अमिताभ बच्चन के साथ शत्रुघ्न सिन्हा ने एक एनीमेशन फिल्म में वॉइसओवर सहित कोई दर्जन भर फ़िल्में की हैं। पहली फिल्म परवाना में अमिताभ बच्चन खलनायक बने थे, शत्रुघ्न सिन्हा का पब्लिक प्रासीक्यूटर का गेस्ट रोल था। अगली फिल्म गुड्डी में इन दोनों का कैमिया था। दोनों ने रास्ते का पत्थर, जबान (बंगला फिल्म), बॉम्बे टू गोवा, दोस्त, काला पत्थर, दोस्ताना, शान, नसीब और अमीर आदमी गरीब आदमी जैसी फिल्मों में भी काम किया। एनीमेशन फिल्म महाभारत में अमिताभ बच्चन भीष्म पितामह को और शत्रुघ्न सिन्हा कृष्ण के किरदार के लिए वॉइसओवर कर रहे थे। दोस्त और दोस्ताना जैसे टाइटल वाली फ़िल्में करने वाले शत्रुघ्न सिन्हा को अमिताभ बच्चन को देख का हमेशा से मलाल होता आया है। अमिताभ बच्चन फिल्म ज़ंजीर की जिस एंग्री यंगमैन इमेज से सुपर स्टार बने, उसकी ईज़ाद शत्रुघ्न सिन्हा ने ही की थी। उनकी फिल्म एंड टेलीविज़न इंस्टिट्यूट ऑफ़ पुणे में पढ़ाई के दौरान की गई डिप्लोमा फिल्म का टाइटल ही एंग्री यंग मैन था। इस फिल्म में वह एक क्रोधित युवा बने थे। एक सीन में वह एक आदमी को थप्पड़ मारने के बाद अपनी कलाई घड़ी को कान के पास ले जाकर सुनते थे कि कहीं बंद तो नहीं हो गई। इतने अपीलिंग किरदार की ईज़ाद करने वाला शत्रुघ्न सिन्हा खल -नायक के ढाँचे में फिट हो गया, जबकि अमिताभ बच्चन सुपर स्टार नायक बन गए।
विनोद खन्ना थे अलग !
बहरहाल, शत्रुघ्न सिन्हा का मलाल दरकिनार कर दें तो अमिताभ बच्चन के हिंदी फिल्मों में तैयार किये गए ब्रांड एंग्री यंगमैन को कई नवोदित अभिनेताओं ने अपनी फिल्मों में खेल कर फिल्मों में पाँव जमाने की कोशिश की। अमिताभ बच्चन के समकालीन विनोद खन्ना को एंग्री यंग मैन इमेज का मोहताज़ अभिनेता नहीं कहा जा सकता। बेशक, अमिताभ बच्चन एंग्री यंग मैन बन कर काफी सफल हुए। लेकिन, विनोद खन्ना ने अमिताभ बच्चन से अलग काफी सशक्त और रोमांटिक फ़िल्में भी की। अमिताभ बच्चन की पहली फिल्म सात हिंदुस्तानी की रिलीज़ से नौ महीना पहले विनोद खन्ना की पहली फिल्म मन का मीत रिलीज़ हो चुकी थी। इस फिल्म के वह खलनायक थे। लेकिन, विनोद खन्ना ने जल्द ही यह इमेज तोड़ी और नतीजा फिल्म में बिंदु के नायक बन गए थे। इसके बाद विनोद खन्ना ने सच्चा झूठा, आन मिलो सजना, मस्ताना, पूरब और पश्चिम, मेरा गांव मेरा देश, मेरे अपने, आदि फिल्मों में मिली-जुली भूमिकाएं करने शुरू कर दी थी। उनकी यह फ़िल्में हिट भी हो रही थी। विनोद खन्ना के पाँव इंडस्ट्री में जम चुके थे। जबकि, अमिताभ बच्चन अभी तक असफल फिल्मों के महासागर में गोते ही लगा रहे थे। इसलिए, विनोद खन्ना एंग्री यंग मैन इमेज के मोहताज़ नहीं। यह बात दूसरे अभिनेताओं के लिए कही जा सकती है।
सनी देओल का भिड़ना सिखाता क्रुद्ध युवा
अमिताभ बच्चन के एंग्री यंग मैन के सही दावेदार सनी देओल ही साबित होते हैं। रोमांटिक एक्शन फिल्म बेताब से बॉलीवुड में कदम रखने वाले धर्मेंद्र के इस बेटे ने अपने एंग्री यंग मैन को कुछ अलग तरह से ढाला। उन्होंने खुद के डीलडौल का बढ़िया उपयोग किया। वह क्रोधित होते थे। बुरे इंसानों से भिड़ने में विश्वास रखते थे। लेकिन, दूसरों को मोटीवेट भी करते थे। फिल्म अर्जुन इसका बढ़िया उदाहरण है। उन्होंने दामिनी में अपने एंग्री यंग मैन को एक शराबी वकील, उसके इमोशन और स्त्री रक्षा से जोड़ कर अनुठा बना दिया। तभी तो सनी देओल को इस फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला और उनका ढाई किलो का हाथ वाला संवाद अजर अमर हो गया। सनी देओल के एंग्री यंग मैन किरदार वाली दूसरी फ़िल्में डकैत, पाप की दुनिया, यतीम, वर्दी, जोशीले, त्रिदेव, घायल, आदि ख़ास उल्लेखनीय हैं।
