स्टार शाहरुख़ खान ने राज कपूर के गंवई को ख़ूब अपनाया। राजू बन गया जेंटलमैन जैसी फ़िल्में इसकी गवाह हैं। अनिल कपूर ने एंग्री यंग मैन का चोला ओढ़ने से पहले राज कपूर को ओढ़ा। इन दोनों अभिनेताओं पर तो शुरुआत में राज कपूर की नक़ल करने वाले अभिनेताओं को ठप्पा लग गया था। अब यह बात दीगर है कि बाद में इन दोनों ने दिलीप कुमार के कॉपी कैट अमिताभ बच्चन के एंग्री यंग मैन को गले लगा लिया। तमिल और तेलुगु फिल्मों के एक्टर डायरेक्टर एस जे सूर्या के तो राजकपूर गुरु थे। वह राज कपूर को सबसे बड़ा एंटरटेनर मानते थे। वह चाहते थे कि कभी कोई उनसे कहे कि सूर्या ने राज कपूर जैसा बनने का सबसे अच्छा प्रयास किया।
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श्रद्धांजलि
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
कौन बनेगी मास्टरशेफ ! कैटरीना कैफ या दीपिका पादुकोण !!
विन
डीजल के साथ एक्सएक्सएक्स के बाद दीपिका पादुकोण के खाते में दूसरी हॉलीवुड फिल्म
भी जा सकती है। लेकिन, इस फिल्म को पाने के लिए उन्हें बॉलीवुड में अपनी राइवल
अभिनेत्री कैटरीना कैफ को पछाड़ना होगा। यह वही कैटरीना कैफ हैं, जिनका उस रणबीर
कपूर के साथ गर्मागर्म रोमांस चल रहा है, जो कभी दीपिका पादुकोण के प्रेमी हुआ करते थे। जब भी रणबीर का ज़िक्र होता है तो कैटरीना कैफ और दीपिका पादुकोण के साथ उनका लव ट्रायंगल अपने आप बन जाता है। इस लिए यह हॉलीवुड फिल्म ख़ास हो जाती है। यह फिल्म
अंतर्राष्ट्रीय शो ‘मास्टरशेफ’ पर आधारित होगी। इस फिल्म में हॉलीवुड के ऑस्कर
पुरस्कार विजेता एक्टर कोलिन फ़र्थ और ऑस्कर पुरस्कारों में नामित अभिनेता
बेनेडिक्ट कम्बरबैच एक साथ होंगे। इस फिल्म का टाइटल ‘मास्टरशेफ’ ही रखा गया है। लेकिन, हॉलीवुड के दो बड़े एक्टरों के बावजूद यह फिल्म महिला प्रधान फिल्म है। इसलिए दीपिका पादुकोण और कैटरीना कैफ के लिए यह फिल्म का काफी महत्वपूर्ण हो जाती है। यह फिल्म रोमांटिक कोण के साथ एक महिला शेफ की जीवन
यात्रा है। शेफ की तमाम शूटिंग मुंबई और कुछ भाग कुनूर या दार्जीलिंग में शूट होगी। अगले साल, मई या जून से शुरू होकर फिल्म की शूटिंग ५५ दिनों में पूरी हो जायेगी। क्या दीपिका पादुकोण मास्टरशेफ के रूप में दूसरी हॉलीवुड फिल्म पा सकेंगी या कैटरिना
कैफ उन्हें पछाड़ का मास्टरशेफ बन जायेंगी ? लेकिन, यह मुकाबला इस लिहाज़ से दिलचस्प
नहीं होगा कि मास्टरशेफ दीपिका की दूसरी या कैटरीना कैफ की पहली हॉलीवुड फिल्म
होगी . बल्कि, दिलचस्पी इस बात से होगी कि क्या दीपिका पादुकोण कैटरीना से जीत कर, कैटरीना कैफ द्वारा उनके रणबीर कपूर को चुराने का बदला ले सकेंगी।
राजेंद्र कांडपाल
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हॉलीवुड
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Sunday, 13 December 2015
देर से पद्म विभूषण दिलीप कुमार !
भारत देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज ९३ वर्षीय अभिनेता दिलीप कुमार का उनके घर जा कर पद्मविभूषण से सम्मान किया। दिलीप कुमार को यह सम्मान २०१५ के लिए दिया गया। दिलीप कुमार को, सही तौर पर कहें तो फिल्मों से अलग हुए २४ साल हो गए हैं। सही मायनों में उन्होने कैमरा इससे पहले से ही फेस नहीं किया होगा। उनकी लम्बे समय से बन रही दो फ़िल्में 'कलिंगा' और 'किला' या तो रिलीज़ नहीं हुई या इक्का दुक्का जगहों पर ही हुई। इसका मतलब साफ़ है कि कभी के ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार का फिल्म करियर ख़त्म हो चूका था। ऐसे में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित करने का मतलब ही क्या हुआ। सबसे अधिक पुरस्कार जीतने वाले भारतीय एक्टर के तौर पर गिनेस बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकार्ड्स में अपना नाम दर्ज करा चुके दिलीप कुमार की ट्रेजेडी यह रही कि प्रत्येक सरकारों ने उन्हें मान्यता देने में कजूसी की। १९८० में मुंबई के शेर्रिफ रह चुके दिलीप कुमार को पद्म भूषण तब मिला, जब १९९१ में उनकी आखिरी फिल्म 'सौदागर' रिलीज़ हुई थी। सौदागर की रिलीज़ के तीन साल बाद उन्हें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार मिला। १९९७ में ही पाकिस्तान ने उन्हें निशान ए इम्तियाज़ से नवाज़ा। उसी साल भारत सरकार उन्हें पद्म विभूषण दे देती कुछ और बात होती। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। दिलीप कुमार २०११ से बीमार चल रहे हैं। उनकी हार्ट सर्जरी हो चुकी है। कहाँ नहीं जा सकता कि वह कितना सुन और समझ सकते हैं। ऐसे में दिलीप कुमार का सम्मान देर आयद तो लगता है, दुरुस्त आयद भी है यह उनके प्रशंसक या वह खुद ही बता सकते है।
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हस्तियां
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अजय देवगन बनेंगे डिक्टेटर
अगर सब ठीक रहा तो अजय देवगन एक बार फिर दोहरी भूमिका में नज़र आएंगे। यह फिल्म तेलुगु फिल्म 'डिक्टेटर' का हिंदी रीमेक होगी। डिक्टेटर निर्देशक श्रीवास की एक्शन फिल्म है, जिसमे तेलुगु फिल्मों के सितारे नंदमुरी बालाकृष्णन की ९९वी फिल्म है। बालाकृष्णन तेलुगु फिल्मों के सुपर स्टार और आंध्र प्रदेश के मुख्य मंत्री एन टी रामाराव के बेटे हैं। डिक्टेटर में बालाकृष्णन एक माफिया डॉन और सुपर मार्किट सुपरवाइजर की दोहरी भूमिका में है। डिक्टेटर को तमिल और मलयालम में डब कर रिलीज़ किया जायेगा। डिक्टेटर के निर्माता एरोस इंटरनेशनल को डिक्टेटर की स्क्रिप्ट हिंदी दर्शकों के पसंद के अनुरूप लगी। इसीलिए, इसे हिंदी में भी बनाने का निर्णय किया गया है। इसके लिए अजय देवगन से बात चल रही है। डिक्टेटर का हिंदी में रीमेक फिल्म ही श्रीवास का हिंदी फिल्म डेब्यू होगा । श्रीवास तेलुगु डिक्टेटर की शूटिंग पूरी करने के बाद ही हिंदी डिक्टेटर को शुरू कर सकेंगे। तेलुगु फिल्म में बालाकृष्णन के साथ नायिका की भूमिका अंजलि और सोनल चौहान कर रही हैं। लेकिन, अभी यह तय नहीं है कि अजय देवगन के अपोजिट कौन अभिनेत्री काम करेगी!
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रीमेक
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फिजिकल रिलेशनशिप से पैदा प्रेम कहानियां
वैभव मिश्रा निर्देशित फिल्म 'लवशुदा' गिरीश कुमार और नवोदित अभिनेत्री नवनीत कौर ढिल्लों की आधुनिक प्रेम कहानी है। दोनों लंदन, मॉरीशस और फिर शिमला में मिलते हैं। एक दूसरे को चाहते हैं, लेकिन मिलने पर कुछ दूसरा ही हो जाता है। इस लव स्टोरी में फिजिकल रिलेशनशिप है और उसके बाद का रोमांस है। 'लेकिन', फिल्म के निर्माता विजय गलानी कहते हैं, "हमने इस युवा जोड़े पर एक बेहद खूबसूरत, मगर नई प्रेम कहानी फिल्माई है।' गिरीश कुमार की यह दूसरी फिल्म है। इससे पहले वह प्रभुदेवा की फिल्म 'रमैया वस्तावैया' में श्रुति हासन के अपोजिट काम कर चुके हैं। वैभव मिश्रा और नवनीत कौर ढिल्लों की यह पहली फिल्म है। इस लिहाज़ से 'लवशुदा' मे नवनीत का पूजा का किरदार काफी टफ है। इस फिल्म से नवनीत की अभिनय प्रतिभा की भी परीक्षा होगी।
लिव-इन रिलेशनशिप वाली फिल्मों में अभिनयशीलता ख़ास होती है। निर्देशक निखिल आडवाणी की इस साल रिलीज़ फिल्म कट्टी बट्टी भी लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे युवा जोड़े की दास्तान थी। कंगना रनौत और इमरान खान परदे पर इस जोड़े को कर रहे थे। मैड़ी के साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रह रही पायल एक दिन यकायक गायब हो जाती है। क्या तेज़ तर्रार पायल बेवफा थी ? बकौल इमरान खान, जो खुद दो साल तक अपनी पत्नी अवंतिका के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रहे, 'लिव इन रिलेशनशिप से एक दूसरे को अच्छी तरह से समझ जा सकता है। मैं इसका समर्थन करता हूँ।' अब यह बात दूसरी है कि इमरान खान की कट्टी बट्टी को दर्शकों की दोस्ती नहीं मिली। फिल्म फ्लॉप हुई। हालाँकि, इस फिल्म में कंगना रनौत का भावाभिनय तारीफ के काबिल था।
'लवशुदा' को बॉक्स ऑफिस पर कैसा रिस्पांस मिलता है, पता नहीं। लेकिन, कट्टी बट्टी असफल रही थी। इसका मतलब यह नहीं निकाला जा सकता कि हिंदुस्तान के जवान दिल लिव-इन रिलेशन के खिलाफ है। क्योंकि अब तो सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे मान्यता दे दी है। लेकिन, इससे पहले भी लिव-इन रिलेशन हिंदी फिल्मों में आ गया था। २००५ में रिलीज़ सिद्धार्थ आनंद की फिल्म 'सलाम नमस्ते' ऑस्ट्रेलिया में लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे जोड़े की कहानी थी, जिसमे लड़की इस सम्बन्ध में रहते हुए ही माँ बनती है। इस भूमिका को सैफअली खान और प्रीटी जिंटा ने किया था। यह फिल्म हिट साबित हुई थी। २००९ में सतीश कौशिक ने फिल्म 'तेरे संग' में कुछ ऎसी ही कहानी को शीना शाहाबादी और रुसलान मुमताज़ की टीन जोड़ी पर फिल्माया था। शीना और रुसलान एक दूसरे को प्यार करते हैं। लड़की गर्भवती हो जाती है। दोनों घर इस सम्बन्ध को नहीं मानते। लड़की का एबॉर्शन कराना तय किया जाता है। यह सुन कर दोनों घर से भाग जाते हैं और लिव-इन में रहते हुए अपने बच्चे को पैदा करते हैं।
लिव-इन रिलेशनशिप पर बहुत कम फ़िल्में बनी हैं, तो इसका मतलब यह नहीं कि लिव-इन रिलेशनशिप पर फिल्म स्वीकार नहीं की जा रही। इन फिल्मों के निशाने पर युवा होता है। वह ऎसी फ़िल्में देखने से परहेज नहीं करता। लेकिन, फिल्म को प्रभावशाली ढंग से पेश करना ज़रूरी होता है। इसके लिए कलाकारों का बेहतरीन अदाकार होना ज़रूरी शर्त होती है। 'तेरे संग' की रुसलान मुमताज़ और शीना शाहाबादी की जोड़ी कमज़ोर अभिनय वाली थी। इसलिए, फिल्म दर्शकों को प्रभावित नहीं कर सकी। वहीँ, सलाम नमस्ते मे प्रीटी जिंटा ने दर्शकों को प्रभावित किया था। विषय की नवीनता भी दर्शकों को रास आई थी।
लिव-इन रिलेशनशिप पर बहुत कम फ़िल्में बनी हैं, तो इसका मतलब यह नहीं कि लिव-इन रिलेशनशिप पर फिल्म स्वीकार नहीं की जा रही। इन फिल्मों के निशाने पर युवा होता है। वह ऎसी फ़िल्में देखने से परहेज नहीं करता। लेकिन, फिल्म को प्रभावशाली ढंग से पेश करना ज़रूरी होता है। इसके लिए कलाकारों का बेहतरीन अदाकार होना ज़रूरी शर्त होती है। 'तेरे संग' की रुसलान मुमताज़ और शीना शाहाबादी की जोड़ी कमज़ोर अभिनय वाली थी। इसलिए, फिल्म दर्शकों को प्रभावित नहीं कर सकी। वहीँ, सलाम नमस्ते मे प्रीटी जिंटा ने दर्शकों को प्रभावित किया था। विषय की नवीनता भी दर्शकों को रास आई थी।
नायक नायिका का लिव-इन रिलेशनशिप में रहना आज की बात है। लेकिन, शादी से पहले नायक-नायिका का शारीरिक सम्बन्ध बना लेना हिंदी फिल्मों की कहानी का विषय बनाता रहा है। ऐसा ही एक कथानय फिजिकल रिलेशनशिप के कारण नायिका के गर्भवती होने का भी है। यह विषय बोल्ड ज़रूर है। लेकिन, बॉलीवुड ने इसे समय समय पर अपनाया भी है। हालाँकि, इस सदी की शुरुआत में लिव-इन रिलेशनशिप का चलन युवाओं पर पाश्चात्य सभ्यता के प्रभाव और बॉलीवुड को हॉलीवुड फिल्मों से मिली प्रेरणा का परिणाम था। जहाँ तेरे संग हांगकांग की फिल्म '२ यंग' से प्रेरित थी, वही 'सलाम नमस्ते' हॉलीवुड की क्रिस कोलंबस निर्देशित फिल्म 'नाइन मंथ्स' पर आधारित थी। इस फिल्म में हु ग्रांट और जुलिआने मूर ने सैफ और प्रीटी वाली भूमिकाये की थी। परन्तु, नायिका का नायक पर मुग्ध हो कर खुद को समर्पित कर देना पुरानी बात है।
जब नायिका खुद को नायक को समर्पित कर देती है तो कहानी का ड्रामा शुरू हो जाता है। इस समर्पण के नतीजे में नायिका माँ बन सकती है। जहाँ तक नायिका के बिना शादी के माँ बनने की बात है, १९४३ में रिलीज़ निर्देशक ज्ञान मुख़र्जी की फिल्म 'किस्मत' की नायिका कुंवारी गर्भवती बताई गई थी। यश चोपड़ा ने भी कुँवारी माँ पर दो फ़िल्में बनाई थी। १९५९ में रिलीज़ राजेंद्र कुमार, नंदा और माला सिन्हा अभिनीत फिल्म 'धूल का फूल' में फिजिकल रिलेशनशिप के कारण माला सिन्हा गर्भवती हो जाती है। लेकिन, राजेंद्र कुमार उससे शादी न कर एक दूसरी लड़की नंदा से शादी कर लेता है। माला सिन्हा के अवैध बच्चे को एक मुस्लमान पालता है। इस फिल्म का गीत 'तू हिन्दू बनेगा न मुसलमान बनेगा, इंसान की औलाद है इंसान बनेगा' तब काफी हिट हुआ था। इस फिल्म को नेहरू छाप धर्मनिरपेक्षता से प्रेरित बताया गया था। लेकिन, अगली बार यश चोपड़ा ने इसी विषय को फिल्म 'धर्मपुत्र' में हिन्दू माँ द्वारा पाले गए मुस्लमान बच्चे में बदल दिया था। मुस्लिम माला सिन्हा का रेहमान से प्रेम सम्बन्ध है। वह गर्भवती हो जाती है। लेकिन, ऐन शादी के मौके पर रहमान गायब हो जाता है। माला सिन्हा के अवैध बच्चे को एक हिन्दू परिवार पालता है। बड़ा हो कर यह बच्चा मुस्लिम विरोधी हो जाता है। शशि कपूर ने इस भूमिका को किया था। यश चोपड़ा ने एक कहानी को धर्मों के सहारे एक बार जहाँ धर्म निरपेक्ष बनाया, वहीँ दूसरी बार इसे हिन्दू अतिरेक में तब्दील कर दिया।
