इसे किसका दुर्भाग्य कहा जाये - सतीश कौशिक का, अनिल कपूर का या श्रीदेवी का कि यह लोग बस कंडक्टर नहीं बन सके ? शायद इसे अनिल कपूर का दुर्भाग्य कहना ठीक रहेगा। १९९३ में निर्देशक सतीश कौशिक ने फिल्म बस कंडक्टर का ऐलान किया था। अनिल कपूर को बस कंडक्टर का किरदार करना था और श्रीदेवी को उनकी बस पर सवार होना था। शुरूआती शूटिंग के बाद यह फिल्म बंद कर दी गई। बाद में, नब्बे के दशक में ही इस फिल्म को फिर बनाने की कोशिश की गई। इस बार भी बस कंडक्टर अनिल कपूर थे। मगर उनकी बस में तब्बू को सवार होना था। लेकिन, यह फिल्म भी बंद करनी पड़ी। इसके बाद से अब तक किसी ने भी बस कंडक्टर बनाने या बनने की कोशिश नहीं की। वैसे बताते चलें कि १९५९ मे निर्देशक द्वारका खोसला ने प्रेम नाथ को बस कंडक्टर बना कर, उनकी बस में श्यामा और मारुती को सवार करवाया था। २००५ में माम्मूटी की बस कंडक्टर की भूमिका वाली मलयालम फिल्म बस कंडक्टर का निर्माण किया गया था।
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