इस साल,
बॉलीवुड की कई वयोवृद्ध हस्तियों का निधन हो गया। इनमे से कुछ हस्तियाँ तो
फिल्मों में आज भी सक्रिय थी। इनमे से ज़्यादातर बीमारी से जूझते हुए ज़िन्दगी की
जंग हार गए। इन हस्तियों में नवीनतम नाम शौकत आज़मी का है। बाज़ार, उमराव जान, फासला, नैना, साथिया जैसी
फिल्मों की चरित्र अभिनेत्री और बॉलीवुड अभिनेत्री शबाना आज़मी की माँ शौकत कैफ़ी
काफी समय से फिल्मों में सक्रिय नहीं थी। शोले के कालिया के नाम से मशहूर, पुराने
जमाने की हास्य अभिनेत्री शुभा खोटे के भाई विजू खोटे का देहांत होने की खबर इस
लिहाज़ से चौंकाने वाली थी,
क्योंकि वह आखिरी समय तक अभिनय के क्षेत्र में सक्रिय थे। उनकी एक हिंदी
फिल्म इंग्लिश की टांय टांय फिस इसी साल रिलीज़ हुई थी। कभी कभी, त्रिशूल, नूरी, थोड़ी सी
बेवफाई, बाज़ार, रज़िया
सुल्तान, उमराव जान, आदि फिल्मों
की कई कालजई रचनाओं के संगीतकार मोहम्मद ज़हूर खय्याम का लम्बी बीमारी के बाद एक
अस्पताल में १८ अगस्त को निधन हो गया। उनकी आखिरी फिल्म बाज़ार ए हुस्न (२०१४) थी।
रजनीगंधा, छोटी छोटी
सी बात, पति पत्नी
और वह की नायिका अभिनेत्री विद्या सिन्हा का दिल और फेफड़े की बीमारी के कारण मुंबई
के एक अस्पताल में निधन हो गया। फिल्म निर्माता, निर्देशक, अभिनेता, लेखक और नाटककार गिरीश कर्नाड का १० जून को
निधन हो गया। वह भी लम्बे समय से बीमार थे। मृत्यु से पूर्व उनके कई अंग फेल हो गए
थे। बॉलीवुड के सुपरस्टार अजय देवगन के पिता और हिंदी फिल्मों के एक्शन डायरेक्टर
वीरू देवगन का भी २७ मई को निधन हो गया। वह सांस की तकलीफ के शिकार थे। दिल का
दौरा पड़ने के बाद अस्पताल में उनका निधन हो गया। तेरे मेरे सपने और खलनायक जैसी
फिल्मों में छोटी- मोटी भूमिका करने वाले टीवी एक्टर नवतेज हुंदल का ८ अप्रैल को
निधन हो गया। उनको इसी साल रिलीज़ फिल्म उरी द सर्जिकल स्ट्राइक में गृह मंत्री की
भूमिका में देखा गया था। सलमान खान को सुपर स्टार बनाने वाले फिल्म निर्माता
राजकुमार बडजात्या का दिल का दौरा पड़ने के बाद २१ फरवरी को निधन हो गया। वह सलमान
खान की हम आपके हैं कौन,
हम साथ साथ हैं और प्रेम रतन धन पायो जैसी फिल्मों के निर्माता थे।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Friday, 27 December 2019
छोड़ चले बॉलीवुड की महफ़िल को !
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Round-up
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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