हिंदी फिल्मों में नायिका के शादी से पहले सेक्स करने का फ़साना दर्शकों को रास आता रहा है। राजकपूर निर्देशित फिल्म 'बरसात' में निम्मी का किरदार शहरी बाबू प्रेमनाथ के आकर्षण में अपना कौमार्य खो बैठता है। फिल्म अमर में दिलीप कुमार के गाँव के घर में अपने घर से भागी निम्मी शरण लेती है। लेकिन, वकील दिलीप कुमार उससे बलात्कार करता है। जब वह शादी करने के लिए कहती है तो दिलीप कुमार मना कर देता है। फिल्म आराधना एयरफोर्स का एक अधिकारी राजेश खन्ना शर्मीला टैगोर से प्रेम करता है। दोनों एक मंदिर में सांकेतिक शादी भी कर लेते हैं। लेकिन, समाज के सामने शादी करने से पहले ही वह युद्ध में मारा जाता है। शर्मीला टैगोर अपने बच्चे को जन्म देती है और एयरफोर्स का अधिकारी बनाती है। क्या कहना की प्रीटी जिंटा भी सैफ अली खान को अपना सब कुछ समर्पित कर देती है। वह इस समर्पण के स्वरुप होने वाले बच्चे को जन्म देने का निर्णय करती है। इज्ज़त में जयललिता का चरित्र एक ठाकुर से गर्भवती हो जाता है। जिस ठाकुर के बेटे से वह गर्भवती होती है, उस ठाकुर के एक आदिवासी लड़की से फिजिकल रिलेशन के कारण बच्चा भी होता है।
फिजिकल रिलेशनशिप और कुँवारी माँ की कहानियों में नायिका केंद्र में होती है। ऎसी फिल्मों में अभिनेत्री के लिए अभिनय की काफी गुंजायश होती है। निम्मी और माला सिन्हा से लेकर प्रीटी जिंटा और शीना शाहाबादी तक सभी अभिनेत्रियों ने ऎसी भूमिकाएं कर चर्चा खूब पाई। कमोबेश यह सभी स्क्रिप्ट और अभिनेत्री की अभिनय प्रतिभा पर निर्भर करती हैं। इसी कारण से यह फ़िल्में सफल भी होती है। चूंकि, आजकल लिव-इन रिलेशनशिप का ज़माना है, तो अब नायिका हादसे या समर्पण के कारण गर्भवती नहीं होती। इस कहानी में पेंच यहाँ होता है कि नायिका बच्चे को जन्म देकर पालना चाहती है। उसे इसमे समाज की किन बाधाओं का सामना करना पड़ता है, यही फिल्म का यूएसपी होता है। लेकिन, जहां पुरानी फिल्मों का नायक दागा दे देता है या मर जाता है, आज की लिव इन रिलेशनशिप वाली फिल्मों में नायिका के पार्टनर या किसी पुरुष मित्र का साथ हमेशा मिलता है। ज़ाहिर है कि नायिका पहले की तरह अकेली नहीं है।
फिजिकल रिलेशनशिप और कुँवारी माँ की कहानियों में नायिका केंद्र में होती है। ऎसी फिल्मों में अभिनेत्री के लिए अभिनय की काफी गुंजायश होती है। निम्मी और माला सिन्हा से लेकर प्रीटी जिंटा और शीना शाहाबादी तक सभी अभिनेत्रियों ने ऎसी भूमिकाएं कर चर्चा खूब पाई। कमोबेश यह सभी स्क्रिप्ट और अभिनेत्री की अभिनय प्रतिभा पर निर्भर करती हैं। इसी कारण से यह फ़िल्में सफल भी होती है। चूंकि, आजकल लिव-इन रिलेशनशिप का ज़माना है, तो अब नायिका हादसे या समर्पण के कारण गर्भवती नहीं होती। इस कहानी में पेंच यहाँ होता है कि नायिका बच्चे को जन्म देकर पालना चाहती है। उसे इसमे समाज की किन बाधाओं का सामना करना पड़ता है, यही फिल्म का यूएसपी होता है। लेकिन, जहां पुरानी फिल्मों का नायक दागा दे देता है या मर जाता है, आज की लिव इन रिलेशनशिप वाली फिल्मों में नायिका के पार्टनर या किसी पुरुष मित्र का साथ हमेशा मिलता है। ज़ाहिर है कि नायिका पहले की तरह अकेली नहीं है।
लिव-इन रिलेशनशिप क्या ज़रूरी है ? फिल्मों की बात छोड़िये रियल लाइफ में रणबीर कपूर और कटरीना कैफ जैसे उदाहरण बहुत से हैं। महिमा चौधरी तो शादी से पहले ही अपने पार्टनर के बच्चे की माँ बन गई थी। पोर्न स्टार सनी लियॉन भी लिव-इन रिलेशन की वकालत करती हैं। सनी लियॉन खुद जिस समाज में पली बढ़ी हैं, वहां लिव -इन रिलेशनशिप सामान्य बात है। लेकिन, देसी (भारतीय) माहौल में लिव-इन रिलेशनशिप के समर्थन में उनके तर्क दूसरे हैं। वह कहती हैं, "युवाओं में प्यार की परिभाषा लगातार बदलती रहती है। इसलिए, लिव-इन रिलेशनशिप कोई बड़ी बात नहीं।"
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Saturday, 12 December 2015
राष्ट्रपति के उपयुक्त नहीं लगे थे रोनाल्ड रीगन
यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका के ४० वे राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन, कभी फिल्म अभिनेता हुआ करते थे। वह १९३७ से हॉलीवुड के स्टूडियो वार्नर ब्रदर्स की फिल्मों में अभिनय के लिए सात साल के कॉन्ट्रैक्ट से बंधे । वह १९३९ तक बेट्टे डेविस और हम्फ्रे बोगर्ट के साथ 'डार्क विक्ट्री' जैसी १९ फिल्मों में अभिनय कर चुके थे। लेकिन, उन्हें स्टार बनाया फिल्म किंग रो ने। लेकिन, इस फिल्म के ठीक बाद उन्हें अनिवार्य सैन्य सेवा के लिए उपलब्ध होना पड़ा। दूसरे विश्व युद्ध के बाद वह फिर फिल्मों में वापस आये। इस दौर की उनकी उल्लेखनीय फिल्मों में द वौइस् ऑफ़ द टर्टल, जॉन लव्स मैरी, द हेस्टी हार्ट, बेडटाइम फॉर बोन्ज़ो, कैटल क्वीन ऑफ़ मोंताना, टेनेसी'ज पार्टनर, हेलकैट्स ऑफ़ द नेवी, आदि ख़ास हैं। फिल्म हेलकैट्स ऑफ़ द नेवी में वह अपनी पत्नी नैंसी रीगन के नायक थे। द किलर्स में उन्होंने एक विलेन की भूमिका की थी। २० जनवरी १९८१ को अमेरिका के प्रेजिडेंट बने। लेकिन, आपको यह जान कर आश्चर्य होगा कि बतौर अभिनेता उनमे राष्ट्रपति के योग व्यक्तित्व नहीं पाया गया था। यह १९६० की बात है। एक नाटक 'द बेस्ट मैन' खेला जाने वाला था। गोर विडाल का लिखा यह नाटक राष्ट्रपति चुनाव के इर्दगिर्द बना गया था, जिसमे एक ईमानदार कैंडिडेट और एक बेईमान कैंडिडेट का मुक़ाबला था। इस नाटक को छह टोनी अवार्ड्स मिले थे। १९६४ में इस नाटक पर एक फिल्म भी बनाई गई थी। इस नाटक के प्रोडूसर के सामने जब रोनाल्ड रीगन का नाम गया तो उन्होंने रीगन को पूरी तरह से नकार दिया कि उनमे प्रेजिडेंट जैसा लुक नहीं है, इसलिए वह दर्शकों को विश्वसनीय नहीं लगेंगे । अब यह बात दीगर कि नाटक के प्रेजिडेंट के लिए नकारे गए रोनाल्ड रीगन एक बार नहीं दो दो बार अमेरिका के राष्ट्रपति बने।
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कौन होगा बॉक्स ऑफिस का बादशाह और टाइगर !
