२०१९ में सफल फ़िल्में देने वाले अभिनेताओं की बात करते समय यह याद रखना
चाहिए कि हर सफल अभिनेता के पीछे एक निर्देशक का साथ भी होता है। चाहे कोई खान हो
या कुमार या देवगन,
अच्छे और अनुभवी निर्देशक का साथ उन्हें हिट फिल्मों का नायक बना देता है।
२०१९ की टॉप ग्रासिंग फिल्मों में, पहली बार कोई हिंदी फिल्म निर्देशित कर रहे
निर्देशकों की फ़िल्में भी हैं।
संदीप रेड्डी वंगा
संदीप रेड्डी वंगा की पहली तेलुगु फिल्म अर्जुन रेड्डी सुपरहिट फिल्म
साबित हुई थी। जब इस फिल्म का हिंदी रीमेक बनाने की सोची गई तो हिंदी संस्करण का
निर्देशन करने के लिए ३७ साल के युवा संदीप वंगा ही उपयुक्त लगे। संदीप ने अपने
चुनाव को सही भी साबित किया। कबीर सिंह, २०१९ की टॉप ग्रॉसर फिल्मों में दूसरे स्थान
पर है।
आदित्य धर
टॉप ग्रॉसर फिल्मों में तीसरे स्थान पर भी एक डेब्यूटांट निर्देशक आदित्य
धर की फिल्म है। आदित्य धर अभी ३६ साल के हैं। लेकिन, उनकी फिल्म
उरी द सर्जिकल स्ट्राइक ने हर उम्र के दर्शकों के दिलोदिमाग पर स्ट्राइक की। यह
फिल्म विक्की कौशल की टॉप ग्रॉसर फिल्म बन चुकी है।
जगन शक्ति
अक्षय कुमार की,
इस साल की दूसरी १०० करोड़ फिल्म मिशन मंगल के निर्देशक जगन शक्ति की भी यह
पहली हिंदी फिल्म है। आर बाल्की के सहयोगी के तौर पर काम करने वाले जगन शक्ति के
लिए यह पहला बड़ा ब्रेक था। उन्होंने अपने विज़न से दर्शकों को निराश भी नहीं किया।
आकिव अली
इस साल,
अजय देवगन को १०० करोड़ क्लब में पहुंचाने वाली दूसरी फिल्म दे दे प्यार दे
के निर्देशक आकिव अली की भी यह पहली हिंदी फिल्म थी। आकिव अली मूल रूप से फिल्म
संपादन करते हैं। उन्होंने,
वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई, बैंग बैंग, द डर्टी पिक्चर, अग्निपथ, बर्फी, यह जवानी है
दीवानी, आदि ढेरो
हिट फिल्मों का सम्पादन किया है। दे दे प्यार दे के निर्देशक भी आकिव अली ही थे।
लक्ष्मण उतेकर
कार्तिक आर्यन और कृति सेनन की फिल्म लुका छुपी को १०० करोड़ क्लब में जाने
का मौक़ा नहीं मिला। लेकिन यह फिल्म
दर्शकों द्वारा काफी पसंद की गई। छोटे शहर
में लिव इन रिलेशनशिप का चित्रण करने वाली फिल्म लुका छुपी के निर्देशक लक्षमण
उतेकर की यह पहली हिंदी फिल्म थी। लक्ष्मण मूल रूप में सिनेमेटोग्राफर हैं।
उन्होंने इंग्लिश विंग्लिश,
डिअर ज़िन्दगी,
हिंदी मीडियम और १०२ नॉट आउट जैसी फिल्मों का छायांकन किया है।
तुषार हीरानंदानी
साठ साल की उम्र में निशाना मारने वाली चंद्रो तोमर और प्रकाशो तोमर के
जीवन पर फिल्म सांड की आँख का निर्देशन तुषार हीरानंदानी ने किया था। तुषार हीरानंदानी ने कई मशहूर हिंदी फिल्मों को
लिखा है। सांड की आँख उनकी पहली निर्देशित फिल्म थी।
गोपी पुथरन
रानी मुख़र्जी की कोप फिल्म मर्दानी २ की शुरुआत थोड़ी धीमी हुई थी । लेकिन,
पहले दिन ३.५० करोड़ की ओपनिंग ली थी । लेकिन बाद में, माउथ पब्लिसिटी के सहारे इस
फिल्म ने छलांग लगते हुए, दूसरे दिन ६.५० करोड़ का कारोबार कर डाला । अब यह फिल्म
दो दिनों में १० करोड़ का कारोबार कर चुकी है । इस प्रकार से गोपी पुरथन अपनी पहली
फिल्म को सफल बनाने में कामयाब हुए हैं ।
असफल हुए नवोदित निर्देशक
२०१९ में,
हिंदी फिल्मों के निर्देशन में अपना भाग्य आजमाने आये कुछ नए निर्देशकों
के दृष्टिकोण को हिंदी फिल्म दर्शकों ने पसंद नहीं किया। इसलिए इन निर्देशकों द्वारा निर्देशित पहली फ़िल्में
असफल हो गई। ऐसे कुछ फिल्मों में
विजय रत्नाकर गुट्टे की द एक्सीडेंटल
प्राइम मिनिस्टर,
शैली चोपड़ा धर की एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा, बेहज़ाद
खम्बाटा की फिल्म ब्लेंक,
प्रकाश कोवेलामुडी की फिल्म
जजमेन्टल है क्या,
नमन नितिन मुकेश की बाईपास रोड, मिखिल
मुसाले की फिल्म मेड इन चाइना और जीतू जोसफ द बॉडी उल्लेखनीय है।
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