बॉलीवुड के सितारों का जलवा दर्शकों के सर चढ़ कर ही नहीं बोलता, फिल्म प्रदर्शक भी स्टारडम के कायल हैं। बॉलीवुड के बड़े सितारे छोटी फिल्मों को किस तरह से नुकसान पहुंचाते हैं, इसका उदाहरण शेफ और तू है मेरा संडे है। बरुण सोबती की फिल्म तू है मेरा संडे कुछ लोगों के द्वारा फुटबॉल खेलने के लिए जगह की तलाश की कहानी है। इस फिल्म में बड़ी स्टार कास्ट नहीं, लेकिन कथानक प्रभावशाली है। वहीँ, शेफ
सैफ अली खान की हॉलीवुड की रीमेक फिल्म है। ढीली पटकथा और कल्पनाहीन निर्देशन के कारण यह फिल्म पहले वीकेंड में ही दर्शकों द्वारा नकार दी गई है। इसके बावजूद कि सैफ अली खान की फिल्म शेफ भीड़ खींच पाने में नाकामयाब हो रही है और वरुण सोबती और शहाणा गोस्वामी की फिल्म तू है मेरा संडे क्लास दर्शकों द्वारा पसंद की जा रही है, प्रदर्शक फिल्म तू है मेरा संडे को सुबह के शो से बाहर निकालने को नहीं, क्योंकि, सैफ का स्टारडम भारी पड़ रहा है। भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Saturday, 14 October 2017
कथानक पर भारी स्टारडम !
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ये ल्लों !!!
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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