Friday 24 November 2017

मेरी 'राय' में लक्ष्मी राय है जूली २ की लक्ष्मी

लक्ष्मी राय जूली २ में 
कभी फिल्म देखते समय कोफ़्त होने के बावजूद किसी एक चहरे को देखना ही पैसा वसूल बना देता है।  दीपक शिवदासानी की फिल्म जूली २ निराश करने के बावजूद दक्षिण की संवेदनशील अभिनेत्री लक्ष्मी राय के कारण देखि जा सकती है।  एक ढीली ढाली और बार बार बहकती फिल्म में लक्ष्मी राय की मज़बूत खम्भा नज़र आती हैं।  वह अस्वाभाविक कहानी को अपने स्वाभाविक अभिनय से ध्वस्त होने से रोकती है।  जूली २ की जूली अगर जूली न होती तो इसका सिरा २००४ की फिल्म जूली से नहीं जोड़ा जाता। ऐसे में इस फिल्म को इरोटिक फिल्म की तरह प्रचारित नहीं किया जाता।  दीपक शिवदासानी फिल्म बनाते समय भटकते सम्हलते लगे। मगर आखिर में वह बिलकुल बिखर गए।  एक बड़ी फिल्म अभिनेत्री को स्टारडम पाने के लिए क्या कुछ खोना पड़ता है, यह देखना भयावह लगता है।  मध्यांतर तक एक बढ़िया सस्पेंस थ्रिलर फिल्म का एहसास कराने वाली जूली २ मध्यांतर एक बाद बिलकुल भटक जाती है।  दीपक शिवदासानी की कथा-पटकथा में फहीम कुरैशी के संवाद को प्रभावित करते हैं।  लेकिन, फिल्म का कथानक जितना अस्वाभाविक है, पटकथा भी उतनी ही ढीली है।  बतौर निर्देशक भी दीपक कुछ नया नहीं दे पाए।  अगर, दीपक अपनी फिल्म को सिर्फ लक्ष्मी राय के किरदार को उभरने तक सीमित रखते तो प्रभावशाली साबित होते।  लेकिन, उन्होंने जूली को एक बोल्ड विचारों और दिमाग वाली महिला दिखाने के बावजूद कमज़ोर दिखाया।  यह कुछ अटपटा लगता है।  न जाने क्यों उन्होंने सीआईडी सीरियल के आदित्य श्रीवास्तव को इतना ज़्यादा महत्त्व दिया।  वह फिल्म की कमज़ोर कड़ी साबित होते हैं।  जूली २ में लक्ष्मी राय के अलावा छोटी  भूमिका में रवि किशन और मुख्य खलनायक के रूप में पंकज त्रिपाठी प्रभावित करते हैं।  रति अग्निहोत्री का लक्ष्मी को बढ़िया सपोर्ट मिला है।  फिल्म का गीत संगीत बेकार है।  मुश्किल लगता है कि ३० करोड़ में बनी जूली २ का  हिंदी संस्करण अपनी लागत भी निकाल पाए।  

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