Saturday 28 December 2019

बॉलीवुड २०१९ : बुलंद उम्मीदें, बुलंद इरादे !


बॉलीवुड की फ़िल्में कहिये या हिंदी फ़िल्में, २०१९ बड़ा उत्साहजनक साबित हुआ है। शाहरुख़ खान और आमिर खान की फ़िल्में रिलीज़ नहीं हुई तो क्या हुआ विक्की कौशल, टाइगर श्रॉफ, आयुष्मान खुराना ने कसर पूरी कर दी थी। सलमान खान की फिल्म भारत हिट हो चुकी है, दबंग ३ भी रिलीज़ हो चुकी होगी। बॉक्स ऑफिस पर १०० करोड़, २०० करोड़ और ३०० करोड़ की फिल्मों की बारिश सी हुई। अलबत्ता, टॉप का लाइफटाइम कलेक्शन करने का सेहरा हॉलीवुड की फिल्म अवेंजर्स एन्डगेम के सर पर ही बंधा। नए चेहरों और नए निर्देशकों ने उम्मीदें बुलंद की कि बॉलीवुड का चेहरा भी अब बदलता जा रहा है।

उरी ने बरसाई चाँदी
हालाँकि, २०१९ का बॉलीवुड भी फर्स्ट फ्राइडे जिंक्स से सहमा रहा। कोई बड़े बजट की क्या, छोटे-मामूली बजट की फिल्म तक नहीं रिलीज़ हुई। इसलिए, रणवीर सिंह की, २०१८ में प्रदर्शित फिल्म सिम्बा को बॉक्स ऑफिस पर खूब कमाने का मौका मिला। अलबत्ता, दूसरे शुक्रवार बॉलीवुड पर चाँदी बरसने लगी। विक्की कौशल, यमी गौतम, परेश रावल और मोहित रैना की एक्शन फिल्म उरी द सर्जिकल स्ट्राइक आल टाइम ब्लॉकबस्टर फिल्म बनने के लिए निकल पड़ी। यह भारतीय सेना के पाकिस्तानी इलाके में घुस कर सर्जिकल स्ट्राइक करने की वास्तविक घटना पर फिल्म थी। इस फिल्म की सफलता ने, बॉलीवुड को उत्साह से भर दिया। बाद में रियल घटनाओं पर अक्षय कुमार की फिल्म मिशन मंगल को भी सफलता मिली, जो भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो के मार्स में अपना यान छोड़ने की कहानी पर फिल्म थी।

प्रयोगात्मक फ़िल्में
प्रयोगात्मक फिल्मों का सिलसिला भी बना। मुंबई की एक बस्ती में रहने वाले रैपर के जीवन पर  रणवीर सिंह और आलिया भट्ट की ज़ोया अख्तर निर्देशित फिल्म गली बॉय को बड़ी सफलता मिली। लक्ष्मण उतेकर की छोटे शहर में लिव- इन रिलेशनशिप का चित्रण करने वाली कार्तिक आर्यन और कृति सेनन की फिल्म लुका छुपी को भी सफलता मिली। मगर, एक लड़की के समलैंगिक रोमांस पर अनिल कपूर, सोनम कपूर और राजकुमार राव की फिल्म एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा को असफलता का सामना करना पड़ा। कश्मीर की पृष्ठभूमि पर एक सैनिक और छोटे बच्चे के संबंधों पर एजाज़ खान की फिल्म को सराहा गया। इस लिहाज़ से रितेश बत्रा निर्देशित फिल्म फोटोग्राफ निराश कर गई। दर्शकों को अच्छे विषय के बावजूद मर्द को दर्द नहीं होता. अल्बर्ट पिंटू को गुस्सा क्यों आता है, जजमेंटल है क्या, द स्काई इज पिंक, आदि फ़िल्में दर्शकों द्वारा नापसंद की गई।

बायोग्राफिकल या वास्तविक घटनाओं पर फिल्म
२०१९ में बायोग्राफिकल या वास्तविक घटनाओं का चित्रण करती बहुत सी फ़िल्में बनी और अभी भी बनाई जा रही है। लेकिन, इक्का दुक्का फिल्मो को छोड़ दें तो दर्शकों ने इन फिल्मों को बहुत उत्साह से स्वीकार नहीं किया। मसलन, २००५ से २०१४ तक भारत के प्रधान मंत्री रहे श्री मनमोहन सिंह पर फिल्म द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर को दर्शकों की उदासीन प्रतिक्रिया मिली। करनाल हरियाणा के समाजसेवी एसपी चौहान पर शीर्षक फिल्म, भारत और चीन के बीच हुए युद्ध पर आधारित फिल्म ७२ ऑवरस : मार्टियर्स नेवर डाई, १९६२ को दर्शकों का टोटा रहा। शिवसेना सुप्रीमो बाल ठाकरे के जीवन पर फिल्म ठाकरे को महाराष्ट्र में बहुत दर्शक नहीं मिले। भारी बजट से बनी कंगना रानौत की मुख्य भूमिका वाली ऐतिहासिक फिल्म मणिकर्णिका द क्वीन ऑफ़ झाँसी को इतने दर्शक नहीं मिले कि फिल्म हिट कहलाती। अलबत्ता, मिशन मंगल और द ताशकंद फाइल्स को अच्छी सफलता मिली। पीएम नरेन्द्र मोदी फिल्म ठीकठाक कारोबार कर पाने में कामयाब हुई। बिहार के गणितज्ञ आनंद कुमार पर फिल्म सुपर ३० हिट हुई तो ६० साल की निशानेबाजों पर फिल्म सांड की आँख को दर्शकों ने पसंद किया।