२०१५ ख़त्म होने को है। खान अभिनेताओं - आमिर खान, शाहरुख़ खान और सलमान खान की उम्र में एक एक साल का इजाफा हो चूका है। आमिर खान अगले साल १४ मार्च को फिफ्टी प्लस के अभिनेता बन जायेंगे। शाहरुख़ खान भी फिफ्टी प्लस के हैं। सलमान खान २७ दिसंबर को फिफ्टी के हो जायेंगे। साफ़ है कि अब यह काफी उम्र के हो गए हैं। अपनी से आधी उम्र की अभिनेत्री के साथ रोमांस लड़ाना इन्हे फबता नहीं। इसके बावजूद यह खान अभिनेता रोमांस पे रोमांस दे मारे हैं। सलमान खान अभी दिवाली में ३० साल की सोनम कपूर के साथ रोमांस कर प्रेम रतन धन पायो की झोली में १०० करोड़ गिरवा चुके हैं। शाहरुख़ खान ने ३१ साल की दीपिका पादुकोण के साथ रोमांस लड़ा लड़ा कर 'चेन्नई एक्सप्रेस' और 'हैप्पी न्यू ईयर' जैसी हिट फ़िल्में दी हैं। आमिर खान की फिल्म 'पीके' की नायिका अनुष्का शर्मा मात्र २७ साल की हैं। धूम ३ की कैटरिना कैफ भी ३२ साल की हैं। उम्र के इतने फासले के बावजूद इन्हे बेमेल जोड़ा नहीं समझा जा रहा। दर्शक इनकी फ़िल्में देख रहे हैं।
बेमेल जोड़ी बनाने के बावजूद खान अभिनेता लोकप्रिय हैं। इनकी फिल्मों को दर्शक मिलते हैं। यह अभिनेता एक्शन भी करते हैं और रोमांस भी लड़ाते हैं। यह इन खान अभिनेताओं की स्टार पावर ही है कि इन अभिनेताओं की फिल्म लगते ही दर्शक सिनेमाघरों में टूट पड़ते हैं। ऎसी फ़िल्में दर्शकों के लिए फेस्टिवल सेलिब्रेशन जैसा माहौल ले आती हैं। बॉक्स ऑफिस पर जितने दर्शक किसी सलमान खान, शाहरुख़ खान या आमिर खान की फिल्म को जुटते हैं, उतने किसी भी अभिनेता की फिल्म के लिए नहीं जुटते। टॉप ग्रॉसिंग १० फिल्मों के चार्ट पर नज़र डालें तो आठ फिल्मों के नायक खान अभिनेताओं में से कोई नज़र आता है। आमिर खान और सलमान खान की तीन तीन फ़िल्में इस चार्ट में हैं। बाकी दो फ़िल्में शाहरुख़ खान की हैं। टॉप पर काबिज़ आमिर खान की फिल्म 'पीके' का वर्ल्डवाइड कलेक्शन ७३५ करोड़ का है। सलमान खान की फिल्म बजरंगी भाईजान ६२६ करोड़ के कलेक्शन के साथ दूसरी पायदान पर है। धूम ३ ने ५४२ करोड़, चेन्नई एक्सप्रेस ने ४२३ करोड़, प्रेम रतन धन पायो ४०० करोड़, ३ इडियट्स ३९५ करोड़, हैप्पी न्यू ईयर ३८३ करोड़ और किक ३७७ करोड़ का कलेक्शन कर चुकी हैं ।
इससे साफ़ है कि बॉलीवुड में सबसे ज़्यादा सफल अभिनेता यही तीन हैं। लेकिन, यह तीनों अभिनेता, ख़ास कर शाहरुख़ खान और सलमान खान, अपनी इमेज को भुना रहे हैं। इनकी फ़िल्में और इनिशियल पर डिपेंड करती हैं। आम तौर पर इन तीनों खानों की फ़िल्में तीन हजार से चार हजार प्रिंट्स में रिलीज़ होती हैं। प्रेम रतन धन पायो तो ४००० प्लस प्रिंट में रिलीज़ हुई थी। इनका बिज़नेस पहले वीकेंड पर टिका होता है। वीकडेस में यह फ़िल्में धड़ाम हो जाती हैं। 'प्रेम रतन धन पायो' का बिज़नेस तो वीकेंड में संडे को ही गिर गया था। आमिर खान की फिल्म ३ इडियट्स और पीके ही वीकडेस को होल्ड कर पाई थी। इससे ज़ाहिर है कि दर्शक इनकी स्टार पावर के कारण और इनका प्रशंसक होने के कारण सिनेमाघर तक जाता है। लेकिन, फिल्म में कुछ ख़ास न होने पर वह फिल्म से मुंह मोड़ लेता है। यानि, दर्शक कंटेंट पर आधारित फिल्म को तवज्जो देने लगा है।
ऐसे में खान अभिनेताओं के अलावा अभिनेताओं की खोज ज़रूरी हो जाती हैं। यह कहना ठीक नहीं होगा कि सभी निर्माता इन तीन खान अभिनेताओं को लेना चाहते हैं। इसके दो कारण है। सभी निर्माताओं के पास इन तीन अभिनेताओं की फीस भरने लायक रकम नहीं जुटती। दूसरी बात यह अभिनेता कितने निर्माताओं की फ़िल्में करेंगे और कब शूट करेंगे। आमिर खान साल में एक फिल्म के फ्रॉमूला पर चल रहे हैं। सलमान खान की व्यस्तता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह अपने भाई अरबाज़ खान की फिल्म दबंग ३ के लिए तारीखे एलाट नहीं कर पा रहे हैं। जबकि, बॉलीवुड हर साल २०० से ज़्यादा फिल्मों का निर्माण करता है। पिछले साल २०१४ में २०१ हिंदी फ़िल्में रिलीज़ हुई थी। ऐसे में नए अभिनेताओं की खोज ज़रूरी हो जाती है।
ऐसा नहीं है कि दर्शक किसी सलमान, शाहरुख़ या आमिर की फिल्म ही देखना चाहते हैं। इस साल आमिर खान की कोई फिल्म रिलीज़ नहीं होगी। शाहरुख़ खान की इकलौती फिल्म 'दिलवाले' १८ दिसंबर को रिलीज़ हो रही है। सलमान खान की रिलीज़ दो फ़िल्में १०० करोड़ क्लब में शामिल है। इसके बावजूद इस साल बॉलीवुड की दो फ़िल्में तनु वेड्स मनु रिटर्न्स और एबीसीडी २ मशहूर सौ करोडिया क्लब में शामिल हो चुकी है। तनु वेड्स मनु रिटर्न्स की नायिका कंगना रनौत के वजह से फिल्म हिट हुई। एबीसीडी २ में वरुण धवन और श्रद्धा शर्मा ही जमे जमाये चहरे थे। तीन फ़िल्में अक्षय कुमार की फिल्म बेबी और सिंह इज़ ब्लिंग तथा जॉन अब्राहम की फिल्म 'वैलकम बैक' ने ९० करोड़ से अधिक का बिज़नेस किया। ऐसे में दर्शकों को खान अभिनेताओं को विकल्प दिया जा सकता है। यह विकल्प सस्ता भी होगा और प्रोडूसर के लिए फायदेमंद भी।
तब कौन चेहरा या कौन कौन से चेहरे इन तीन खानों की जगह ले सकते हैं? अगर किसी अभिनेता को खान अभिनेताओं के जूते पर पैर घुसेड़ने को कहा जायेगा तो मामला मिसफिट का हो जायेगा। कोई अभिनेता हू-ब- हू किसी दूसरे अभिनेता की जगह नहीं ले सकता। मौलिकता बेहद ज़रूरी है। इस लिहाज़ से कुछ चहरे घूमते हैं। इस साल अक्षय कुमार की चार फिल्मों बेबी, सिंह इज़ ब्लिंग, गब्बर इज़ बैक और ब्रदर्स ने ठीक ठाक बिज़नेस किया था। वह खुद को इमेज से हटा कर हिट फ़िल्में देने वाले अभिनेता हैं। यह खासियत किसी सलमान खान या शाहरुख़ खान में नहीं है। ह्रितिक रोशन टॉप पर जा सकते थे। लेकिन, उनका इमेज से न बंधने का इरादा, उनके स्टारडम के आड़े आता है। हालाँकि टॉप ग्रॉसर दस फिल्मों में शेष दो फ़िल्में 'बैंग बैंग' और 'कृष ३' ह्रितिक रोशन की ही हैं। वह खान अभिनेताओं जैसे लोकप्रिय भी हैं। हालाँकि, इस साल रणबीर कपूर 'बॉम्बे वेलवेट' जैसी १०० करोडिया असफलता दे चुके हैं। इसके बावजूद वह सबसे ज़्यादा प्रतिभाशाली और प्रशंसक रखने वाले अभिनेता हैं। अजय देवगन भी विश्वसनीय अभिनेता हैं। जहाँ तक अभिनेताओं की नई खेप का सवाल है. फिलहाल रणवीर सिंह, वरुण धवन, अर्जुन कपूर, सिद्धार्थ मल्होत्रा, सुशांत सिंह राजपूत, आदि ही विश्वसनीय नाम लगते हैं। रणवीर सिंह और वरुण धवन बड़ी फिल्मों के नायक बन रहे हैं। रणवीर सिंह की फिल्म 'बाजीराव मस्तानी' और वरुण धवन की फिल्म 'दिलवाले' १८ दिसंबर को रिलीज़ होगी। ख़ास बात यह है कि जहाँ रणवीर 'बाजीराव मस्तानी' के नायक हैं, वहीँ वरुण धवन 'दिलवाले' में सह नायक हैं। रणवीर सिंह 'दिल धड़कने दो' जैसी बड़ी फ्लॉप फिल्म के नायक रहे हैं। परन्तु, वरुण धवन ने इस साल दो हिट फ़िल्में 'एबीसीडी २' और 'बदलापुर' दी है। यह दोनों अभिनेता आगे चल कर अलग अलग भूमिकाओं में पकड़ बना सकते हैं। सुशांत सिंह राजपूत हर प्रकार की फ़िल्में कर रहे हैं। वह हरफनमौला अभिनेता साबित हो सकते हैं। भविष्य में कौन अभिनेता खान तिकड़ी की जगह लेगा, यह बड़ा सवाल है। इसलिए, जवाब मिलने तक खान अभिनेताओं के साथ अक्षय कुमार, ह्रितिक रोशन और अजय देवगन की फिल्मों से ही संतोष करना होगा।
