हिंदी टेलीविज़न कार्यक्रम और दक्षिण की फिल्मों से हिंदी फिल्मों में आई विद्या बालन ने जाह्नवी से सुलोचना तक, अपने फिल्म करियर का एक चक्कर पूरा कर लिया है। प्रदीप सरकार की फिल्म परिणीता में शरतचंद्र की लोलिता, विद्या बालन ने राजकुमार हिरानी की फिल्म लगे रहो मुन्नाभाई (२००६) में एक रेडियो जॉकी जाह्नवी का किरदार कर दर्शकों को आकर्षित किया था। जाह्नवी के ११ साल बाद सुलोचना आ रही है। एड फिल्म मेकर से फिल्म निर्देशक बने सुरेश त्रिवेणी की फिल्म तुम्हारी सुलु में विद्या बालन ने एक गृहणी सुलोचना का किरदार किया है, जो परिस्थितियोंवश रेडियो जॉकी बन जाती है। विद्या बालन कहती हैं, "तुम्हारी सुलु में सुलोचना का किरदार करना एक असाधारण अनुभव था।"
असफल फ़िल्में
जाह्नवी से सुलोचना तक का विद्या बालन का सफर उतार-चढ़ाव से भरा और सम्मान दिलाने वाला रहा है। लगे रहो मुन्नाभाई के बाद विद्या बालन को मणि रत्नम की फिल्म गुरु में देखा गया। इसके बाद विद्या बालन की असफल फिल्मों का सिलसिला शुरू हो गया। उनकी, एक के बाद एक निखिल अडवाणी की सलाम-ए- इश्क़, विधु विनोद चोपड़ा की एकलव्य: द रॉयल गार्ड, राजकुमार संतोषी की हल्ला बोल और अज़ीज़ मिर्ज़ा की किस्मत कनेक्शन जैसी फ़िल्में असफल होती चली गई। दिलचस्प बात यह थी कि यह सभी बड़े बजट की सितारा बहुल फ़िल्में थी। सलमान खान, अनिल कपूर, जूही चावला, अक्षय खन्ना, जॉन अब्राहम, गोविंदा; अमिताभ बच्चन, संजय दत्त, सैफ अली खान, शर्मीला टैगोर, जैकी श्रॉफ, बोमन ईरानी; अजय देवगन, पंकज कपूर; शाहिद कपूर; जैसे सितारे इन फिल्मों का आकर्षण थे। इसके बावजूद इन फिल्मों के फ्लॉप होने से विद्या बालन के करियर को बहुत ज़्यादा नुकसान नहीं हुआ।
श्रेष्ठ अभिनय की विद्या
विद्या बालन के करियर की ख़ास बात यह रही कि जहाँ उनकी सितारा बहुल फ़िल्में असफल हुई, वहीँ जिस किसी फिल्म का कथानक उनके किरदार पर केंद्रित हुआ, उस फिल्म को सफलता मिलती चली गई। प्रियदर्शन की हॉरर कॉमेडी फिल्म भूल भुलैया विद्या बालन के किरदार अवनि पर केंद्रित थी। यह किरदार डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर का मरीज़ था। फिल्म को विद्या बालन के अभिनय और कॉमेडी ने हिट बना दिया। पा में विद्या बालन प्रोजेरिया बीमारी से ग्रस्त बेटे की माँ का किरदार किया था। इस भूमिका के लिए विद्या बालन को उनके फिल्म करियर का पहला फिल्मफेयर अवार्ड मिला। अभिषेक चौबे की फिल्म इश्क़िया में कृष्णा की भूमिका में विद्या बालन ने आपराधिक मनोवृत्ति वाली औरत का किरदार किया था, जो अपना बदला पूरा करने के लिए दो अपराधियों को सेक्सुअली आकर्षित करती है। इस भूमिका के लिये