हॉलीवुड से तीस साल पहले के रोमांस की वापसी होने जा रही है। निर्देशक
जेरी जुकर की १३ जुलाई १९९० को प्रदर्शित फिल्म घोस्ट ने रोमांस की दुनिया में
तहलका मचा दिया था। टूट कर प्यार करने वाले बैंकर सैम वीट और आर्टिस्ट मौली जेन्सन
की दुनिया उस समय तहस-नहस हो जाती है, जब सैम का
मित्र कार्ल उसे मार डालता है। वह मौली की जान का भी दुश्मन बन चूका है। सैम की आत्मा
मौली को बचाने के लिए भटक रही है। इसके लिए वह अलौकिक शक्तियों से बात करने वाली
ओडा मए ब्राउन से मदद लेता है।
रोमांस और इमोशन की घोस्ट
इस फिल्म में मौली और सैम का गर्मागर्म रोमांस। मौली को बचाने के लिए सैम
की आत्मा की छटपटाहट। सैम की अपनी छू सकने वाली शक्तियों को पाने की कोशिश ने एक
ऐसा ड्रामा रचा था कि २२ मिलियन डॉलर में बनी फिल्म घोस्ट ने ५०५ मिलियन डॉलर से
ज़्यादा का ग्रॉस किया था। इस फिल्म में पैट्रिक स्वेज़ ने सैम वीट,
डेमी मूर ने मौली जेंसन और व्हूपी गोल्डबर्ग ने ओडा माए ब्राउन की भूमिका
की थी। इस भूमिका के लिए व्हूपी ने ऑस्कर पुरस्कार भी जीता था। अब यही फिल्म वैलेंटाइन्स डे पर १४ फरवरी को सीमित
पर्दों में पूरी दुनिया में प्रदर्शित की जा रही है।
घोस्ट की भद्दी नक़ल
बॉलीवुड ने भी घोस्ट की नक़ल पर दो फ़िल्में बनाई। पहली ऎसी फिल्म प्यार का
साया (१९९१) थी। निर्देशक बी सुभाष की इस फिल्म में मुख्य भूमिका में राहुल रॉय और
शीबा थे। अभिनेत्री अमृता सिंह ने व्हूपी गोल्डबर्ग वाली भूमिका की थी। राहुल राय
और शीबा के गरमागरम रोमांस वाली फिल्म प्यार का साया भद्दी नक़ल साबित होती थी। यह
फिल्म कमज़ोर एक्टरों के कारण बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से असफल हुई।
माँ के घोस्ट का इमोशन
घोस्ट की नक़ल पर, बॉलीवुड में दो फ़िल्में एक साथ निर्माणाधीन
थी। प्यार का साया के अलावा दूसरी फिल्म माँ (१९९१) थी। यह प्यार का साया के एक
हफ्ते बाद रिलीज़ हुई थी। निर्माता अनिल शर्मा की अजय कश्यप निर्देशित इस फिल्म का
लेखक श्याम गोयल ने कुछ इतनी खूबसूरती से भारतीयकरण किया था कि फिल्म दर्शकों
द्वारा काफी पसंद की गई। यह फिल्म एक माँ (जयाप्रदा) की,
अपनी हत्या के बाद बच्चे को बचाने की छटपटाहट का भावुक चित्रण करती थी।
जयाप्रदा ने दिल छू लेने वाला अभिनय किया था। दूसरी भूमिकाओं में जीतेंद्र थे।
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