बेमेल जोड़ी बनाने के बावजूद खान अभिनेता लोकप्रिय हैं। इनकी फिल्मों को दर्शक मिलते हैं। यह अभिनेता एक्शन भी करते हैं और रोमांस भी लड़ाते हैं। यह इन खान अभिनेताओं की स्टार पावर ही है कि इन अभिनेताओं की फिल्म लगते ही दर्शक सिनेमाघरों में टूट पड़ते हैं। ऎसी फ़िल्में दर्शकों के लिए फेस्टिवल सेलिब्रेशन जैसा माहौल ले आती हैं। बॉक्स ऑफिस पर जितने दर्शक किसी सलमान खान, शाहरुख़ खान या आमिर खान की फिल्म को जुटते हैं, उतने किसी भी अभिनेता की फिल्म के लिए नहीं जुटते। टॉप ग्रॉसिंग १० फिल्मों के चार्ट पर नज़र डालें तो आठ फिल्मों के नायक खान अभिनेताओं में से कोई नज़र आता है। आमिर खान और सलमान खान की तीन तीन फ़िल्में इस चार्ट में हैं। बाकी दो फ़िल्में शाहरुख़ खान की हैं। टॉप पर काबिज़ आमिर खान की फिल्म 'पीके' का वर्ल्डवाइड कलेक्शन ७३५ करोड़ का है। सलमान खान की फिल्म बजरंगी भाईजान ६२६ करोड़ के कलेक्शन के साथ दूसरी पायदान पर है। धूम ३ ने ५४२ करोड़, चेन्नई एक्सप्रेस ने ४२३ करोड़, प्रेम रतन धन पायो ४०० करोड़, ३ इडियट्स ३९५ करोड़, हैप्पी न्यू ईयर ३८३ करोड़ और किक ३७७ करोड़ का कलेक्शन कर चुकी हैं ।
इससे साफ़ है कि बॉलीवुड में सबसे ज़्यादा सफल अभिनेता यही तीन हैं। लेकिन, यह तीनों अभिनेता, ख़ास कर शाहरुख़ खान और सलमान खान, अपनी इमेज को भुना रहे हैं। इनकी फ़िल्में और इनिशियल पर डिपेंड करती हैं। आम तौर पर इन तीनों खानों की फ़िल्में तीन हजार से चार हजार प्रिंट्स में रिलीज़ होती हैं। प्रेम रतन धन पायो तो ४००० प्लस प्रिंट में रिलीज़ हुई थी। इनका बिज़नेस पहले वीकेंड पर टिका होता है। वीकडेस में यह फ़िल्में धड़ाम हो जाती हैं। 'प्रेम रतन धन पायो' का बिज़नेस तो वीकेंड में संडे को ही गिर गया था। आमिर खान की फिल्म ३ इडियट्स और पीके ही वीकडेस को होल्ड कर पाई थी। इससे ज़ाहिर है कि दर्शक इनकी स्टार पावर के कारण और इनका प्रशंसक होने के कारण सिनेमाघर तक जाता है। लेकिन, फिल्म में कुछ ख़ास न होने पर वह फिल्म से मुंह मोड़ लेता है। यानि, दर्शक कंटेंट पर आधारित फिल्म को तवज्जो देने लगा है।
ऐसे में खान अभिनेताओं के अलावा अभिनेताओं की खोज ज़रूरी हो जाती हैं। यह कहना ठीक नहीं होगा कि सभी निर्माता इन तीन खान अभिनेताओं को लेना चाहते हैं। इसके दो कारण है। सभी निर्माताओं के पास इन तीन अभिनेताओं की फीस भरने लायक रकम नहीं जुटती। दूसरी बात यह अभिनेता कितने निर्माताओं की फ़िल्में करेंगे और कब शूट करेंगे। आमिर खान साल में एक फिल्म के फ्रॉमूला पर चल रहे हैं। सलमान खान की व्यस्तता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वह अपने भाई अरबाज़ खान की फिल्म दबंग ३ के लिए तारीखे एलाट नहीं कर पा रहे हैं। जबकि, बॉलीवुड हर साल २०० से ज़्यादा फिल्मों का निर्माण करता है। पिछले साल २०१४ में २०१ हिंदी फ़िल्में रिलीज़ हुई थी। ऐसे में नए अभिनेताओं की खोज ज़रूरी हो जाती है।
ऐसा नहीं है कि दर्शक किसी सलमान, शाहरुख़ या आमिर की फिल्म ही देखना चाहते हैं। इस साल आमिर खान की कोई फिल्म रिलीज़ नहीं होगी। शाहरुख़ खान की इकलौती फिल्म 'दिलवाले' १८ दिसंबर को रिलीज़ हो रही है। सलमान खान की रिलीज़ दो फ़िल्में १०० करोड़ क्लब में शामिल है। इसके बावजूद इस साल बॉलीवुड की दो फ़िल्में तनु वेड्स मनु रिटर्न्स और एबीसीडी २ मशहूर सौ करोडिया क्लब में शामिल हो चुकी है। तनु वेड्स मनु रिटर्न्स की नायिका कंगना रनौत के वजह से फिल्म हिट हुई। एबीसीडी २ में वरुण धवन और श्रद्धा शर्मा ही जमे जमाये चहरे थे। तीन फ़िल्में अक्षय कुमार की फिल्म बेबी और सिंह इज़ ब्लिंग तथा जॉन अब्राहम की फिल्म 'वैलकम बैक' ने ९० करोड़ से अधिक का बिज़नेस किया। ऐसे में दर्शकों को खान अभिनेताओं को विकल्प दिया जा सकता है। यह विकल्प सस्ता भी होगा और प्रोडूसर के लिए फायदेमंद भी।
तब कौन चेहरा या कौन कौन से चेहरे इन तीन खानों की जगह ले सकते हैं? अगर किसी अभिनेता को खान अभिनेताओं के जूते पर पैर घुसेड़ने को कहा जायेगा तो मामला मिसफिट का हो जायेगा। कोई अभिनेता हू-ब- हू किसी दूसरे अभिनेता की जगह नहीं ले सकता। मौलिकता बेहद ज़रूरी है। इस लिहाज़ से कुछ चहरे घूमते हैं। इस साल अक्षय कुमार की चार फिल्मों बेबी, सिंह इज़ ब्लिंग, गब्बर इज़ बैक और ब्रदर्स ने ठीक ठाक बिज़नेस किया था। वह खुद को इमेज से हटा कर हिट फ़िल्में देने वाले अभिनेता हैं। यह खासियत किसी सलमान खान या शाहरुख़ खान में नहीं है। ह्रितिक रोशन टॉप पर जा सकते थे। लेकिन, उनका इमेज से न बंधने का इरादा, उनके स्टारडम के आड़े आता है। हालाँकि टॉप ग्रॉसर दस फिल्मों में शेष दो फ़िल्में 'बैंग बैंग' और 'कृष ३' ह्रितिक रोशन की ही हैं। वह खान अभिनेताओं जैसे लोकप्रिय भी हैं। हालाँकि, इस साल रणबीर कपूर 'बॉम्बे वेलवेट' जैसी १०० करोडिया असफलता दे चुके हैं। इसके बावजूद वह सबसे ज़्यादा प्रतिभाशाली और प्रशंसक रखने वाले अभिनेता हैं। अजय देवगन भी विश्वसनीय अभिनेता हैं। जहाँ तक अभिनेताओं की नई खेप का सवाल है. फिलहाल रणवीर सिंह, वरुण धवन, अर्जुन कपूर, सिद्धार्थ मल्होत्रा, सुशांत सिंह राजपूत, आदि ही विश्वसनीय नाम लगते हैं। रणवीर सिंह और वरुण धवन बड़ी फिल्मों के नायक बन रहे हैं। रणवीर सिंह की फिल्म 'बाजीराव मस्तानी' और वरुण धवन की फिल्म 'दिलवाले' १८ दिसंबर को रिलीज़ होगी। ख़ास बात यह है कि जहाँ रणवीर 'बाजीराव मस्तानी' के नायक हैं, वहीँ वरुण धवन 'दिलवाले' में सह नायक हैं। रणवीर सिंह 'दिल धड़कने दो' जैसी बड़ी फ्लॉप फिल्म के नायक रहे हैं। परन्तु, वरुण धवन ने इस साल दो हिट फ़िल्में 'एबीसीडी २' और 'बदलापुर' दी है। यह दोनों अभिनेता आगे चल कर अलग अलग भूमिकाओं में पकड़ बना सकते हैं। सुशांत सिंह राजपूत हर प्रकार की फ़िल्में कर रहे हैं। वह हरफनमौला अभिनेता साबित हो सकते हैं। भविष्य में कौन अभिनेता खान तिकड़ी की जगह लेगा, यह बड़ा सवाल है। इसलिए, जवाब मिलने तक खान अभिनेताओं के साथ अक्षय कुमार, ह्रितिक रोशन और अजय देवगन की फिल्मों से ही संतोष करना होगा।
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फिल्म पुराण
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
द साइलंट हीरोज एक इमोशनल एडवेंचर फिल्म है- महेश भट्ट
फिल्म द साइलेंट हीरोज १३ मूक बधिर बच्चों पर आधारित फिल्म। यह फिल्म 11 दिसंबर को रिलीज
होने जा रही है । इस फिल्म की कहानी भावनात्मक तो है ही प्रेरणादायक दी है। फिल्म
के बारे में तफ्सील से बता रहे हैं डायरेक्टर महेश भट्ट। यहाँ बताते चलें कि 'ये' 'वो' महेश भट्ट नहीं है, जो हॉरर फ्रैंचाइज़ी फ़िल्में बनाते हैं। यह महेश भट्ट उत्तराखंड से हैं। उनकी फिल्म 'द साइलेंट हीरोज' की शूटिंग भी उत्तराखंड में ही हुई है। पेश हैं उनसे बातचीत-
द साइलेंट हीरोज जैसा सब्जेक्ट चुनने की वजह?