विद्या को फिल्मफेयर का क्रिटिक अवार्ड मिला। नो वन किल्ड जेसिका (२०११) में विद्या बालन ने जेसिका की बहन की भूमिका की थी। फिल्म के लिए विद्या बालन ने फिल्मफेयर का नॉमिनेशन पाया। इसी साल रिलीज़ द डर्टी पिक्चर्स में विद्या ने साउथ की एक्ट्रेस सिल्क स्मिता का किरदार किया था। इस भूमिका के लिए विद्या को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और फिल्मफेयर अवार्ड सहित कई पुरस्कार मिले। सुजॉय घोष की फिल्म कहानी में बिद्या बागची की भूमिका के लिए विद्या बालन ने फिर फिल्मफेयर पुरस्कार जीता। कहा जा सकता है कि २००९ से २०१२ तक का दौर अभिनेत्री विद्या बालन की श्रेष्ठता साबित करने वाला था।
फ्लॉप ही फ्लॉप
विद्या बालन श्रेष्ठ बहुमुखी प्रतिभा वाली अभिनेत्री हैं। लेकिन, उन पर आधा अधूरा प्रयोग खतरनाक होता है। इसका प्रमाण थी घनचक्कर, शादी के साइड इफेक्ट्स, बॉबी जासूस, हमारी अधूरी कहानी, तीन (Te3n) , कहानी २: दुर्गा रानी सिंह और बेगम जान जैसी फ़िल्में। इन फिल्मों के निर्देशकों साकेत चौधरी, समर शेख, मोहित सूरी, ऋभु दासगुप्ता, सुजॉय घोष और सृजित मुख़र्जी ने कहानी और पटकथा पर ध्यान देने के बजाय केवल विद्या बालन पर भरोसा किया। इन फिल्मों में कल्पनाशीलता का अभाव था। हालाँकि, यह सभी निर्देशक सक्षम और कल्पनाशील थे। इन फिल्मों ने विद्या बालन के प्रशंसक दर्शकों को बेहद निराश किया। हालाँकि, इन सभी फिल्मों में अपनी भूमिकाओं के साथ विद्या बालन ने भरपूर न्याय किया। शायद इसीलिए दर्शक विद्या बालन से निराश नहीं है। वह उम्मीद करता है कि विद्या बालन की जोरदार वापसी होगी।
शरारती सुलु
क्या तुम्हारी सुलु से विद्या बालन के करियर का पहिया फिर घूमेगा ? तुम्हारी सुलु में विद्या बालन की सुलोचना के दो रूप हैं। एक रूप घर को सम्हाल रही साड़ी लपेटे हुए घर का कामकाज निबटाने वाली सुलोचना का है। दूसरा रूप अकस्मात् रात को रेडियो जॉकी का काम करने वाली सुलु का है। भिन्न शेड इसी किरदार मे हैं। यह किरदार रेडियो पर रात को कार्यक्रम पेश करने वाली आरजे है। वह आकर्षक बातें सेक्सी आवाज़ के साथ करती है। इससे हजारों- लाखों श्रोता उसके दीवाने बन जाते हैं। गड़बड़ तब होती है, जब रेडियो वाली ज़िन्दगी घर जा पहुंचती है। प्रशंसक घर में फ़ोन करने लगते हैं। ज़ाहिर है कि फिल्म में विद्या बालन की सुलोचना उर्फ़ सुलु चपल और चंचल किरदार है। विद्या बालन के लिए इस किरदार में अपनी प्रतिभा दिखाने के भरपूर मौके हैं। दर्शक और प्रशंसक जानते हैं कि विद्या बालन यह कर सकती है। विद्या बालन के लिए यही चुनौती है, जो विद्या को अवार्डी अभिनेत्री साबित कर सकती है। क्या ऐसा होगा ?
