शरत चंद्र चटर्जी की पुस्तक देवदास पर बॉलीवुड ने तीन फिल्मों का निर्माण किया है। बंगला, असमी और उर्दू में भी देवदास, पारो और चंद्रमुखी के किरदारों को उकेरा गया। बॉलीवुड कुछ निर्माताओं ने इसे अपने तरीके से करने की कोशिश की। अनुराग कश्यप ने देवदास को अपनी दृष्टि से देखा। उनकी फिल्म देव डी का देवदास शराब में डूबा हुआ आशिक़ था। वह पारो को एक मर्द की दृष्टि से देखता था। इसलिए, पारो उसे छोड़ देती है। चंद्रमुखी एक शहरी छात्रा थी, जो एक एमएमएस स्कैंडल में फंस जाती है। अब शरत चंद्र चट्टोपाध्याय के देवदास को राजनीतिक दृष्टि से दिखलाया जा रहा है। सुधीर मिश्रा की फिल्म दासदेव की कॉलेज से निकली चांदनी (अदिति राव हैदरी) राजनीति के दलदल में कुछ ऐसा फंसती है कि उबर ही नहीं पाती। इस फिल्म में देव का किरदार राहुल भट कर रहे हैं। वह एक युवा नेता है। ऋचा चड्डा ने आधुनिक पारवती का किरदार किया है। दासदेव में शरत चंद्र के देवदास बिलकुल उलट है। वह अपनी राजनीतिक आकांक्षाएं पूरी करने के लिए किसी भी हद तक गिर सकता है। सुधीर मिश्रा की इस फिल्म का पहले टाइटल और देवदास रखा था। अब चूंकि, उनकी फिल्म में देवदास बिलकुल उलट है, इसलिए फिल्म का टाइटल उलट कर दासदेव कर दिया गया है।
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