कलर्स के सबसे सफल शो में एक नागिन २ के २५ जून
को ख़त्म हो जाने के बाद, फिल्म और टीवी के गलियारों में यह खबर ख़ास थी कि नागिन शिवन्या/शिवानी अब इच्छाधारी नागिन के किरदार में नहीं लौटेंगी। उनके हिंदी
फिल्मों में काम करने की खबरें भी आ रही थी । अब, टीवी की इस इच्छाधारी नागिन ने कम
से कम तीन फ़िल्में साइन कर ली हैं । इस साल स्वतंत्रता दिवस पर रिलीज़ होने जा रही फिल्म
गोल्ड में अक्षय कुमार और निकिता दत्ता के साथ मौनी रॉय को भी लिए जाने की खबरें
आई थी । गोल्ड में मौनी रॉय की भूमिका साफ़ नहीं हुई है, लेकिन खबर ताज़ा यह है कि
करण जौहर की फंतासी ट्राइलॉजी ब्रह्मास्त्र की पहली कड़ी में मौनी रॉय का किरदार ग्रे
शेड वाला होगा । मौनी की ब्रह्मास्त्र भूमिका वैम्प की होगी या कुछ निगेटिव टच
वाली, अभी साफ़ नहीं है । लेकिन, इतना तय है कि वह ब्रह्मास्त्र में रणबीर कपूर की
नायिका नहीं है। ब्रह्मास्त्र में रणबीर की नायिका अलिया भट्ट हैं।
टीवी सीरियलों से ग्रेसी सिंह, विद्या बालन और
यमी गौतम
क्या टीवी सीरियलों की नायिकाओं की त्रासदी है कि
वह हिंदी फिल्मों मे प्रवेश तो कर ले जाती हैं, लेकिन इन फिल्मों की नायिका नहीं
बन पाती ? मौनी रॉय के संदर्भ में यह सच हो सकता है । लेकिन, ध्यान रखना होगा कि मौनी ने
अभी शुरुआत भर की है । लेकिन, जहाँ तक दूसरी टीवी स्टार्स की बात है, उनके लिए अनुभव
मिला जुला ही रहा है । यहाँ, पहले टेलीविज़न सीरियलों की तीन प्रमुख अभिनेत्रियों की बात
करते हैं । विद्या बालन ने एकता कपूर के शो हम पाँच के २००५ से शुरू दूसरे
सीजन में अमिता नांगिया की जगह राधिका का किरदार करके टीवी दर्शकों को लुभाया ही,
हिंदी फिल्म निर्माताओं का ध्यान भी आकृष्ट किया । विद्या बालन को प्रदीप सरकार
निर्देशित फिल्म परिणीता (२००६) में लोलिता का किरदार करने का पहला मौका मिला । तब तक
वह, एक बांगला और एक मलयालम फिल्म कर चुकी थी । विद्या बालन से पहले और उनके बाद दो
दूसरी टेलीविज़न एक्ट्रेस हिंदी फिल्मों में आई। ग्रेसी सिंह के करियर की शुरुआत,
जी टीवी के शो अमानत (१९९७) से हुई थी । इस शो में उन्होंने डिंकी के किरदार से
अपने दर्शकों को मुग्ध कर लिया था । इस किरदार की ग्रेसी पर पकड़ का अनुमान
इसी से लगाया जा सकता है कि जब उन्होने आशुतोष गोवारिकर निर्देशित फ़िल्म लगान
(२००१) से अपने फिल्म करियर की शुरुआत की गई तो उन्हें काफी समय तक डिंकी सिंह के
नाम से भी जाना गया । विद्या बालन के बाद एक टीवी एक्ट्रेस यमी गौतम ने भी हिंदी
फिल्म डेब्यू किया था । वह एनडीटीवी इमेजिन के शो चाँद के पार चलो (२००८-०९) में
सना के किरदार से काफी लोकप्रिय हुई थी । यमी गौतम का फिल्म करियर की शुरूआत आयुष्मान खुराना
के साथ फिल्म विक्की डोनर (२०१२) से हुई ।
लेकिन, मेन स्ट्रीम हिंदी फिल्मों की नायिका नहीं
ख़ास बात यह रही कि ग्रेसी सिंह, विद्या बालन और
यमी गौतम की टेलीविज़न सीरियलों की लोकप्रियता फिल्मों में काम आई । इन तीनों अभिनेत्रियों
की पहली फ़िल्में लगान, परिणीता और विक्की डोनर को सफलता भी मिली . लगान तो बड़ी हिट
फिल्मों में शुमार है. लेकिन, इसके बावजूद यह तीनों ही अभिनेत्रियां मुख्य धारा की
फिल्मों यानि व्यवसायिक फिल्मों में अपनी स्थाई जगह नहीं बना सकी । इन तीनों ही
अभिनेत्रियों को कभी भी समकालीन रानी मुख़र्जी, प्रीटी जिंटा, आदि का समकक्ष नहीं
समझा गया । ग्रेसी सिंह की पहली फिल्म लगान ज़रूर आमिर खान के साथ थी, लेकिन विद्या
बालन और यमी गौतम को कभी किसी खान अभिनेता की नायिका बनने का मौका नहीं मिला । आज
यमी गौतम, काबिल में हृथिक रोशन की नायिका बन चुकी है, लेकिन इसके बावजूद बत्ती
गुल मीटर चालू में शाहिद कपूर के साथ उन पर श्रद्धा कपूर भारी पड़ रही है । ग्रेसी
सिंह के साथ तो ज्यादा बुरी बीती है । वह अब फिल्मों के बजाय टीवी सीरियल संतोषी माँ में संतोषी माँ का
किरदार कर रही हैं । विद्या बालन को हिंदी की ख़ास कथानक वाली फ़िल्में ही कर पाती