प्रशंसा और पुरस्कार
मुंबई में जन्मी विद्या बालन, शबाना आज़मी और माधुरी दीक्षित को देख कर एक्टर बनी। १९९५ में एकता कपूर के सिटकॉम हम पांच की राधिका रूप उनकी पहचान बनी। दक्षिण और बांगला फिल्मों में सफलता पाने के बाद विद्या बालन ने २००५ में फिल्म परिणीता से हिंदी फिल्मों में काम करना शुरू किया। अब तक वह एक राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार सहित ५३ भिन्न पुरस्कार पा चुकी हैं। उन्होंने चार इंटरनेशनल इंडियन फिल्म अकडेमी अवार्ड्स, पांच-पांच फिल्मफेयर, स्क्रीन, प्रोडूसर्स गिल्ड और ज़ी सिने अवार्ड्स जीते हैं। उन्हें २०११ में फिल्म द डर्टी पिक्चर्स के लिए श्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला है। परिणीता से फिल्मफेयर से बेस्ट डेब्यू अवार्ड पाने वाली विद्या बालन ने पा, द डर्टी पिक्चर्स और कहानी के लिए श्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्मफेयर पुरस्कार जीते हैं। फिल्मफेयर ने उन्हें इश्क़िया फिल्म के लिए एस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर क्रिटिक्स अवार्ड से भी नवाज़ा है। उन्हें २०१४ में पद्मश्री मिली।
असफल फ़िल्में
जाह्नवी से सुलोचना तक का विद्या बालन का सफर उतार-चढ़ाव से भरा और सम्मान दिलाने वाला रहा है। लगे रहो मुन्नाभाई के बाद विद्या बालन को मणि रत्नम की फिल्म गुरु में देखा गया। इसके बाद विद्या बालन की असफल फिल्मों का सिलसिला शुरू हो गया। उनकी, एक के बाद एक निखिल अडवाणी की सलाम-ए- इश्क़, विधु विनोद चोपड़ा की एकलव्य: द रॉयल गार्ड, राजकुमार संतोषी की हल्ला बोल और अज़ीज़ मिर्ज़ा की किस्मत कनेक्शन जैसी फ़िल्में असफल होती चली गई। दिलचस्प बात यह थी कि यह सभी बड़े बजट की सितारा बहुल फ़िल्में थी। सलमान खान, अनिल कपूर, जूही चावला, अक्षय खन्ना, जॉन अब्राहम, गोविंदा; अमिताभ बच्चन, संजय दत्त, सैफ अली खान, शर्मीला टैगोर, जैकी श्रॉफ, बोमन ईरानी; अजय देवगन, पंकज कपूर; शाहिद कपूर; जैसे सितारे इन फिल्मों का आकर्षण थे। इसके बावजूद इन फिल्मों के फ्लॉप होने से विद्या बालन के करियर को बहुत ज़्यादा नुकसान नहीं हुआ।
श्रेष्ठ अभिनय की विद्या
विद्या बालन के करियर की ख़ास बात यह रही कि जहाँ उनकी सितारा बहुल फ़िल्में असफल हुई, वहीँ जिस किसी फिल्म का कथानक उनके किरदार पर केंद्रित हुआ, उस फिल्म को सफलता मिलती चली गई। प्रियदर्शन की हॉरर कॉमेडी फिल्म भूल भुलैया विद्या बालन के किरदार अवनि पर केंद्रित थी। यह किरदार डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर का मरीज़ था। फिल्म को विद्या बालन के अभिनय और कॉमेडी ने हिट बना दिया। पा में विद्या बालन प्रोजेरिया बीमारी से ग्रस्त बेटे की माँ का किरदार किया था। इस भूमिका के लिए विद्या बालन को उनके फिल्म करियर का पहला फिल्मफेयर अवार्ड मिला। अभिषेक चौबे की फिल्म इश्क़िया में कृष्णा की भूमिका में विद्या बालन ने आपराधिक मनोवृत्ति वाली औरत का किरदार किया था, जो अपना बदला पूरा करने के लिए दो अपराधियों को सेक्सुअली आकर्षित करती है। इस भूमिका के लिये विद्या को फिल्मफेयर का क्रिटिक अवार्ड मिला। नो वन किल्ड जेसिका (२०११) में विद्या बालन ने जेसिका की बहन की भूमिका की थी। फिल्म के लिए विद्या बालन ने फिल्मफेयर का नॉमिनेशन पाया। इसी साल रिलीज़ द डर्टी पिक्चर्स में विद्या ने साउथ की एक्ट्रेस सिल्क स्मिता का किरदार किया था। इस भूमिका के लिए विद्या को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और फिल्मफेयर अवार्ड सहित कई पुरस्कार मिले। सुजॉय घोष की फिल्म कहानी में बिद्या बागची की भूमिका के लिए विद्या बालन ने फिर फिल्मफेयर पुरस्कार जीता। कहा जा सकता है कि २००९ से २०१२ तक का दौर अभिनेत्री विद्या बालन की श्रेष्ठता साबित करने वाला था।