अनिल कपूर बनना चाहते थे सुपर स्टार
शुरुआत में अनिल कपूर ने एंग्री यंग मैन बनने का इरादा नहीं किया था। उनकी १९८३ में रिलीज़ फिल्म गंभीर किस्म की रोमांस फिल्म थी। इस फिल्म में अनिल कपूर ने राजकपूर की नक़ल पर अपने प्रेम प्रताप पटियालावाले के किरदार किया था। साहब, मोहब्बत, चमेली की शादी और आपके साथ जैसी इमोशनल फिल्मों से अनिल कपूर रोमांटिक और गंभीर किस्म की फिल्मों के सशक्त नायक बन कर उभरे थे। लेकिन, इसी बीच न जाने क्या हुआ, उन्हें सुपर स्टार बनने का शौक चर्राया। उन्होंने मेरी जंग, कर्मा, इन्साफ की आवाज़, इतिहास, मिस्टर इंडिया, रामलखन, जोशीले, आदि फिल्मों में अमिताभ बच्चन की नक़ल में किरदार करने शुरू कर दिया। तेज़ाब में वह टॉप पर थे। इस फ़िराक में उन्हें सफलता भी मिली। अमिताभ बच्चन के लिए लिखी गई फिल्म मिस्टर इंडिया में अनिल कपूर को लिया भी इसी वजह से था कि वह एंग्री यंग मैन के सही वारिस लगते थे। मगर, जल्द ही अनिल कपूर को पता चल गया कि एंग्री यंग मैन के ज़रिये वह सुपर स्टार नहीं बन सकते। इस लिए वह हिंसक फिल्मों से हट कर रोमांटिक और कॉमेडी फ़िल्में भी करने लगे।
डॉन से प्रभावित था संजय दत्त का क्रोधित युवा
संजय दत्त ने रोमांटिक रिवेंज ड्रामा फिल्म रॉकी से डेब्यू किया था। उन्होंने भी एंग्री यंग मैन इमेज के ज़रिये सफल होने की कोशिश की। मेरा फैसला, जान की बाज़ी, मेरा हक़, ईमानदार, जीवा, नाम ओ निशान, इनाम दस हजार, आदि फिल्मों में संजय दत्त के किरदार क्रुद्ध युवा वाले ही थे। संजय दत्त ने अपने क्रुद्ध युवाओं को अंडर वर्ल्ड का तड़का देना शुरू कर दिया। डॉन किरदार उनके पसंदीदा थे। उन्होंने
अपने तमाम किरदारों को कुछ इसी तरीके से पेश किया। उनके किरदारों में निगेटिव शेड्स देखने को मिलते हैं।संजय दत्त की बहुत कम फ़िल्में ही रोमांटिक हैं। इसी दौर में जैकी श्रॉफ भी आये। उनकी पहली फिल्म हीरो भी क्रुद्ध युवा इमेज वाली थी। उन्होंने किसी दूसरे एक्टर, ख़ास तौर पर अनिल कपूर के साथ जोड़ी बना कर एक्शन फ़िल्में की। जैकी श्रॉफ ने रंगीला, १९४२-अ लव स्टोरी, किंग अंकल, मिलन, अग्निसाक्षी, आदि फ़िल्में भी की। लेकिन, उन्होंने कभी भी सुपर स्टार होने का दावा नहीं किया। हालाँकि, हीरो के दौरान उन्हें दूसरा सुपर स्टार बताया जाता था।
एक्शन और कॉमेडी से भरा अजय देवगन का युवा
एंग्री यंग मैन इमेज का सहारा तो अजय देवगन ने भी लिया। उनकी पहली फिल्म फूल और कांटे इसी तर्ज़ पर थी। वास्तविकता तो यह है कि उनकी ज़्यादातर फ़िल्में क्रुद्ध युवा को दर्शाने वाली ही हैं। लेकिन, अजय ने कभी भी एंग्री यंग मैन के ज़रिये सुपर स्टार बनने की कोशिश नहीं की। वह अपने दर्शकों को अपने हैरतअंगेज़ एक्शन स्टंट्स से आकर्षित करते रहे। एक्शन में कॉमेडी का तड़का उन्हें ख़ास बना देता है। उनके खाते में इश्क़, जान, प्यार तो होना ही था, ज़ख्म, होगी प्यार की जीत, हम दिल दे चुके सनम, ये रास्ते हैं प्यार के, आदि फ़िल्में रोमांस में भीगी फ़िल्में उन्हें ठेठ क्रुद्ध युवा बनने नहीं देती। अजय देवगन की तरह सौंगंध के अक्षय कुमार क्रोधित थे। लेकिन, उन्होंने भी ठाँयठूँ वाला एक्शन और खिलाड़ी मार्का फ़िल्में करके खुद की अलग इमेज बना ली। उन्होंने एक्शन रोमांस पर ज़्यादा ज़ोर दिया।
क्या हृथिक रोशन एंग्री यंग मैन हैं !
कुछ प्रशंसक हृथिक रोशन को एंग्री यंग मैन के खांचे में फिट करते नज़र आते है। उन्हें एंग्री यंग मैन उनकी कृष ३ और बैंग बैंग जैसी फिल्मों के कारण कहा जाता है, जिनमे वह अपने अंदर आग भरे नज़र आते थे। उन्हें अमिताभ बच्चन द्वारा की गई फिल्म अग्निपथ के हिंदी रीमेक अग्निपथ (२०१२) में अमिताभ वाला किरदार करने के कारण भी दूसरा एंग्री यंग मैन बताया जाता है। उनके १९८८ में रिलीज़ अमिताभ बच्चन अभिनीत फिल्म शहंशाह के हिंदी रीमेक में अभिनय करने की खबरों से भी इसे बल मिलता है। हृथिक रोशन ने कभी खुद की इमेज एंग्री यंग मैन की बनाने की कोशिश नहीं की। वह रोमांटिक हीरो के रूप में ही ज़्यादा फबते हैं।
कुछ दूसरे एंग्री यंग मैन
शुरूआती फिल्मों में मशहूर क्रुद्ध युवा का सहारा लेने वाले अभिनेताओं में मनोज बाजपेई, नाना पाटेकर, रजनीकांत, रणदीप हूडा, रोनित रॉय, आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। शाहरुख़ खान ने तो शुरूआती दौर की फिल्मों में अमिताभ बच्चन और राज कपूर की घालमेल वाले चरित्र खूब किये। फिर वह बाज़ीगर, डर, अंजाम और गुड्डू जैसी फिल्मों में निगेटिव किरदार करने के बाद रोमांस में डूब गए। वैसे वह आज भी दिलवाले, रईस, जैसी भूमिकाओं के ज़रिये खुद को क्रुद्ध दिखाने की कोशिश करते हैं। सलमान खान की शुरुआत की काफी फ़िल्में एंग्री यंग मैन नायक वाली लगती हैं। उन्होंने भी रोमांस, एक्शन और कॉमेडी का मिश्रण वाली फ़िल्में करके खुद को ठेठ क्रुद्ध युवा नहीं बनने दिया। बागी, सनम बेवफा, कुर्बान, सूर्यवंशी, आदि उनकी शुरूआती फ़िल्में क्रुद्ध युवा नायक वाली ही थी। सैफ अली खान ने भी एंग्री यंग मैन इमेज के ज़रिये सफलता पाने की असफल कोशिश की।
बॉलीवुड में हमेशा यंग है एंग्री यंग मैन
हिंदी फिल्मों का एंग्री यंगमैन एक्शन का ज़रिया है। यह युवा में भरा उत्साह भी है। यह ऊर्जावान है। यह अन्याय से लड़ने से नहीं चूकता। फिल्मकार इस किरदार के ज़रिये कुछ भी दिखा सकते हैं। यही कारण है कि एंग्री यंग मैन आज भी यंग है। उसके ज़रिये दर्शकों की आँखों में उतरने की कोशिश आज के युवा एक्टर भी करते रहते हैं। टाइगर श्रॉफ एक्शन और क्रोध के ज़रिये अपने नायक को परदे पर सफलतापूर्वक कर पाने में सफल होते हैं। वह अच्छे डांसर भी हैं। वरुण धवन ने भी फ़िल्म बदलापुर में एंग्री यंग मैन की आग का प्रदर्शन किया था। रणदीप हूडा, विद्युत् जम्वाल, सुशांत सिंह राजपूत भी एंग्री यंग मैन को परदे पर प्रभावी तरीके से उतार पाते हैं।
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