Sunday 2 February 2020

हमेशा से बहती रही है कश्मीर से बॉलीवुड को हवाएं !


निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म शिकारा द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ़ कश्मीरी पंडितस में कश्मीरी पंडित दम्पति शिव कुमार धर और शांति धर की भूमिका करने वाले दोनों एक्टर आदिल खान और सादिया कश्मीरी हैं। आदिल खान रेडियो की दुनिया के विख्यात जॉकी आरजे नासर के नाम से पहचाने जाते हैं। परन्तु, चोपड़ा की फिल्म शिकारासादिया और आदिल की पहली बॉलीवुड फिल्म है।  इस फिल्म में यह दोनों कश्मीरी पंडित दम्पति की भूमिका कर रहे हैं। विधु विनोद चोपड़ा ने, कश्मीरी पंडित की भूमिका मे इन कश्मीरी चेहरों को फिल्म के चरित्रों की वास्तविकता बनाये रखे के लिए लिया है। यह दोनों एक्टर कश्मीरी एक्टरो का परिचय हिंदी फिल्म दर्शकों से कराएंगे। लेकिन, यह कश्मीरी प्रतिभाओं से हिंदी फिल्म इंडस्ट्री से परिचय पहली बार नहीं हो रहा होगा। वास्तविकता तो यह है कि कश्मीर से बॉलीवुड तक हवाएं शुरुआत से ही बहती रही हैं।

नज़ीर कश्मीरी थे बॉलीवुड के रामू काका
हिंदी फिल्म दर्शकों ने,एक दुबले पतले मगर बड़ी मूछों वाले एक एक्टर को ज़्यादातर रामू काका या कोई दूसरे नाम से नौकरों की भूमिका करते देखा होगा। यह नज़ीर कश्मीरी थी। उस समय की बॉलीवुड फिल्मों के लोकप्रिय रामू काका को दर्शकों ने फिल्म एक मुसाफिर एक हसीना में पहली बार नौकर नौकर के अलावा किसी डॉक्टर की भूमिका में देखा था। इसी दौरान, कश्मीर के कई एक्टर अपने अभिनय का जौहर दिखाया करते थे। हिंदी फिल्म दर्शकों ने आगाजानी कश्मीरी का नाम सुना होगा ! अशोक कुमार की कीर्तिमान स्थापित करने वाली फिल्म किस्मत (१९४३) से लेकर मुझे जीने दो और नया ज़माना जैसी फ़िल्में कश्मीरी सैयद वाजिद हुसैन उर्फ़ आगाजानी कश्मीरी ने ही लिखी थी। कभी आगाजानी की तूती बोला करती थी। लेकिन, सलीम - जावेद की जोड़ी के आने बाद, उनका सितारा अस्त हो गया।

कश्मीरी एक्टर थे चंद्र मोहन, राज कुमार और सप्रू
२०१८ में प्रदर्शित फिल्म ठग्स ऑफ़ हिंदुस्तान में सोपोर कश्मीर के एक्टर बिलाल हुसैन एक ठग की भूमिका में थे दिखाई दिए थे । उनसे पहले तक बहुत से ऐसे अभिनेता और अभिनेत्रियां हुए, जिनका बॉलीवुड में डंका बजा। आइये जानते हैं ऐसे ही कुछ एक्टरों के बारे मे।
चन्द्र मोहन- हिंदी फिल्मों के शाही व्यक्तित्व वाले चन्द्र मोहन वट्टल उर्फ़ चन्द्र मोहन की नीली आँखें, उन्हें शाही रंग देती थी । वी शांताराम की फिल्म अमृत मंथन की राजगुरु की भूमिका से अपना फिल्म करियर शुरू करने वाले चन्द्र मोहन ने सोहराब मोदी की फिल्म पुकार में जहाँगीर की यादगार भूमिका की थी । वह, के आसिफ की फिल्म मुग़ल ए आज़म के अकबर के लिए पहली पसंद थे । उन्हें १० रील शूट भी किया । लेकिन, फिल्म के बनने में लम्बा समय लेने और इस बीच मृत्यु हो जाने के बाद यह भूमिका पृथ्वीराज कपूर ने की । 
सप्रू- कश्मीर के दया किशन सप्रू ने सप्रू के नाम से नाम कमाया । उनका परिचय चन्द्र मोहन ने कराया था । कंजी आँखों के कारण सप्रू को भी राजसी भूमिकाओं में सराहा गया । उन्होंने भी आदिल ए जहाँगीर फिल्म में जहाँगीर की भूमिका की थी । उनके बेटे तेज सप्रू और बेटी प्रीती सप्रू ने कई हिंदी पंजाबी फिल्मों में अभिनय किया है ।
राजकुमार- बेजोड़ अभिनेता थे राजकुमार के नाम से मशहूर कुलभूषण पंडित । बलोचिस्तान के कश्मीरी पंडित परिवार के कुलभूषण पंडित पुलिस नौकरी कर रहे थे, जब उन्हें रंगीली (१९५२) में अभिनय का मौका मिला । महबूब खान की फिल्म मदर इंडिया में नर्गिस के पति की भूमिका के बाद, राज कुमार बॉलीवुड के दमदार आवाज़ वाले अभिनेता बन गए । किसी फिल्म में उनके सामने टिकने का माद्दा दिलीप कुमार तक में नहीं था । उन्होंने चार दशक लम्बे फिल्म करियर में ७० हिंदी फिल्मों में अभिनय किया ।
जीवन- राज कुमार के साथ, ज़िन्दगी, वक़्त, हमराज, हीर-रांझा, आदि फिल्मों में खल भूमिकाये करने वाले जीवन का असली नाम ओंकार नाथ धर था । वह श्रीनगर के रहने वाले थे । उन्होंने कोई ४९ फिल्मों में अभिनय किया । उनकी नारद की भूमिका काफी पसंद की गई । उनके बेटे किरण कुमार भी हिंदी फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं ।
उल्हास - हिंदी फिल्मों में अपने खाल तेवरों से पहचाने जाने वाले अभिनेता उल्हास, दरअसल मे एक कश्मीरी पंडित एम एन कौल थे। १९३७ में, २० साल की अवस्था में उल्हास पुणे शिफ्ट हो गए।  पुणे में वह  प्रभात पिक्चर्स से जुड़ गए।  अपनी पहली फिल्म वहां थी।  उन्हें ए आर कारदार और सोहराब मोदी जैसी हस्तियों के साथ फ़िल्में करने का मौका मिला।
राजन हक्सर - कश्मीर घाटी के कश्मीरी पंडित राजन हक्सर को अफगान शासकों के अत्याचार के कारण घाटी छोड़नी पड़ी । वह मुंबई आ गए । १९४७ में उन्होंने अपना फिल्म करियर शुरू किया । इसमे चन्द्र मोहन ने उनकी काफी मदद की । उनकी भावी पत्नी मनोरमा से मुलाक़ात भी चन्द्र मोहन ने कराई थी । राजन हक्सर को हिंदी फिल्मों में छोटी-मोटी खल भूमिकाओं में देखा गया ।