मैं मूक बधिर बच्चों के एक स्कूल में डाक्यूमेंट्री फिल्म शूट कर रहा था। शूटिंग के दौरान मैंने महसूस किया कि
जिन्हें हम बेचारा या डेफ कहते हैं, वे हमसे ज्यादा समझदार और ज्यादा सक्षम हैं।
उनका दिमाग हमसे कहीं स्ट्रांगली काम करता
है। उनके माता पिता भी उन्हें अलग नजर से देखते हैं। ऐसे में मेरे मन में विचारा
आया कि क्यों न इस सब्जेक्ट पर फिल्म बनाई जाए ताकि लोगों का नजरिया बदले। इनको
देखे तो लोग सिर उठा कर देखे। दूसरी अहम बात मुझे एक साफ सुथरी फिल्म बनानी थी
और इससे बेहतर हो नहीं सकती थी। फिर मैंने सोचा कि क्यों न मैं उत्तराखंड की पृष्टभूमि
पर फिल्म शूट की जाए जिससे उत्तराखंड टूरिज्म को बढ़ावा भी मिले।
द साइलेंट हीरोज जोखिम भरा प्रोजेक्ट नहीं ?
बिलकुल इस फिल्म में सब नॉन स्टार्स काम कर रहे है। न कोई नामी गिरामी
हीरोइन है न हीरो। इसमें सब कुछ नया है । यह एक थीम बेस्ड फिल्म है।
मुझे उम्मीद है यह फिल्म अपना प्रभाव जरूर छोड़ेगी।
फिल्म के 13 मूक बधिर कलाकारों का चुनाव कैसे किया ?
मुझे कुछ मूक बधिक यानि डेफ बच्चों की जरुरत थी। ऐसे में मैं देहरादून के एक
इंस्टीटूट में गया।मैंने अपनी बात
रखी। स्कूल की प्रिंसिपल राजी हो गईं। लेकिन यह इतना सरल भी नहीं था। ऐसे में करीब 6 महीने तक इन बच्चों की कक्षा में जाकर चुपचाप बैठ जाता था और उनको देखता
था की उनका व्यवहार कैसा है, वो
आपस में कैसे बात करते हैं। जब सब कुछ तय हो गया तो सोंच कैमरा वो कैसे फेस
करेंगे। क्योंकि मैं एक्शन बोलूंगा तो उनको तो पता ही नहीं कि एक्शन क्या होता है, उन्हें तो इशारों में बोलना होता था तो तब
एक आदमी कैमरा के नीचे छिप कर उनको इशारो
में समझाता था तब जाकर शूटिंग संभव हो पाई। शूटिंग छह महीने में पूरी हो पाई ।
अपने बाॅलीवुड तक के लम्बे सफर के बारे में कुछ बताएं ?
मुझे इस सफर में लगभग बीस साल हो गए हैं। मैंने उत्तरारखंड के कई ज्वलंत मुद्दों पर छोटी-छोटी
फिल्में बनाई हैं जैसे पर्यावरण, पानी
बचाओ, बालिका शिक्षा, वन प्रबंधन, आदि। मैं इन फिल्मों को जब
गांव-गांव जाकर दिखता था,
उनका रिस्पांस
देखकर मुझे लगता था कि शायद बदलाव आएगा। लेकिन वह बदलाव मुझे दिखा नहीं। इसलिए मैंने अपनी बात बड़े परदे के माध्यम से कहने
की कोशिश की है, ताकि जहां से मेरी आवाज क्षेत्रीय न होकर राष्ट्रीय हो जाए।
फिल्म के लिए क्या रिसर्च की !
करीब डेढ़ साल तक कहानी पर काम किया है । मैंने रिसर्च करने के बाद पाया कि हममें और उनमें बहुत ज्यादा फर्क नहीं है। हमनें फिल्म
में समानता की बात की है। उन्हें जो लोग भी डिसेबल कहते हैं, वह सही नहीं हैं।
फिल्म वास्तिविक
दिखे इसके लिए आपने क्या कुछ किया?
फिल्म में काम कर रहे 13
बच्चे सचमुच में मूक-बधिर ही हैं। ये
दुनिया की पहली फिल्म है जो ओपन कैप्सन के
साथ रिलीज हो रही है, जिससे पहली बार मूक-बधिर बच्चे भी थियेटर
में फिल्म देखने का आनन्द उठा सकेंगे। ये दुनिया भर की डैफ कम्यूनिटी के लिए एक
ग्लोबल फिल्म है। फिल्म को वास्तविकता के करीब ले जाने लिए इसे सिंक साउंड में शूट किया गया है। अर्थात सभी सांउड को लोकेशन में ही रिकार्ड किया गया है। फिल्म की शूटिंग हिमालयी प्रदेश उत्तराखण्ड के पर्वतीय क्षेत्र में की गयी है।
आप
क्या मैसेज देना चाहते हैं?
