Sunday, 16 February 2020

पहली ट्राइलॉजी फिल्म नहीं है Brahmastra


निर्माता करण जौहर और धर्मा प्रोडक्शंस, फिल्म ब्रह्मास्त्र को पहली इरादतन ट्राइलॉजी यानि त्रयी फिल्म कहता है। इस फिल्म में रणबीर कपूर और आलिया भट्ट की भूमिकाये शिव और शक्ति से प्रेरित होंगी। फिल्म में अमिताभ बच्चन, मौनी रॉय, नागार्जुन और डिम्पल कपाडिया की पौराणिक चरित्रों से प्रेरित भूमिकाये हैं। फिल्म ब्रह्मास्त्र को तीन हिस्सों में बनाया और रिलीज़ किया जाएगा। इस ट्राइलॉजी की पहली फिल्म ब्रह्मास्त्र पार्ट १, इस साल ४ दिसंबर को प्रदर्शित होने जा रही है। इसके बावजूद कि ब्रह्मास्त्र को इरादतन त्रयी फिल्म कहा जा रहा है, यह सही मायनों में पहले इरादतन त्रयी फिल्म नहीं है। क्योंकि इस फिल्म से काफी पहले बासु भट्टाचार्य सत्तर के दशक में  हिंदी में त्रयी फिल्म बना चुके हैं। सत्यजीत रे की अप्पू ट्राइलॉजी भारत की पहली त्रयी फिल्म है।

भारत की ट्राइलॉजी फ़िल्में
भारत की पहली ट्राइलॉजी फिल्मों के लिहाज़ से सत्यजीत रे की द अप्पू ट्राइलॉजी उल्लेखनीय है। यह बांगला भाषा में ट्राइलॉजी फिल्म थी। इस ट्राइलॉजी के तहत सत्यजीत रे ने १९५५ में पाथेर पांचाली, १९५६ में अपराजितो और १९५९ में अपुर संसार यानि द वर्ल्ड ऑफ़ अपु बनाई। यह तीनों फ़िल्में विश्व की श्रेष्ठ फिल्मों में शुमार की जाती है। इन तीनों फिल्मों का संगीत रवि शंकर ने दिया था। इस फिल्म को भारत की ट्राइलॉजी फिल्मों की शुरुआत कहा जा सकता है। जहाँ तक हिंदी ट्राइलॉजी की बात है, बासु भट्टाचार्य की अर्बन ट्राइलॉजी ही पहली ट्राइलॉजी फिल्म लगती है।

वासु भट्टाचार्य की अर्बन ट्राइलॉजी
१९७० के दशक में, फिल्मकार बासु भट्टाचार्य ने अर्बन ट्राइलॉजी फिल्म बनाई थी। इस ट्राइलॉजी के अंतर्गत तीन ऎसी कहानियों वाली फ़िल्में बनाई गई, जिनका कथानक शहरी परिवार पर आधारित था। उस समय तक, बासु भट्टाचार्य ग्रामीण पृष्ठभूमि पर एक नौटंकी वाली और गाड़ीवान की प्रेम कहानी पर फिल्म तीसरी कसम से राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीत चुके थे। इस अर्बन ट्राइलॉजी के अंतर्गत बनने वाली पहली फिल्म अनुभव थी, जो १९७१ में प्रदर्शित हुई थी। इस फिल्म में संजीव कुमार और तनूजा के जरिये शहर की भागती ज़िन्दगी में एक विवाहित दम्पति के सामंजस्य की समस्या को उठाया गया था। इस ट्राइलॉजी की बाकी दो फिल्मों अविष्कार (१९७४) और गृह प्रवेश (१९७९) में भी शहरी ज़िन्दगी में विवाहेतर संबंधों को बखूबी उठाया गया था। अविष्कार में राजेश खन्ना और शर्मीला टैगोर तथा गृह प्रवेश में संजीव कुमार, सारिका और शर्मीला टैगोर की तिकड़ी के बीच कहानी बनी गई थी। 

दीपा मेहता की एलिमेंट्स ट्राइलॉजी
दीपा मेहता की एलिमेंट्स ट्राइलॉजी की फिल्मों के नाम तीन प्रमुख तत्वों पर रखे गए थे। इसीलिए दीपा मेहता की ट्राइलॉजी को एलिमेंट्स ट्राइलॉजी कहा गया। लेकिन, इन फिल्मों में समाज से जुड़े विवादस्पद सुधारों को उठाया गया था। फायर (१९९६) में दीपा मेहता ने पहली बार लेस्बियन यानि समलैंगिक संबंधों को देवरानी-जेठानी के ज़रिये उठाया था।  दूसरी फिल्म अर्थ (१९९८) देश के विभाजन पर फिल्म थी। इसीलिए इस फिल्म को १९४७- अर्थ भी कहा जाता है। इस फिल्म की कहानी एक पारसी लड़की के माध्यम से कही गई थी। इस ट्राइलॉजी की तीसरी फिल्म वाटर (२००५) में १९३० का माहौल था और आश्रमों में रहने वाली विधवाओं की ज़िन्दगी का कारुणिक चित्रण था। दीपा मेहता की यह सभी फ़िल्में काफी विवादस्पद रूप से चर्चित हुई। दीपा मेहता की, भारतीय पृष्ठभूमि पर ट्राइलॉजी भारत-कनाडा सहकार की देन थी। इन फिल्मों ने दुनिया के फिल्म समारोहों में धूम मचाई।

जेपी दत्ता की वॉर ट्राइलॉजी
जेपी दत्ता को, वॉर यानि युद्ध ट्राइलॉजी फ़िल्में बनाने वाला फिल्मकार बताया जाता है। लेकिन यह वास्तव में सही तथ्य नहीं है। क्योंकि, इस वॉर ट्राइलॉजी की तीन फिल्मों बॉर्डर, एलओसी -कारगिल और पल्टन के कथानक की पहले से कल्पना नहीं की जा सकती थी। बॉर्डर (१९९७), भारत और पाकिस्तान के बीच १९७१ में लड़े गए युद्ध की पृष्ठभूमि पर फिल्म थी। जब जेपी दत्ता ने बॉर्डर बनाने की सोची, उस समय तक कारगिल युद्ध नहीं हुआ था। कारगिल युद्ध मई १९९९ से जुलाई १९९९ के मध्य लड़ा गया। इसीलिए इस कथानक पर, जेपी दत्ता की फिल्म एलओसी कारगिल २००३ में प्रदर्शित हुई। अलबत्ता, पल्टन की परिकल्पना जेपी दत्ता कर सकते थे, क्योंकि यह फिल्म १९६४ के भारत-चीन युद्ध पर फिल्म थी। कहा जाता है कि जेपी दत्ता ने, वास्तव मे, वॉर ट्राइलॉजी की कल्पना की थी। वह बॉर्डर के बाद बॉर्डर २ बनाना चाहते थे। लेकिन, बॉर्डर २ के ऐलान में देरी हुई। तब तक कारगिल युद्ध उनकी फिल्म का विषय बन गया।


टेररिज्म, गैंगस्टर और शेक्सपियर ट्राइलॉजी ?
मणिरत्नम को हिंदी फिल्म दर्शकों द्वारा पहली बार, उनकी तमिल टेररिज्म ट्राइलॉजी के कारण जाना गया। रोजा, बॉम्बे और दिल से रोजा और बॉम्बे को तमिल से हिंदी में डब कर रिलीज़ किया गया था। जबकि, शाहरुख़ खान, मनीषा कोइराला और प्रीटी ज़िंटा की फिल्म दिल से हिंदी में बनाई गई थी। इस लिहाज़ से मणिरत्नम की टेररिज्म ट्राइलॉजी हिंदी ट्राइलॉजी नहीं कही जा सकती। राम गोपाल वर्मा की गैंगस्टर ट्राइलॉजी को इस श्रेणी में शामिल किया जा सकता था। रामगोपाल वर्मा ने गैंगस्टर ट्राइलॉजी बनाने के ख्याल से सत्या की शुरुआत की थी। लेकिन, कंपनी के बाद वह इस ट्राइलॉजी से भटक गए। उनकी इस कथित ट्राइलॉजी की तीसरी फिल्म डी हर तरह से कमज़ोर फिल्म थी। विशाल भरद्वाज की शेक्सपियर ट्राइलॉजी ख़ास उल्लेखनीय है। उन्होंने शेक्सपियर के नाटक मैकबैथ पर मक़बूल (२००३), ऑथेलो पर ओमकारा (२००६) और हैमलेट पर हैदर (२०१४) का निर्माण किया। इन तीनों फिल्मों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काफी सराहा गया। रामगोपाल वर्मा की २००५ में प्रदर्शित फिल्म सरकार, हॉलीवुड की गॉड फादर सीरीज से प्रेरित सरकार त्रयी की पहली फिल्म थी। वर्मा ने फिल्म के सरकार की समानता गॉडफादर के बजाय शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे से बनाई थी। इस सीरीज की बाकी दो फ़िल्में सरकार राज और सरकार ३ भी अमिताभ बच्चन की सरकार भूमिका के साथ प्रदर्शित हुई। 

तीन फ़िल्में, पर ट्राइलॉजी नहीं
कुछ हिंदी फिल्मों के तीन हिस्से बने। लेकिन, इसके बावजूद इन्हे त्रयी फिल्मों में शामिल करना उपयुक्त न होगा। इस कड़ी में विक्रम भट्ट की लिखी और निर्देशित फिल्म १९२० को हॉरर ट्राइलॉजी की पहली फिल्म कहा जाता है। इसके अंतर्गत १९२०, १९२०- ईविल रिटर्न्स और १९२०- लन्दन का निर्माण हुआ। परन्तु, इस ट्राइलॉजी की स्पिन ऑफ फिल्म १९२१ ने फिल्म की हॉरर ट्राइलॉजी होने की खासियत ख़त्म कर दी। पिछले साल, निर्माता-निर्देशक जोड़ी राज निदिमोरू और कृष्णा डीके ने स्त्री ट्राइलॉजी का ऐलान किया। परन्तु, इस ट्राइलॉजी का ऐलान पहली स्त्री (२०१८) की सफलता के बाद किया गया। इसका मतलब यह था कि यह इरादतन ट्राइलॉजी नहीं है, बल्कि इसे स्त्री फ्रैंचाइज़ी कहना ज़्यादा उपयुक्त होगा। तिग्मांशु धुलिया की तीन फिल्मों साहब बीवी और गैंगस्टर, साहेब बीवी और गैंगस्टर रिटर्न्स और साहब बीवी और गैंगस्टर ३ को ट्राइलॉजी फिल्म नहीं कहा जा सकता। क्योंकि, तिग्मांशु धुलिया ने पहली फिल्म का ऐलान करते समय ऐसा कोई इरादा नहीं जताया था। उन्होंने साहब बीवी और गैंगस्टर की सफलता के बाद ही बाद की दो फ़िल्में बनाई।इस सीरीज में चौथी फिल्म भी बनाई जाती, यदि बड़ी स्टार कास्ट के बावजूद साहब बीवी और गैंगस्टर ३ बुरी तरह से फ्लॉप न हो जाती। इसी प्रकार से, इन्ही कारणों से धूम ट्राइलॉजी और कमांडो ट्राइलॉजी को भी तीन फिल्मों के बावजूद ट्राइलॉजी नहीं कहा जा सकता। धूम ४ के अक्षय कुमार के साथ बनाये जाने की खबरें हैं।

क्या यह ट्राइलॉजी फ़िल्में हैं ?
कुछ फिल्मों की सीरीज को तीन फिल्मों के कारण ट्राइलॉजी कहा जा रहा है। इनमे रेमो डिसूज़ा की डांस आधारित एबीसीडी ट्राइलॉजी (एबीसीडी, एबीसीडी २ और स्ट्रीट डांसर ३डी), एंथोलॉजी ट्राइलॉजी (बॉम्बे टाल्कीज, लस्ट स्टोरीज और घोस्ट स्टोरीज), एडल्ट कॉमेडी ट्राइलॉजी (क्या कूल हैं हम, क्या सुपरकूल हैं हम और क्या कूल हैं हम ३), शूटआउट ट्राइलॉजी (शूटआउट एट लोखंडवाला, शूटआउट एट वडाला और आगामी मुंबई सागा फिल्म) उल्लेखनीय हैं। क्या इन्हे हिंदी की ट्राइलॉजी फिल्मों में शामिल किया जा सकता है ? इसी प्रकार से कहानी (२०१२) के बाद कहानी २- दुर्गा रानी सिंह के बाद बॉब विश्वास को कहानी ३ बताते हुए कहानी ट्राइलॉजी कहा जा रहा है। क्या यह सभी फिल्मे ट्राइलॉजी फिल्मे हैं ? इस लिहाज़ से तो बागी श्रंखला की तीसरी फिल्म बागी ३ के बाद, इसे बागी ट्राइलॉजी कहा जायेगा।  क्या सचमुच !

आगामी ट्राइलॉजी फ़िल्में
करण जौहर ने तीन हॉरर फिल्मों का निर्माण भूत टाइटल के अंतर्गत करने का ऐलान किया है। यह फ़िल्में भूतिया और शापित जगहों पर होंगी।  इस त्रयी की पहली फिल्म भूत - पार्ट वन द हॉन्टेड शिप २१ फरवरी को प्रदर्शित होने जा रही है।  निर्माता- निर्देशक नितेश कुमार ने भी रामायण ट्राइलॉजी के निर्माण का ऐलान किया है। इस फिल्म में राम कथा को तीन हिस्सों में  दिखाया जाएगा।  इन फिल्मों को ट्राइलॉजी फ़िल्में कहा जा  सकता है। ३० मार्च को प्रदर्शित हो रही टाइगर श्रॉफ की फिल्म बागी ३ को ट्राइलॉजी फिल्म के बजाय बागी फ्रैंचाइज़ी की तीसरी फिल्म कहा जायेगा। क्योंकि, इस बागी सीरीज  का विस्तार आगे की सीक्वल फिल्मों के ज़रिये किये जाने की खबर है। इस लिहाज़ से, ब्रह्मास्त्र को पहली घोषित हिंदी फंतासी सुपर हीरो ट्राइलॉजी फिल्म कहा जा सकता है ।

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