शाहरुख़ खान की बौने किरदार वाली फिल्म
का शीर्षक जीरो वायरल हो चूका है। इस
फिल्म के टीज़र में शाहरुख़ खान का बौना, शशि कपूर की पुरानी फिल्म के गीत पर डांस करता
नज़र आता है। लेकिन, इस के बावजूद फिल्म के प्रति ख़ास उत्सुकता पैदा
नहीं होती। बेशक, शाहरुख़ खान, बॉलीवुड के इतने बड़े हीरो हैं कि वह जीरो को हिंदी फिल्म
का टाइटल बनवा दे । लेकिन, क्या वह इतने बड़े हीरो भी हैं
कि बौने किरदार को जीरो से सुपर हीरो की ऊंचाई तक पहुंचा सकें? शाहरुख़ खान कुछ नया
नहीं कर रहे । बौना किरदार करने वाले फिल्म अभिनेताओं की बात करें तो शाहरुख़ खान से पहले फिल्म अभिनेता अनुपम खेर
फिल्म जानेमन में, अपनी दोहरी भूमिका में से एक में बौने किरदार की भूमिका कर चुके हैं। शिरीष कुंदर की इस फिल्म में अनुपम खेर का बौना किरदार एक वकील है। शिरीष कुंदर और
उनकी बीवी फराह खान ने फिल्म निर्माता बोनी कपूर को निशाना बनाने के लिए इसे बोनी
कपूर नाम दिया था। लेकिन, किसी बॉलीवुड अभिनेता ने बौना किरदार करने की कभी कोई कोशिश
नहीं की। इमेज का मामला जो होता है। यहाँ यह बताना उपयुक्त होगा कि जानेमन एक फ्लॉप
फिल्म थी। इस फिल्म के अलावा, दूसरी फिल्म में बौना किरदार कमल हासन का ही याद
आता है। कमल हासन ने बतौर निर्माता निर्देशक और अभिनेता, अपनी तमिल फिल्म अपूर्व सगोधरर्गल (१९८९) में तिहरी भूमिका की थी। इनमे एक सर्कस के बौने विदूषक की भी थी। इस फिल्म को हिंदी में अप्पू राजा टाइटल के साथ रिलीज़ किया गया था। तमिल और
तेलुगु (डब संस्करण) में यह फिल्म हिट साबित हुई थी। लेकिन, इस फिल्म के हिंदी संस्करण
ने ५० प्रिंट्स में रिलीज़ हो कर सिर्फ ५० लाख का कारोबार किया था। इन दो फिल्मों
की रोशनी में यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है कि बॉक्स ऑफिस पर जीरो कैसा
प्रदर्शन करेगी। लेकिन शाहरुख़ खान की अतीत की लीक से हट कर भूमिका वाली फिल्म से
कोई निष्कर्ष निकाला जा सकता है। शाहरुख़ खान को रोमांस का बादशाह कहा जाता है । उनकी आज तक की ज़्यादातर बड़ी सफल फ़िल्में रोमांटिक ही थी। खान ने कुछ ही फिल्मों में लीक से
हट कर भूमिका करने का साहस किया है। राकेश रोशन की फिल्म कोयला में वह गूंगे शंकर
की भूमिका में थे। अशोका में उन्होंने लम्बे बालों के साथ अशोक सम्राट की भूमिका
की थी। रा.वन में एक मशीन जी.वन की भूमिका की थी। फैन में प्रोस्थेटिक मेकअप के
सहारे फिल्म स्टार और उसके हमशक्ल प्रशंसक की दोहरी भूमिका में थे। उन्होंने रईस में एक
गैंगस्टर का प्रयोगात्मक किरदार किया था . यह सभी फ़िल्में बॉक्स ऑफिस बोफ़्फ़िस पर या तो
बुरी तरह से बिखरी थी या निर्माताओं के लिए घाटे का सौदा साबित हुई थी। इसका मतलब
यह कि शाहरुख़ खान को प्रयोग फबते नहीं है। आनंद एल राज की जीरो भी खान की
प्रयोगात्मक फिल्म है। इधर, बॉक्स ऑफिस पर, शाहरुख खान की फिल्म को दर्शकों का
उत्साह नहीं मिल पा रहा है। ऐसे मे, २१ दिसम्बर को रिलीज़ होने जा रही फ़िल्म पर बॉक्स
ऑफिस पंडितों की निगाहें होंगी कि शाहरुख़ खान हीरो साबित होते हैं या जीरो !
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Thursday, 4 January 2018
क्या जीरो को लम्बी रेस का घोड़ा बना पाएंगे बौने शाहरुख़ खान ?
Labels:
नई फिल्म,
फिल्म पुराण,
हस्तियां
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment