द कपिल शर्मा शो की एक यादगार शाम में इस वीकेंड वडाली परिवार के प्रख्यात
सूफी सिंगर्स नजर आएंगे। इस मौके पर सेट पर होंगे वडाली बंधुओं के सबसे बड़े भाई
पूरनचंद वडाली और उनके बेटे लखविंदर वडाली। सूफी संतों के संदेश गाकर सुनाने वाले
संगीतकारों की पांचवी पीढ़ी में जन्मे वडाली बंधु दरअसल सूफी गायक बनने से पहले
बड़े अपेक्षित पेशे में थे।
पूरनचंद वडाली 25 वर्षों तक नियमित रूप से एक अखाड़े में जाते थे। अपनी
जिंदगी से जुड़ी रोचक कहानियों के साथ पद्मश्री पूरनचंद वडाली साहब इस शाम को
मनोरंजक बना देंगे। एक चर्चा के दौरान कपिल ने उस घटना के बारे में जानना चाहा जब
पूरनचंद साहब ने पद्मश्री पुरस्कार लेने से इनकार कर दिया था। इस बारे में बताते
हुए उन्होंने कहा, "जब पद्मश्री अवार्ड के साथ प्रशस्ति पत्र
मेरे घर पहुंचा, तो मुझे पता ही नहीं था कि पद्मश्री क्या
है। एक साल तक यह पत्र ऐसे ही पड़ा रहा। अगले साल जब फिर मुझे वही पत्र मिला,
तब लोगों ने मुझसे उस अवार्ड समारोह में जाने का आग्रह किया। लेकिन मैंने
हमेशा उनसे कहा - देना है तो दोनों भाइयों को दो, में अकेले
नहीं लूंगा।“
इसके बाद आगे की चर्चा में उन्होंने कुछ और दिलचस्प किस्से सुनाए।
उन्होंने एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि जब वह एक बार गोविंदा के घर डिनर पर गए
थे तो उन्होंने गोविंदा को पहचाना ही नहीं था। उनके बेटे लखविंदर बताते हैं,
“एक बार जब हमें गोविंदा जी के घर बुलाया गया था,
तब पापा जी ने उनसे बहुत सारी चर्चा की। 30 मिनट तक बातचीत होने के बाद फिर उन्होंने मुझसे पूछा, गोविंदा जी
कहां हैं, जिन्होंने हमें बुलाया?”
इस वाकए के बारे में बताते हुए पूरनचंद जी ने कहा, “लखविंदर
ने मुझसे कहा था कि एक्टर गोविंदा मुझसे मिलना चाहते हैं और इसलिए उन्होंने अपने
घर पर डिनर का आयोजन किया है। हम उनके घर गए और उन्होंने मेरे पैर छूकर हमारा
स्वागत किया और साथ ही सारी रस्में पूरी की। शुरू में मैं उन्हें पहचान नहीं पाया
क्योंकि मैं उनसे पहली बार मिल रहा था। इसके बाद मैं उनके सामने खुला और उन्हें
बताया कि मैं आपकी मां निर्मला देवी को अच्छे से जानता हूं लेकिन क्योंकि मैं सिनेमा नहीं देखता इसलिए मैंने आपको नहीं पहचाना।“
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