मैं चाहता हूँ कि समाज इन मूक-बधिर बच्चों को विकलांग
ना समझे, बल्कि यह तो कई मायनों में ये हमसे श्रेष्ठ हैं। इसलिए स्पेशल हैं। इंडीपेंडेट
सिनेमा की ये एक कैम्पेन फिल्म है, जो मनोरंजन के साथ ही एक अलग समाज और संवाद की
दुनिया से परिचय कराती है। यह सन्देश देती है कि अगर ठान लीजिये तो कुछ भी नामुमकिन नहीं ।
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महेश भट्ट,
साक्षात्कार
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
बदलते इंसानी जीवन की यात्रा : ब्लू माउंटेन्स
निर्देशक सुमन गांगुली की फिल्म 'ब्लू माउंटेन्स' इंसान की जीवन यात्रा और संवेगों की तुलना नीले पहाड़ से करती है, जो बदलते मौसम के साथ रंग बदलता है। फिल्म की कहानी रणवीर शोरी के चरित्र ओम के इर्दगिर्द घूमती है। टैलेंट हंट में ओम का चुनाव हो जाता है। वह गायक बनने की प्रक्रिया में है। उधर उसकी पूर्व गायिका माँ अपने अधूरे सपने अपने बेटे पर लादती चली जाती है। इस फिल्म माँ निर्माण राजेश जैन और सरजू कुमार आचार्य ने किया है। इस फिल्म को हैदराबाद में हुए १९वे चिल्ड्रन फिल्म फेस्टिवल में 'ब्लू माउंटेन्स' को गोल्डन एलीफैंट अवार्ड मिला है। इस फिल्म में रणवीर शोरी, ग्रेसी सिंह, राजपाल यादव, यथार्थ रत्नम, सिमरन शर्मा, महेश ठाकुर और ऋषभ शर्मा ने अभिनय किया है। पिछले दिनों, इस फिल्म का प्रेस शो और स्टार मीट आयोजित की गई। जिसमे फिल्म के सितारों के अलावा परीक्षित साहनी भी पहुंचे। 'ब्लू माउंटेन्स' अगले साल रिलीज़ की जाएगी।
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ब्लू माउंटेन्स
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
फिर 'तेरे बिन लादेन---'
२०१० में रिलीज़ राजनीतिक व्यंग्य फिल्म 'तेरे बिन लादेन' स्लीपर हिट फिल्म साबित हुई थी। वॉकवाटर मीडिया की ६ करोड़ के मामूली बजट से बनी इस फिल्म ने १५ करोड़ का बिज़नेस किया था । अभिषेक शर्मा निर्देशित यह फिल्म आज भी श्रेष्ठ व्यंग्य फिल्मों में शुमार की जाती है। अब एक बार फिर, वॉकवाटर मीडिया और अभिषेक शर्मा की जोड़ी अगले साल १९ फरवरी को इस फिल्म का सीक्वल 'तेरे बिन लादेन- डेड ऑर अलाइव' ले कर आ रही है। २०१० की फिल्म में रिपोर्टर की भूमिका करने वाले अली ज़फर इस बार ख़ास भूमिका में होंगे। मुख्य भूमिका में मनीष पॉल और सिकंदर आ गए हैं। अभिनेता प्रद्युम्न सिंह ने पिछली फिल्म में ओसामा बिन लादेन के हमशक्ल नूरा की हास्य भूमिका की थी। इस बार भी वह इसी अवतार में नज़र आएंगे।पिछले दिनों फिल्म 'तेरे बिन लादेन- डेड ऑर अलाइव' का फर्स्ट लुक रिलीज़ हुआ। इस मौके पर निर्देशक अभिषेक शर्मा ने अपनी फिल्म को ओरिजिनल सीक्वल फिल्मों में से सबसे ज़्यादा ओरिजिनल फिल्म बताया। वह कहते हैं, "यह पहली ऎसी सीक्वल फिल्म है, जिसकी कहानी पहली फिल्म की कहानी से जुडी हुई है, लेकिन ठीक उसी जगह से नहीं शुरू होती, जहाँ पहली फिल्म ख़त्म हुई थी। आप इस फिल्म को परंपरागत सीक्वल फिल्म नहीं कह सकते।" फिलहाल, 'तेरे बिन लादेन- डेड ऑर अलाइव' की टीम को फिल्म की रिलीज़ के बाद दर्शकों के रिस्पांस का इंतज़ार है। क्या पहली फिल्म की तरह सीक्वल फिल्म भी हिट होगी ? वैसे पहली फिल्म के कारण दूसरी फिल्म से उम्मीदें ज़्यादा बन जाती हैं। फिल्म का वितरण अनुराग कश्यप की कंपनी फैंटम फिल्म कर रही है।
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अनुराग कश्यप,
अभिषेक शर्मा,
तेरे बिन लादेन,
फैंटम फिल्म्स,
ये ल्लों !!!
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Thursday, 10 December 2015
अनिल कपूर द्वारा कबीर बेदी के प्रतिष्ठित अंतराष्ट्रीय टीवी धारावाहिक 'संदोकन' की डीवीडी हुई लांच
भारत के पहले अंतरष्ट्रीय अभिनेता कबीर बेदी ने अपने विश्व विख्यात टीवी धारावाहिक की डीवीडी सेट भारत में लांच किया हैं।
सुपर हिट अंतराष्ट्रीय टीवी सीरीज 'संदोकन' में कबीर बेदी ने मुख्य भुमिका निभाई है। 70 के दशक में यह सीरीज यूरोप और लैटिन अमेरिका में तूफ़ान की तरह छाई हुई थी। इसी 6 घंटे की सीरीज को हिंदी में डब करके डीवीडी के रूप में रिलीज़ किया जा रहा है। 'संदोकान' जैसे महाकाव्य साहसिक और रोमांस नाटक की डीवीडी बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता अनिल कपूर द्वारा लांच किया गया। अन्तर्ष्टीय टीवी शो '24' के रीमेक को भारत तक लाने वाले अनिल कपूर ने इस मौके पर 'संदोकन' और कबीर बेदी का समर्थन करते हुए इस महफ़िल की शोभा बढ़ाई ।
'संदोकन' एशियाई राजकुमार की कहानी है जो अपने देश और प्रेमिका को ब्रिटिश साम्राज्य से मुखता करने के लिए समुद्री डाकू बन जाता है, जिसकी भूमिका कबीर बेदी ने निभाई है। यह साहसिक, कार्रवाई, दोस्ती, विश्वासघात और एक असंभव प्रेम-कहानी की गाथा है।इस शो ने कबीर बेदी को रात को रात इटली, फ्रांस और जर्मन जैसे महाद्वीपों का सुपरस्टार बना दिया था और लैटिन अमेरिका में एक नया रिकॉर्ड कायम किया था।
भारत देश के पहले अंतरष्ट्रीय अभिनेता कबीर बेदी को हाल ही में उनके यूरोपियन टीवी शो 'संदोकान' के लिए 'रोम फिक्शन टीवी फेस्टिवल' में सम्मानित किया गया है। कबीर बेदी भारत के पहले अभिनेता है जिन्होंने विदेशों में अपनी लोकप्रियता हासिल की है। कबीर 'ऑक्टोपस्सी' और 'बोल्ड एंड द ब्यूटीफुल' जैसी कई हॉलीवुड फिल्मों में काम कर चुके हैं। यह 'संदोकन' ही था ही था जिसने कबीर बेदी के एक्टिंग करियर में चार चांद लगा दिए। 40 वर्ष बीतने बाद भी इस शो लोकप्रियता आज भी बरकरार है। यह टीवी सीरीज एमिलो सलगरी के काल्पनिक किरदार पर आधारित है। 'संदोकन' के इस कलेक्टर्स एडिशन के डीवीडी सेट में दर्शकों के लिए ख़ास हिंदी डब हुई 'संदोकान' टीवी सीरीज के डीवीडी के साथ 'संदोकन' के लिए रचा गया हिंदी गाना भी है।
इस अवसर पर अपनी ख़ुशी ज़ाहिर करते हुए कबीर बेदी ने कहा है ' मुझे बेहद ख़ुशी है की मेरे भारत देश वो चीज़ देखने का अवसर मिलेगा जिसने मुझे एक अंतराष्ट्रीय सितारा बना दिया। यह मेरे विरासत का हिस्सा है। मै भारत में 'संदोकन' को स्वतंतरा रूप से रिलीज़ कर रहा हूँ। आज की इस आधुनिक युग में मै 'इ कॉमर्स' और डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से संदोकान को लोगों तक पंहुचा रहा हूँ।
इस समारोह में मौजूद अभिनेता अनिल कपूर ने कहा है ' मै बचपन से ही कबीर बेदी जी का सच्चा प्रशंशक हूँ। मुझे गर्व है की कबीर जी जैसे महान व्यक्ति मेरे मित्र हैं। मै उनके व्यक्तित्व और आवाज़ का बहुत बड़ा फैन हूँ। उन्होंने सिर्फ अंतराष्ट्रीय जगत में नाम ही नहीं कमाया बल्कि आणि वाली पीढ़ी के लिए अंतरष्ट्रीय जगत का दरवाज़ा खोला है। मुझे बेहद गर्व है की विश्वविख्यात टीवी शो 'संदोकान' भारत में लांच किया जा रहा है।
प्रतिष्ठित 'संदोकन' सीरीज के ट्रेलर को कबीर बेदी के यूट्यूब चैनल, फेसबुक और ट्विटर पर देखा जा सकता है। 'संदोकन' के कलेक्टर्स एडिशन के डीवीडी बॉक्ससेट एमेजॉन और फ्लिपकार्ट जैसी वेब्सीटेस से भी खरीदा जा सकता है। इन डीवीडी को हंगामा से किराया पर भी लिया जा सकता है।