फ्लॉप ही फ्लॉप
विद्या बालन श्रेष्ठ बहुमुखी प्रतिभा वाली अभिनेत्री हैं। लेकिन, उन पर आधा अधूरा प्रयोग खतरनाक होता है। इसका प्रमाण थी घनचक्कर, शादी के साइड इफेक्ट्स, बॉबी जासूस, हमारी अधूरी कहानी, तीन (Te3n) , कहानी २: दुर्गा रानी सिंह और बेगम जान जैसी फ़िल्में। इन फिल्मों के निर्देशकों साकेत चौधरी, समर शेख, मोहित सूरी, ऋभु दासगुप्ता, सुजॉय घोष और सृजित मुख़र्जी ने कहानी और पटकथा पर ध्यान देने के बजाय केवल विद्या बालन पर भरोसा किया। इन फिल्मों में कल्पनाशीलता का अभाव था। हालाँकि, यह सभी निर्देशक सक्षम और कल्पनाशील थे। इन फिल्मों ने विद्या बालन के प्रशंसक दर्शकों को बेहद निराश किया। हालाँकि, इन सभी फिल्मों में अपनी भूमिकाओं के साथ विद्या बालन ने भरपूर न्याय किया। शायद इसीलिए दर्शक विद्या बालन से निराश नहीं है। वह उम्मीद करता है कि विद्या बालन की जोरदार वापसी होगी।
शरारती सुलु
क्या तुम्हारी सुलु से विद्या बालन के करियर का पहिया फिर घूमेगा ? तुम्हारी सुलु में विद्या बालन की सुलोचना के दो रूप हैं। एक रूप घर को सम्हाल रही साड़ी लपेटे हुए घर का कामकाज निबटाने वाली सुलोचना का है। दूसरा रूप अकस्मात् रात को रेडियो जॉकी का काम करने वाली सुलु का है। भिन्न शेड इसी किरदार मे हैं। यह किरदार रेडियो पर रात को कार्यक्रम पेश करने वाली आरजे है। वह आकर्षक बातें सेक्सी आवाज़ के साथ करती है। इससे हजारों- लाखों श्रोता उसके दीवाने बन जाते हैं। गड़बड़ तब होती है, जब रेडियो वाली ज़िन्दगी घर जा पहुंचती है। प्रशंसक घर में फ़ोन करने लगते हैं। ज़ाहिर है कि फिल्म में विद्या बालन की सुलोचना उर्फ़ सुलु चपल और चंचल किरदार है। विद्या बालन के लिए इस किरदार में अपनी प्रतिभा दिखाने के भरपूर मौके हैं। दर्शक और प्रशंसक जानते हैं कि विद्या बालन यह कर सकती है। विद्या बालन के लिए यही चुनौती है, जो विद्या को अवार्डी अभिनेत्री साबित कर सकती है। क्या ऐसा होगा ?
प्रशंसा और पुरस्कार
मुंबई में जन्मी विद्या बालन, शबाना आज़मी और माधुरी दीक्षित को देख कर एक्टर बनी। १९९५ में एकता कपूर के सिटकॉम हम पांच की राधिका रूप उनकी पहचान बनी। दक्षिण और बांगला फिल्मों में सफलता पाने के बाद विद्या बालन ने २००५ में फिल्म परिणीता से हिंदी फिल्मों में काम करना शुरू किया। अब तक वह एक राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार सहित ५३ भिन्न पुरस्कार पा चुकी हैं। उन्होंने चार इंटरनेशनल इंडियन फिल्म अकडेमी अवार्ड्स, पांच-पांच फिल्मफेयर, स्क्रीन, प्रोडूसर्स गिल्ड और ज़ी सिने अवार्ड्स जीते हैं। उन्हें २०११ में फिल्म द डर्टी पिक्चर्स के लिए श्रेष्ठ अभिनेत्री का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला है। परिणीता से फिल्मफेयर से बेस्ट डेब्यू अवार्ड पाने वाली विद्या बालन ने पा, द डर्टी पिक्चर्स और कहानी के लिए श्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्मफेयर पुरस्कार जीते हैं। फिल्मफेयर ने उन्हें इश्क़िया फिल्म के लिए एस्ट एक्ट्रेस का फिल्मफेयर क्रिटिक्स अवार्ड से भी नवाज़ा है। उन्हें २०१४ में पद्मश्री मिली।
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