वर्तमान के कश्मीरी मूल के एक्टर
इस समय भी कुछ कश्मीरी मूल के एक्टर हिंदी फिल्मों में सक्रिय हैं। इनमे अनुपम खेर, कटरीना कैफ, कुनाल खेमू, संजय सूरी, आमिर बशीर, राज जुत्शी, राहुल भाट और मुजम्मिल इब्राहीम कश्मीरी मूल के हैं । कटरीना कैफ के पिता कश्मीरी थे । हो गया दिमाग का दही (२०१५) से हिंदी फिल्म डेब्यू करने वाले कश्मीर घाटी के बाशिंदे दानिश भट ने सलमान खान और कैटरीना कैफ के साथ फिल्म टाइगर जिंदा है में कैप्टेन जावेद की भूमिका की है । इस समय काफी कश्मीरी युवा हिंदी फिल्मों और टेलीविज़न शो में काम कर रहे हैं । इनमे इकबाल खान, तारिक डार, हिना खान, मोहसिन अख्तर, मोइहित रैना, अंजलि अबरोल, आदि काफी जाने पहचाने चेहरे बने हुए हैं । शिकार के विधु विनोद चोपड़ा भी श्रीनगर से हैं । दंगल गर्ल के नाम से मशहूर जायरा वासिम ने, सीक्रेट सुपरस्टार और द स्काई इज पिंक के बाद निजी कारणों से  फिल्मों से किनारा कर लिया ।

कश्मीरियों को था फितूर का इंतज़ार
निर्देशक अभिषेक कपूर की रोमांटिक ड्रामा फिल्म फितूर की शूटिंग कश्मीर के निशात बाग़, डल लेक और श्रीनगर में हुई थी. इस फिल्म के मुख्य कलाकारों आदित्य रॉय कपूर, कैटरीना कैफ और राहुल भट में बाद के दोनों एक्टर कश्मीरी मूल के थे । इस फिल्म में कश्मीर के तीन लड़कों ऱयेस मोहिउद्दीन, एजाज़ राह और शेख अबरार ने क्रमशः जुनैद, कलीम और आदित्य कपूर के बचपन की भूमिका की थी । रईस आतंकग्रस्त पुलवामा जिले का था । कश्मीर के लोग अपने इन तीन कलाकारों को देखने के लिए फितूर की रिलीज़ का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे । परन्तु यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से मार खा गई ।

हैदर एक्टर बना आतंकी
फिल्म निर्देशक विशाल भरद्वाज ने, कश्मीर की पृष्ठभूमि पर आतंकवादियों से सहानुभूति रखने और सेना-सरकार को दोष देने वाली फिल्म हैदर का निर्माण किया था । इस फिल्म में शाहिद कपूर, श्रद्धा कपूर, तब्बू, के के मेनन के अलावा कई दूसरे एक्टर भी थे । कुछ स्थानीय लड़कों को भी विशाल ने फिल्म की शूटिंग में शामिल किया था । इनमें एक किशोर साकिब बिलाल भी था । फिल्म में बिलाल की भूमिका कुछ सेकंडों की ही थी । यह बिलाल आतंकियों में शामिल हो गया था । ९ दिसम्बर २०१८ को सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में वह मारा गया ।  

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