नोट : कबीर बेदी 1982 के बाद से, 30 से अधिक वर्षों के लिए ऑस्कर अकादमी के मतदान सदस्य और इटैलियन गणराज्य के एक शूरवीर है। कबीर बेदी अब कैवलिएर कबीर बेदी हैं।
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मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
बॉलीवुड हस्तियों को पसंद आई 'एंग्री इंडियन गौड़ेसेस'
हाल ही में रिलीज़ हुई अंतराष्ट्रीय विख्यात निर्देशक पैन नलिन की फिल्म 'एंग्री इंडियन गौड़ेसेस' केवल समीक्षकों और दर्शकों को ही नहीं बल्कि बॉलीवुड हस्तियों को भी खूब पसंद आरही हैं। 4 दिसंबर को रिलीज़ हुई फिल्म 'एंग्री इंडियन गौड़ेसेस' सोशल मीडिया पर जमकर तारीफें हो रही हैं। बॉलीवुड हस्तियां भी इस फिल्म की तारीफ करने में पीछे नहीं हैं। जॉन अब्राहम, रणवीर सिंघ, कबीर खान, मिनी माथुर, अरशद वारसी, जावेद अख्तर, शेखर कपूर, वहीदा रेहमान, शोभा डे, आयुष्मान खुराना, राकेश मेहरा, आर बल्कि और कल्कि कोएच्लिन जैसे कई बॉलीवुड हस्तियों की सोशल मीडिया पर अपनी राय रखते हुए इस फिल्म की बहुत तारीफ की है।
जॉन अब्राहम ने कहा है 'फिल्म एंग्री इंडियन गौड़ेसेस' सुंदर और निर्भीक फिल्म है इससे ज़रूर देखें।'
रणवीर सिंघ ने फिल्म देखने के बाद कहा है 'फिल्म बहुत ही शानदार है। इस फिल्म को तहे फिल्म से देखना चाहिए। सभी लड़कियों के कमाल का अभिनय किया है।'
आयुष्मान खुराना ने कहा है 'फिल्म एंग्री 'इंडेन गौड़ेसेस' एक ऐसी फिल्म है जो जैविक होने साथ ही वर्त्तमान पर आधारित है और आपको सोचने पर ज़रूर मजबूर कर्देगी।'
जावेद अख्तर के कहा है 'आज तक हिंदी सिनेमा में ऐसा कुछ देखने नहीं मिला है जो फिल्म 'एंग्री इंडियन गौड़ेसेस' में है. फिल्म का थीम बहुत ही शानदार है।'
वहीदा रेहमान जी ने कहा है' मुझे यह फिल्म बहोत ही पसंद आई है। मै सभी को यह फिल्म देखने के लिए आग्रह करुँगी। सभी अभनेत्रियों ने शानदार काम किया है।'
आर बाल्की ने कहा है 'इतने सालों में मैंने अबतक ऐसी बेहतरीन फिल्म नहीं देखि थी। उम्मीद करता हूँ सेंसर बोर्ड इस फिल्म पर ज़्यादा सकती न दिखाई। मै फिल्म 'एंग्री इंडियन गौड़ेसेस' का फैन बन गया हूँ।
राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने कहा है 'मेरे ख्याल से आज के युग के लिए यह बहुत है महत्वपूर्ण फिल्म है। इस फिल्म में आपको हँसाने और रुलाने की क्षमता है। फिल्म का म्यूजिक लाहजवाब है।'
कल्कि कोएच्लिन ने कहा है 'यह बहुत ही दमदार फिल्म है। फिल्म की हर एक अदाकारा में आश्चर्यजनक अभिनय किया है। फिल्म को देखके वक़्त आप इस फिल्म की कहानी में कब खो जाओगे पता नहीं चलेगा। यह फिल्म हर वो बात का जिक्र करती है जिनसे आज के दौर की महिलाऐं गुज़र रही हैं।'
गौरी शिंदे ने कहा है 'मेरे लिए इस वर्ष सबसे बेहतरीन फिल्म 'एंग्री इंडियन गौड़ेसेस' है। फिल्म देखने के बाद मै बिलकुल हैरान रह गयी। सभी अदाकाराओं ने शानदार काम किया है , काश मई भी इन अभिनेत्रियों के साथ काम कर पाती।
अरशद वारसी ने कहा है ' सभी का अभिनय बहुत ही शानदार है। मैंने अबतक ऐसा काम केवल हॉलीवुड फिल्मों में ही देखा है। यहाँ सभी ने किरदार निभाया नही बल्कि उस किरदार को जिया है। '
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आज जी
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
आखरी बार प्रस्तुत होगा 70 एमएम कल्चर फिल्म द हेटफुल एट' के ज़रिए
ऑस्कर विजेता निर्देशक 'क्वेंटिन टारनटिनो' द्वारा लिखित और निर्देशित फ़िल्म 'द हेटफुल एट' को प्रायोगिक फिल्म कहा जा सकता है। क्योंकि, इस फ़िल्म को ७० ऍम ऍम फ़िल्म प्रोजेक्शन तकनीक पर शूट किया गया है। जो लुप्त हुए इस खूबसूरत कल्चर को ज़िंदा करने का एक बेहद संजीदा प्रयास है।यह फ़िल्म उन पाश्चात्य फिल्मों की उस प्रथा की तरह है जिसमे वह पले बढे हैं। सिविल वॉर के चलते व्योमिंग की प्रष्ठभूमि में गुथी यह फ़िल्म ऐसे इनामी शिकारियों की कहानी है जो एक बहुत बड़ी साजिश में फंस जाते हैं।
हाल ही में एक बातचीत में सैमुअल एल जैक्सन ने इस फ़िल्म की मेकिंग के बारे में बातचीत की, " द हेटफुल एट 70 ऍम ऍम पर शूट की गयी है,जो हमें 50 और 60 के दशक की फिल्मों के दौर में ले जाती है जैसे कि ओखलम और बॉलीवुड की ब्लॉकबस्टर शोले।" क्वेंटिन टारनटिनो ने भी 70 ऍम ऍम को चुने जाने का कारण हमारे साथ साझा किया, " मैं इस फ़िल्म के द्वारा उस पुरानी कहावत को तोडना चाहता हूँ जो यह कहती है कि 70 ऍम ऍम सिनेमा सिर्फ यात्रा विवरण के लिए है' जो कहती है कि यह तकनीक सिर्फ लॉरेंस ऑफ़ अरेबिया, पहाडी द्रश्यों और रेगिस्तानों द्रश्यों को ही शूट करने के लिए है।इन सारी कही सुनी बातों पर मेरा सिर्फ एक ही जबाब है।'नहीं'।जब आप बन्द जगहों पर भी 70 ऍम ऍम से शूट करते हो तो द्रश्य ज़्यादा अंतरंग नज़र आते हैं।पहले से कही ज़्यादा जीवंत और संजीदे।यह तकनीक सिर्फ सीनरी को शूट करने के लिए नहीं है बल्कि इससे बड़ी बड़ी फ़िल्मी सीक्वेंस शूट की जा सकती हैं।" निर्देशक टारनटिनो और सैमुअल जैक्सन की ज़बरदस्त जोड़ी, जानदार कहानी और 70mm पर एक निश्चित अल्ट्रा वाइड अनुपात इस फ़िल्म को देखने योग्य बनाता है। यह फ़िल्म पीवीआर पिक्चर्स द्वारा 15 जनवरी 2016 को भारत में रिलीज होने को पुरी तरह तैयार है।
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Wednesday, 9 December 2015
एंग्री इंडियन गॉडेसस पर चली सेंसर की कैंची
भारत की पहली महिला मित्रता फिल्म 'एंग्री इंडियन गौड़ेसेस' भारत में रिलीज़ से पहले ही 60 देशों में बेचीं जा चुकी है। लेकिन, भारत में इस फिल्म पर सेंसर बोर्ड की खूब कैंची चली है। फिल्म के कई सीन काट दिए गए हैं। फिल्मों में महिलाओं द्वारा इस्तेमाल किये गए अभिशाप शब्द हटा दिए गए हैं। जबकि हाल ही रिलीज़ हुई फिल्म में पुरूषों द्वारा इस्तेमाल किये गए अभिशाप शब्दों को ना काटते हुए 'ए' सर्टिफिकेट दे दिया गया है। इतना ही नहीं इस फिल्म में 'माल', 'आदिवासी' और 'इंडियन फिगर' जैसे शब्दों को फिल्म से निकल दिया गया है। जो फिल्म पूरी दुनिया द्वारा सराही जा रही है, उस फिल्म को अपने ही देश में रिलीज़ के लिए कठनाईओं से गुज़रना पड़ रहा है। इन सब के अलावा सबसे अहम बात इस फिल्म में देवियों (गॉडेस) की तस्वीरों को धुंधला कर दिया गया है। बताते हैं कि एक बरगी सेंसर बोर्ड ने तो इस फिल्म के नाम से 'गौड़सेसेस' शब्द को भी हटाना को कह दिया था, लेकिन फिर फिल्म के टाइटल पर कोई कैंची नहीं चली है। फिल्म एंग्री इंडियन गौड़ेसेस के प्रोडूसर गौरव ढींगरा ने इस बारे में बताया, "सेंसर बोर्ड ने हमे इस फिल्म में जितने भी सीन काटने को कहा हैं, वह सब हास्यास्पद हैं। इन्हे फिल्म से हटाने की कोई वजह ही नहीं है । फिल्म में कई शब्दों को म्यूट किया गया है, जबकि उन दृश्यों में उन शब्दों का होना ज़रूरी है। मुझे समझ नहीं आता जिस फिल्म को पूरी दुनिया पसंद कर रही है उसी फिल्म को अपने ही देश में रिलीज़ के लिए मुश्किलों का सामना क्यों करना पड़ रहा है। क्या हमारा सेंसर सेंसर बोर्ड महिलाओं को अपनी आवाज़ उठाने का मौका नहीं देना चाहता है।" इस फिल्म को सेंसर बोर्ड ने १६ कट के साथ पारित कर दिया है।
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