Thursday 14 September 2017

सेक्सी नहीं, बड़ी खतरनाक हैं बॉलीवुड की हसीनाएं

श्रद्धा कपूर नाज़ुक बदन हैं।  वह आशिक़ की माशूका लगती हैं। उन पर रोमांटिक भूमिकाएं फबती भी हैं।  इसीलिए उनकी फिल्म का टाइटल हसीना उनकी इमेज पर फबता लगता है।  लेकिन, जैसे ही इस टाइटल के साथ पारकर जुड़ता है, यह हसीना एक खतरनाक गैंगस्टर बन जाती हैं।  अपूर्व लखिया की फिल्म हसीना पारकर में श्रद्धा कपूर टाइटल रोल कर रही हैं।  हसीना दाऊद इब्राहिम की बहन थी, जिसने दाऊद के कराची पाकिस्तान भाग जाने के बाद मुंबई में उसका कारोबार चलाया।  श्रद्धा ने इस गोली चलाने के लिये हमेशा तैयार किरदार के लिए काफी मेहनत की है।  फिल्म की शूटिंग के दौरान लोगों को उन्हें पहचानने में दिक्कत होती रही।  श्रद्धा कपूर का एक माफिया का किरदार करना काफी बोल्ड फैसला लगता है।
लेकिन, बॉलीवुड की तमाम हसीन-तरीन नायिकाएं अब रफ़ टफ गैंगस्टर किरदारों की ओर आकर्षित होने लगी हैं।  तमाम नाज़ुक बदन बॉलीवुड सेक्स बम अब बुलेट चलाने कल लिए तैयार हैं। वह केवल लेडी माफिया बन कर गोलियां नहीं चला रही, बल्कि एजेंट भी बन रही है।  वह एक आम लड़की भी है, जो अन्याय के खिलाफ तन कर कड़ी हो जाती है।  नायिका प्रधान फिल्म नाम शबाना में तपसी पन्नू का किरदार शबाना खान को एक इंटेलिजेंस एजेंसी हथियारों के सौदागरों को ख़त्म करने के लिए भाड़े में लेती है।  शबाना एक बेहद खतरनाक किरदार है।  वह छूटते ही गोलियां चलाने और जुडो-कराटे के गुर से दुश्मन की गर्दन तोड़ देने से परहेज नहीं करती है।  एआर मुरुगोदास की इमेज एक्शन फिल्मों के डायरेक्टर वाली है।  उन्होंने सोनाक्षी सिन्हा को नायिका बना कर फिल्म अकिरा का निर्माण किया था।  सोनाक्षी सिन्हा का किरदार अकिरा शर्मा बचपन से ही गलत कामों का विरोध करने वाली लड़की थी, जिसे इसके लिए बाल संरक्षण गृह भेज दिया जाता है।  सोनाक्षी सिन्हा ने इस रफ़टफ किरदार को बेहद प्रभावशाली ढंग से किया था।
 पिछले दिनों यह खबर थी कि दीपिका पादुकोण विशाल भरद्वाज की फिल्म सपना दीदी में माफिया डॉन का किरदार कर रही हैं।  सपना का असली नाम रहीमा खान था, जो सपना दीदी के नाम से मशहूर थी।  यह महिला डॉन अपने पति की मौत का बदला लेने के लिए डॉन दाऊद इब्राहिम की हत्या शारजाह में एक मैच के दौरान करने की योजना बनाती हैं।  यह बात दीगर है कि दाऊद को इस खबर का पता चला गया।  उसने इससे पहले ही सपना दीदी की हत्या करवा दी।  यह फिल्म एस हुसैन ज़ैदी की किताब माफिया क्वींस ऑफ़ मुंबई के एक अध्याय पर आधारित है।  हालाँकि, विशाल भरद्वाज ने फिल्म के रहीमा खान पर होने से इंकार किया है। यहाँ ख़ास खबर यह कि विशाल भरद्वाज इस किरदार के लिए रानी मुख़र्जी को लेना चाहते थे।  लेकिन, रानी मुख़र्जी ने माफिया क्वीन बनने से साफ़ इंकार कर दिया।   दीपिका पादुकोण ने फिल्म गोलियों की रासलीला रामलीला में भी बन्दूक चलाने की शौक़ीन लीला का खतरनाक मगर ग्लैमरस किरदार किया था।  रेस ३ में दीपिका पादुकोण की अलीना भी बन्दूक चलाने में माहिर थी। हॉलीवुड फिल्म  ट्रिपल एक्स : रिटर्न ऑफ़ जेंडर केज में भी दीपिका का सेरेना उंगेर का किरदार काफी खतरनाक था।  गैंग्स ऑफ़ वासेपुर सीरीज में ऋचा चड्ढा का नगमा का किरदार इस लिहाज़ से भी बोल्ड है कि वह अपने बेटे को तक हथियार उठाने और खून बहाने के लिए उकसाती है।  ऋचा चड्ढा इस छोटे रोल में भी उभर कर आती है।
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार पाने वाली बन्दूक वाली 
हथियार उठा ले तो हीरोइन का पूरा व्यक्तित्व ही बदल जाता है।  अंकुर की रोती-बिलखती शोषित लक्ष्मी, जब विनय शुक्ल की फिल्म गॉडमदर में संतोख बेन जडेजा का रील लाइफ किरदार रांभी बन कर बन्दूक उठाती है, तो दोनों ही भूमिकाएं करने वाली शबाना आज़मी को पांचवां राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल जाता है। फिल्म अभिनेत्री को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिलाने में नायिका के हाथ में बन्दूक का ख़ास योगदान है।  गॉडमदर की शबाना आज़मी से तीन साल पहले सीमा बिस्वास ने शेखर कपूर की फिल्म बैंडिट क्वीन में फूलन देवी को ऑन स्क्रीन किया था।  इस किरदार के लिए उन्हें अंतर्राष्ट्रीय ख्याति मिली ही, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिल गया।  यह उनका इकलौता राष्ट्रीय फिल्म अवार्ड है।  
न्दूक से खेलने वाली नायिकाओं के किरदार करने वाली अभिनेत्रियों में एक हसीना थी की प्रतिमा काज़मी, इश्क़िया की विद्या बालन, गुलाब गैंग की माधुरी दीक्षित, डिपार्टमेंट की मधु शालिनी, शबरी में एशा कोपिकर, कहानी और कहानी २ : दुर्गा रानी सिंह की विद्या बालन के नाम उल्लेखनीय हैं।  फिल्म फस गया रे में नेहा धूपिया का हर वक़्त बन्दूक थामे रहने वाला किरदार भी काफी रोचक बन पड़ा था।  सुपारी में नंदिता दास गैंगस्टर बनी थी, लेकिन, उन्होंने पूरी फिल्म में गोली नहीं चलाई थी।  
कुछ साल पहले यह खबर थी कि अजय देवगन ने अपनी पत्नी काजोल के लिये एक विदेशी ड्रामा पेनोजो पर फिल्म बनाने के अधिकार खरीदें हैं।  पेनोजो एक महिला की कहानी है, जिसका पति एक माफिया के लिए काम करता था।  पति की हत्या के बाद वह माफिया के गैंग में शामिल हो जाती है और अपने पति के हत्याओं का पता लगा कर अपना बदला लेती है।  इस नाटक के फिल्म रूपांतरण पर राम माधवानी काम करने जा रहे थे।  लेकिन, अभी तक इस फिल्म का निर्माण ही शुरू नहीं हो सका है। अलबत्ता, फिल्म दिलवाले में काजोल का मीरा का किरदार काफी कुछ मिलता जुलता है।

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