क्या कभी एक्शन कुमार से मशहूर अभिनेता अक्षय कुमार अब जिम्मेदार बन गए हैं ? वह सामजिक सरोकार रखने वाले और
उपदेशक की मुद्रा में भी नज़र आने लगे हैं। ख़ास तौर पर अपनी फिल्मों में। अक्षय कुमार ने २०१३ तक खिलाडी ७८६,
वंस अपॉन अ टाइम इन मुंबई दुबारा, जोकर, आदि खालिस मसाला और कमोबेश सस्ते हास्य
वाली फिल्में की थी। २०१४ से उन्होंने अपनी फिल्मों में बदलाव लाना शुरू किया। उन्होंने कंटेंट बेस्ड फ़िल्में करनी शुरू कर दी। ख़ास बात यह है कि उनकी फ़िल्में
सार्थक और संदेशात्मक फ़िल्में थी। पिछले तीन सालों में अक्षय कुमार की प्रदर्शित
फ़िल्में बेबी, गब्बर इज बैक, एयरलिफ्ट, रुस्तम, जॉली एलएलबी २, नाम शबाना और
टॉयलेट : एक प्रेम कथा देश प्रेम से लबालब संदेशात्मक फ़िल्में थी। अब, इस गणतंत्र
दिवस वीकेंड पर रिलीज़ होने जा रही अक्षय कुमार, राधिका आप्टे और सोनम कपूर की
फिल्म पैडमैन एक और संदेशात्मक फिल्म है। यह महिलाओं के पीरियड्स के दौरान होने
वाली कठिनाइयों को देखते हुए, स्वच्छता के प्रति सन्देश देने वाली फिल्म है। इस
फिल्म के कहानी सस्ते पैड बनाने वाली मशीन का निर्माण करने वाले अरुणाचलम
मुरुगुनान्थम के जीवन पर फिल्म है। इस फिल्म में केन्द्रीय भूमिका अक्षय कुमार ही
कर रहे हैं। वह फिल्म के निर्माता भी हैं। इस फिल्म के लिए यह कहा जा रहा था कि यह अक्षय कुमार की पत्नी
ट्विंकल खन्ना की किताब पर आधारित फिल्म है। लेकिन, पैडमैन के लेखक-निर्देशक आर बाल्की इसका खंडन करते हैं। आर बल्कि ने, वैसे तो कभी पैडमैन जैसी फ़िल्में नहीं
बनाई। उन्होंने चीनी कम, पा, षमिताभ और की एंड का जैसी हलकी फुलकी कॉमेडी फ़िल्में ही बनाई हैं। बाल्की कहते हैं, “मैं कभी भी बायोपिक फिल्म नहीं बनाना चाहता था। लेकिन, अरुणाचलम
का किरदार काफी प्रेरणादायक है। लेकिन, यह ट्विंकल खन्ना की किताब पर आधारित
फिल्म नहीं है। यह अरुणाचलम के जीवन पर नितांत काल्पनिक फिल्म है। जो मनोरंजन की
दृष्टि से बनाई गई है।” वैसे अक्षय कुमार भी अब कहाँ संदेशात्मक फिल्म बनाने जा
रहे। इस साल वह रजनीकांत की बहुभाषी विज्ञान फंतासी फिल्म २.० में रिचर्ड का खल किरदार
कर रहे होंगे। वह बायोपिक फिल्म गोल्ड में एक चालाक मैनेजर की भूमिका कर रहे हैं,
जो हॉकी में मैनेज करने में काफी तेज़ है। वह बैटल ऑफ़ सरगढ़ी पर फिल्म केसरी और
गुलशन कुमार के जीवन पर मुग़ल भी कर रहे हैं।
No comments:
Post a Comment