राजकपूर को 'राज' कहने वाले के एन सिंह
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अपनी भौहों के सञ्चालन, खास प्रकार की संवाद अदायगी और मुंह से सिगार का
धुआ उगलते हुए, सामने वाले के पसीने छुडा देने वाले विलेन के एन सिंह ने अभिनय के
दुनिया में जाने की कभी नहीं सोची थी. वह तो अपने क्रिमिनल लॉयर पिता की तरह वकील बनना
चाहते थे. लेकिन, एक दिन पिता के डिफेन्स की वजह से एक वास्तविक अपराधी के छूट जाने
पर उन्हें लगा की न्यायालय से न्याय नहीं दिलाया जा सकता. उनका मन वकालत से हट
गया. वह खेल में रूचि रखते थे. वह जेवेलिन थ्रो के खिलाड़ी थे. उनका १९३६ के
ओलंपिक्स में चयन होना था. लेकिन, उसी दौरान उन्हें अपनी बीमार बहन को देखने
कलकत्ता जाना पडा. वह ओलिंपिक नहीं खेल पाए. क्योंकि, वह तो फिल्मों में खेल
दिखाने के लिए बने थे. पृथ्वीराज कपूर उनके पारिवारिक मित्र थे. उन्होंने, कलकत्ता
में के एन सिंह का परिचय देबकी बोस से करा दिया. देबकी बोस ने उन्हें फिल्म सुनहरा
संसार में डॉक्टर की छोटी सी भूमिका सौंप दी. इसके साथ ही अभिनेता के एन सिंह का
जन्म हो गया. कलकत्ता में उन्होंने चार दूसरी फ़िल्में हवाई डाकू, अनाथ आश्रम,
विद्यापति और मिलाप भी की. मिलाप का निर्देशन ए आर कारदार ने किया था. जब कारदार
बॉम्बे जाने लगे तो उन्होंने के एन सिंह को भी साथ ले लिया. इसके बाद, के एन सिंह
बॉम्बे फिल्म इंडस्ट्री में इतना रमे कि उन्होंने १९८० के दशक तक कोई २५० फ़िल्में
कर डाली. उनकी उल्लेखनीय फिल्मों में एक रात, इशारा, ज्वार भाता, द्रौपदी,
इंस्पेक्टर, हावड़ा ब्रिज, बरसात, आवारा, तीसरी मंजिल, एन इवनिंग इन पेरिस, लाट
साहब, हाथी मेरे साथी उल्लेखनीय थी. फिल्म इशारा में के एन सिंह ने उम्र में बड़े
पृथ्वीराज के पिता की भूमिका की थी. उस समय पृथ्वीराज कपूर ने उनसे कहा था कि
फिल्म में तुम साबित करो की एक्टिंग में तुम मेरे बाप हो. के एन सिंह ने राजकपूर
की निर्देशित लगभग सभी फिल्मों में अभिनय किया था. लेकिन, उन्होंने कभी राजकपूर को
दूसरों की तरह राज साब नहीं कहा. वह कहते थे यह लड़का तो मेरी गोद में खेला है. के
एन सिंह का जन्म आज के दिन १ सितम्बर १९०८ को देहरादून में हुआ था. उनका देहांत ३१
जनवरी २००० को मुंबई में हुआ.
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