सुरक्षित रास्ता भी
यो कह सकते हैं कि बॉलीवुड ने जहां प्रयोग किये, वहीँ सुरक्षित रास्ता भी पकडे रखा। मसलन सीक्वल फिल्मों और रीमेक फिल्मों का निर्माण हुआ। अपने जाने पहचाने कथानक के कारण सीक्वल या रीमेक फिल्मों का दर्शकों को इंतज़ार रहता है। इसीलिए, २०१९ में, हाउसफुल ४, कमांडो ३, मर्दानी २ और स्टूडेंट ऑफ़ द इयर २ रिलीज़ हुई। दबंग फ्रैंचाइज़ी की तीसरी फिल्म दबंग ३ प्रीक्वेल फिल्म बताई जा रही है। रीमेक फिल्मों में तेलुगु अर्जुन रेड्डी की हिंदी रीमेक फिल्म कबीर सिंह को बड़ी सफलता मिली। रीमेक फिल्म पति पत्नी और वह भी कामयाब हुई।आम तौर पर बड़े बजट और सितारों वाली फिल्मों को सुरक्षित माना जाता है। इसलिए वॉर, केसरी, हाउसफुल ४, भारत, टोटल धमाल, आदि बड़े बजट की फ़िल्में बनाई गई और इन्हे सफलता भी मिली। लेकिन, बड़े बजट और सितारों वाली फिल्म कलंक फ्लॉप हो गई। कॉमेडी फ़िल्में भी सुरक्षित रास्ता साबित होती थी। टोटल धमाल, दे दे प्यार दे, हाउसफुल ४, बाला, ड्रीम गर्ल, छिछोरे, आदि को मिली सफलता ने इसे प्रमाणित भी किया ।

निराशा मिली : दर्शकों को भी, फिल्मकारों को भी
कोई भी फिल्मकार नहीं चाहता कि उसकी फिल्म को दर्शक नापसंद करें। अपने हिसाब से वह दर्शकों को पसंद आने वाले मसाले वाली फ़िल्में ही बनाता है। लेकिन, अब इसका क्या किया जाए कि दर्शक निराश होता है और फिल्मकारों को निराशा मिलती है। इस लिहाज़ से थ्रिलर हॉरर फ़िल्में अमावस, बदला, घोस्ट, बाईपास रोड और द बॉडी फिल्मों में बदला को छोड़ कर बाकी फिल्मों के निर्माताओं को निराशा मिली। दर्शकों को पुरानापन सख्त नापसंद आया. नतीजे के तौर पर पुराने कथानक वाली फ़िल्में सोन चिड़िया, मिलन टाकीज, कलंक, आदि औंधी गिरी।

निराश कर गया फिल्म डेब्यू
इस साल कुछ नए चेहरों ने  दर्शकों को निराश किया। नोटबुक के ज़हीर इकबाल और प्रनुतन बहल, मलाल के मीजान जाफ़री और शर्मीन सहगल, पल पल दिल के पास के करण देओल और सहर बाम्बा, यह साली आशिकी के वर्धन पुरी और शिवालीका ओबेरॉय की जोड़ियाँ दर्शकों को निराश कर गई। इन एक्टरों में प्रनुतन बहल, पुराने जमाने की अभिनेत्री नूतन की पोती थी। मीज़ान जाफरी हास्य अभिनेता जगदीप के पोते थे। वर्धन पूरी भी चरित्र अभिनेता और मोगाम्बो एक्टर अमरीश पूरी के पोते थे। करण देओल के पिता सनी देओल थे और दादा धर्मेंद्र। लेकिन, यह तमाम एक्टर अभिनय के मामले में बेहद कच्चे नज़र आये। फ़िल्में भी खराब बनी थी।

देशभक्ति का सैलाब, दर्शक निराश 
२०१९ में देशभक्ति का सैलाब सा आया। ढेरों फिल्मों में देशभक्ति भरी नज़र आई।  इस समय भी कई फ़िल्में देश की बात कहने वाली आ रही हैं। भारत में देशभक्ति की छौंक लगाई गई थी। मगर,  २०१९ में प्रदर्शित केसरी, रोमियो अकबर वाल्टर, ब्लेंक, इंडियाज मोस्ट वांटेड, यह है इंडिया, बाटला हाउस जैसी देशभक्ति वाली फिल्मों में केवल केसरी ही दर्शकों को पसंद आई। उरी द सर्जिकल स्ट्राइक बनाना तो हर निर्माता-निर्देशक के बूते की बात नहीं होती। कुछ फिल्मो को तो दर्शकों ने ट्रेलर देख कर ही नकार दिया। ऐसी फिल्मों में, अर्जुन पटियाला, खानदानी शफाखाना, जबरिया जोड़ी, जजमेंटल है क्या, झूठा कहीं का, द जोया  फैक्टर, पल पल दिल के पास, प्रस्थानम, लाल कप्तान, मेड इन चाइना, ड्राइव, सॅटॅलाइट शंकर, मोतीचूर चकनाचूर, आदि थी। इन फिल्मों को पहले दिन ही दर्शक नहीं मिले।

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