है ।
कहानी घर घर की, कसौटी ज़िन्दगी की
कभी टेलीविज़न पर एकता कपूर के दो सीरियलों कसौटी
ज़िन्दगी की (२००१) और कहानी घर घर की (२०००) का डंका बजा करता था । इन सीरियलों की बहुएं
प्रेरणा बासु और पारवती, आम हिन्दुस्तानी घर में आदर्श बहुए मानी जाती थी ।श्वेता
तिवारी ने प्रेरणा बासु और साक्षी तंवर ने पारवती के किरदार से दर्शकों के दिलों
में अपनी प्रतिष्ठित इमेज बनाई थी । लेकिन, इस बहू इमेज से इन दोनों अभिनेत्रियों को
फिल्म करियर बनाने में कोई मदद नहीं मिली । अपने शो की वजह से श्वेता तिवारी को मदहोशी,
आबरा का डबरा और बेनी और बबलू जैसी फिल्मों में मामूली सी भूमिकाये मिली ख़ुद को सेक्सी भी साबित करने के लिये, श्वेता तिवारी ने फिल्म बिन बुलाये बाराती में जम कर अंग
प्रदर्शन किया ।भीगी साडी से अपना देह दर्शन करवाया । लेकिन, बड़ी फिल्म क्या, किसी
छोटी फिल्म की नायिका बनने में भी सफलता नहीं मिली । कहानी घर घर की की बहू पारवती साक्षी
तंवर २७ साल की उम्र में भी परिपक्व चहरे वाली थी । उन्हें भी हिंदी की कूड़ा
फिल्मों में ही किरदार करने का इक्का दुक्का मौका ही मिला. अलबत्ता, चेहरे की
परिपक्वता का तकाजा था कि साक्षी तंवर फिल्म दंगल और मोहल्ला अस्सी में आमिर खान
और सनी देओल की पत्नियों और दो दो बच्चो की माँ के भूमिकाये ही पा सकी.
टीवी अभिनेता बनाम टीवी अभिनेत्री
टेलीविज़न के सितारों को लेकर बॉलीवुड पूर्वाग्रही
लगता है. वह टीवी सीरियलों के अभिनेताओं की हीरो बनाने का मौका नहीं चूकता . लेकिन
अभिनेत्रियों को लेकर उसकी हिचक साफ़ नज़र आती है. इरफ़ान खान को ही लीजिये, इरफ़ान ने
१९८५ में टीवी सीरियल श्रीकांत, चाणक्य, भारत एक खोज, चन्द्रकान्ता, बनेगी अपनी
बात, आदि बहुत से टीवी सीरियल करके अपने एक्टिंग करियर का आगाज़ किया. इरफ़ान आम
बॉलीवुड फिल्मों के चॉकलेटी चेहरा नहीं थे. इसके बावजूद उन्हें बॉलीवुड ने खुले दिल
से स्वीकार किया. इरफ़ान में तो खैर प्रतिभा थी, लेकिन बॉलीवुड ने टीवी एक्टर
शाहरुख़ खान को उनकी इमेज में बंधे होने के बावजूद अपना सुपर स्टार बना लिया.
लेकिन, शांति की मंदिर बेदी को क्रिकेट में शरण लेनी पड़ती है. शाकालाका बूम बूम और
देश में निकला होगा चाँद की हंसिका मोटवानी को दक्षिण की फ़िल्में खुली बांह
स्वीकार करती हैं. पोपुलर टीवी सीरीज कसम से की प्राची देसाई सुन्दर और
प्रतिभाशाली होने के बावजूद लीड एक्ट्रेस नहीं बन पाती. लोकप्रिय टीवी सीरियल कहानी
घर घर की की टीना पारेख (सत्य बोल, खिचड़ी द मूवी). श्वेता क्वात्रा (माय ब्रदर
निखिल, मर्डर २), स्वाभिमान और कहानी घर घर की की अचिन्त्य कौर, श्वेता केसवानी
(लव इन नेपाल), कविता कौशिक, रूपा गांगुली तथा कसौटी ज़िन्दगी की की कोमोलिका
उर्वशी ढोलकिया, मानसी पारेख, तसनीम शेख, बरखा बिष्ट, शुभांगी अत्रे, आदि को भी
फिल्मों में स्वीकार नहीं किया गया.
बॉलीवुड के मेल-फीमेल एक्टर के बीच भेदभाव बरतने
का बढ़िया उदाहरण पवित्र रिश्ता की नायक नायिका हैं . इस सीरियल में मानव और अर्चना
की भूमिका करने वाले दो कलाकार सुशांत सिंह राजपूत और अंकिता लोखंडे ज्वलंत प्रमाण
है. जहाँ सुशांत सिंह राजपूत फिल्म पीके में अनुष्का शर्मा के हीरो बनने के बाद
केदारनाथ में सारा अली खान के नायक बन रहे हैं, वही सीरियल में उनकी अर्चना को एक
भी फिल्म नहीं मिली. अब जाकर उनके मणिकर्णिका : द क्वीन ऑफ़ झाँसी में कंगना रानौत
के साथ झलकारी बाई के किरदार को करने की खबर है. क्या अंकिता लोखंडे प्रतिभा के
लिहाज़ से सुशांत सिंह राजपूत से कमतर थी ? यही कारण है कि मौनी रॉय नागिन की अपनी इमेज का शिकार हो वैम्प बनाई जा सकती है, लेकिन रणबीर कपूर की नायिका आलिया भट्ट ही बन सकेगी। गोल्ड में भी, मौनी रॉय अपने नायक अक्षय कुमार की बाँट सीरियल हासिल की नायिका निकिता दत्ता के साथ कर रही हैं।
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