Sunday, 8 October 2017

उम्र ७५ साल, करियर के ५० साल २२४ फ़िल्में यानि अमिताभ बच्चन

उमेश शुक्ल अगले साल रिलीज़ होने वाली फिल्म १०२ नॉट आउट में ऋषि कपूर ने ७५ साल के बेटे का किरदार किया है।  इस बूढ़े बेटे के १०२ साल के बाप का किरदार अमिताभ बच्चन कर रहे हैं।   अमिताभ बच्चन ११ अक्टूबर को ७५ साल के हो जायेंगे।  १०२ नॉट आउट उनके करियर की २२४ वी फिल्म साबित हो सकती हैं।  अमिताभ बच्चन की पहली फिल्म सात हिंदुस्तानी ७ नवंबर १९६९ को रिलीज़ हुई थी।  इस लिहाज़ से उन्हें इंडस्ट्री में ५० साल भी होने वाले हैं।  उम्र के ७५ साल, करियर के पचास साल और २२४ फ़िल्में! बेहद आकर्षक आंकड़े लगते हैं।  लेकिन, इन आंकड़ों के पीछे के करियर के उतार चढाव कहीं ज़्यादा मायने रखते हैं।
यहाँ   बताते चलें की सात हिंदुस्तानी से छह महीना पहले ही दर्शकों ने अमिताभ बच्चन की आवाज़ भुवन शोम फिल्म में सुन ली थी।  इस फिल्म में वह नैरेटर के किरदार में थे। जबकि, इसी आवाज़ के कारण आल इंडिया रेडियो ने उन्हें रिजेक्ट  कर दिया था।  सात हिंदुस्तानी के फ्लॉप होने के बावजूद अमिताभ बच्चन को फ़िल्में मिलती रही।   लेकिन, सभी फ्लॉप।  जब उनकी फिल्म ज़ंजीर रिलीज़ हुई, उस  समय तक वह दर्जन भर फ्लॉप फ़िल्में दे चुके थे।  ज़ंजीर ने उन्हें बॉलीवुड का एंग्री यंग मैन बना दिया।  दीवार और शोले ने उनके कदम कुछ ऐसे  जमा दिए कि वह सुपर स्टार, शहंशाह ऑफ़ बॉलीवुड, मेगा स्टार, मिलेनियम  स्टार, वन मैन इंडस्ट्री, आदि आदि न जाने कितने विशेषणों से नवाज़ दिए गए।  इस दौरान उन्होंने अभिमान, दीवार, शोले, ज़मीर, चुपके चुपके, कभी कभी, हेरा फेरी, अदालत, अमर अकबर अन्थोनी, खून पसीना, कस्मे वादे, बेशरम, त्रिशूल, डॉन, मुक़द्दर का सिकंदर, मिस्टर नटवर लाल, सुहाग, दोस्ताना, राम बलराम, याराना, नसीब, लावारिस, कालिया, नमक हलाल, खुद्दार,  अंधा कानून, कुली, आदि हिट फ़िल्में दी।
अस्सी के दशक तक अमिताभ बच्चन का डंका बजता रहा।  उनके होने का मतलब फिल्म का हिट होना सुनिश्चित माना जाता था।  इसीलिए उन्हें वन मैन इंडस्ट्री कहा गया। लेकिन, अस्सी की दशक से ही अमिताभ बच्चन का पतन भी शुरू हो गया।  उनकी फिल्म कुली, सेट पर घायल हो कर जीवन मृत्य से संघर्ष करने की घटना से उपजी सहानुभूति के ज्वार में हिट हो गई।  लेकिन, उस दौरान की उनकी महान, पुकार,  इन्किलाब, खबरदार, कानून  क्या करेगा, आदि फ़िल्में एक के बाद पिटती चली गई। इस दौरान वह राजीव गांधी के हाथ  मज़बूत करने के लिए राजनीती में चले गए।  ८वी लोक सभा का चुनाव लड़ा।  विपक्ष के हेमवती नंदन बहुगुणा जैसे   दिग्गज उम्मीदवार को बुरी तरह से हराया।  लेकिन, राजनीति में उनकी ऎसी किरकिरी हुई कि वह राजनीती को कीचड भरा तालाब बता कर बाहर आ गए।  १९८७ में उन्होंने वापसी की।  लेकिन, फिल्म फ्रंट पर भी उनकी आखिरी रास्ता, गंगा जमुना सरस्वती, तूफ़ान, जादूगर, मैं आज़ाद हूँ, आदि फ़िल्में फ्लॉप होती चली गई।  लगा कि अमिताभ बच्चन का सूरज अस्त हो गया।  १९९१ में उन्होंने हम से फिर वापसी की। मगर, अकेला, इंद्रजीत, अजूबा, खुदा गवाह और इंसानियत जैसी बड़ी फिल्मों की असफलता ने अमिताभ बच्चन को पुनः  बाहर हो जाने के लिए विवश कर दिया।  पांच साल तक अमिताभ बच्चन का वनवास रहा।  १९९६ में उन्होंने अपनी फिल्म निर्माण संस्था बनाई।  लेकिन, इस सौदे में वह गले गले तक क़र्ज़ में डूब गए।
अमिताभ बच्चन कहते हैं, "दुर्भाग्य या तो आपको नष्ट कर देता है या आपको वह बना देता है जो आप हैं।" दुर्भाग्य अमिताभ बच्चन को नष्ट नहीं कर सका।  उनके अच्छे दिन शुरू हुए २००० से।  क़र्ज़ से उबरने में राजनीति मैं उनके  मित्र अमर सिंह ने उनकी काफी मदद की।  इस समय तक उन्होंने हीरो बनने का मोह छोड़ दिया था।  उन्हें मोहब्बतें, एक रिश्ता- द बांड ऑफ़ लव, कभी ख़ुशी कभी गम, बागबान, खाकी,  ब्लैक, बंटी और बबली, वक़्त द रेस अगेंस्ट टाइम, सरकार, आदि फिल्मों में चरित्र भूमिकाएं कर, अपनी इंडस्ट्री में पुख्ता वापसी कराई ही, उन्हें अवार्ड्स आदि भी दिलवाए।  इस दौरान उन्होंने कौन बनेगा करोड़पति किया।  इस शो में उनकी साफ़ हिंदी, बोलने का गवई लहज़ा, आत्मीयता और व्यक्तित्व ने दर्शकों को शो का दीवाना बना दिया।
इसमें कोई शक नहीं कि अमिताभ बच्चन को अपने करियर में उतार चढ़ाव काफी देखने को मिले।  सफलता उनके सर चढ़ कर बोली भी।  उन्होंने फिल्म पत्रकारों और पत्र-पत्रिकाओं से जम कर पन्गा लिया।  ख़ास तौर पर स्टारडस्ट के साथ  उनका दुश्मनी  लंबा रिश्ता बना रहा।  उन्होंने तमाम फिल्म पत्रकारों के सेट्स पर आने की मनाही कर दी।  १९८४ में राजनीति में आने के बाद उनके राष्ट्रीय प्रेस  से भी सम्बन्ध खराब हो गए।  प्रेस को लांछित करने लिए उन्होंने प्रेस  से खार खाये बैठे जावेद अख्तर और शबाना आज़मी के साथ मिल कर मैं आज़ाद हूँ का निर्माण किया।  पर आम जनता और उनके प्रशंसक इस फिल्म से सहमत नहीं हुए।  फिल्म बुरी तरह से फ्लॉप हुई।
इस दौर में अमिताभ बच्चन ने बहुत कुछ सीखा।  एक इंटरव्यू में अमिताभ बच्चन ने कहा था  कि जो हो गया सो हो गया।  मैं दिमाग में इतना रखता हूँ कि मैं फिर वही गलतियां दोहराऊं नहीं। उन्हें लगा कि बॉलीवुड का स्टारडम बहुत दिन तक साथ नहीं देता।  प्रेस से दुश्मनी, अक्खड़पन, नुकसान पहुंचाने की आदत उन पर भारी पड़ेगी।  रेखा के साथ सम्बन्ध ख़त्म होने, कुली के सेट पर हुई दुर्घटना और उसके बाद वापसी ने अमिताभ बच्चन में परिवर्तन ला दिए थे। प्रोफेशनल तो वह पहले ही से थे।  परिश्रम करने की उनमें कोई कमी नहीं थी। विनम्रता को उन्होंने खुद में कूट कूट कर भर लिया था।  विवादों से वह दूर हो गए।  कुली के बाद उनके साथ किसी विवाद का नाता नहीं रहा। कुछ समय पहले अमर सिंह ने एक पीसी में कहा था कि अमिताभ बच्चन और जया बच्चन अलग अलग रहते हैं।  अमिताभ बच्चन ने इस पर कोई तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की। वह सोशल साइट्स पर सक्रिय  है। उनके २.९ करोड़ फॉलोवर हैं।  हर दिन वह ट्वीट करते हैं।  लेकिन, इस  ट्वीट में विवाद नदारद होते हैं।  वह राजनीती टिप्पणी से बचते हैं।  इंडस्ट्री को लेकर उनके विचार उत्साहजनक हो सकते हैं, आलोचक नहीं। प्रेस को मैनेज करना उन्होंने सीख लिया है।  वह अपने जूनियर कलाकारों के अच्छे अभिनय के लिए बुके भेजना और ट्वीट कर बधाई देना नहीं भूलते।  इससे उनकी प्रशंसकों के बीच अच्छी और सच्ची इमेज बनती हैं।  अमिताभ बच्चन की खासियत है कि वह सेट्स पर समय से पहुंचते हैं।  अपने काम को समझते हैं।  अपनी समझ को डायरेक्टर पर थोपते नहीं।  अलबत्ता,   सुझाव ज़रूर देते हैं।  महिलाओं के प्रति उनकी विनम्रता अनुकरणीय है।  केबीसी के सेट पर वह महिला प्रतिभागी को खुद उसकी कुर्सी पर बैठने में मदद करते हैं तथा उसके बैठ जाने के बाद ही खुद बैठते हैं। उनका महिलाओं के प्रति यह सम्मान, उनकी अस्सी की दशक की फिल्मों की नायिका के प्रस्तुतीकरण से ठीक विपरीत है।
अमिताभ बच्चन कहते  हैं, "बदलाव जिंदगी का स्वभाव है।  लेकिन ज़िन्दगी का लक्ष्य चुनौती है।  इसलिए, हमेशा  बदलाव को चुनौती दो।  चुनौती को बदलने की कोशिश मत करो।" अमिताभ बच्चन का यह गुरुमंत्र उनका आज़माया हुआ है।  उन्होंने  समय के साथ खुद को बदला।  बदलाव को बदलने बजाय चुनौती दी।  नतीजा सामने हैं।  उनका शो कौन बनेगा करोड़ पति का  दसवा सीजन चल रहा है।  वह इसे आठवी बार  पेश कर रहे हैं।  तीसरे सीजन में आये शाहरुख खान फीके साबित हुए।  आज नवे सीजन में आठवीं बार भी अमिताभ बच्चन टॉप पर हैं।  टीवी शो में आये बदलाव उन्हें प्रभावित नहीं कर सके।  वह बदलाव को चुनौती देते हैं।  इसीलिए टॉप पर हैं।





















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