Sunday 26 November 2017

सरनेम में क्या रखा है !

करण जौहर की फिल्म धड़क के पोस्टरों पर एक नज़र डालिये।  इस फिल्म से दो नए चेहरों का आगमन हो रहा है।  यह दो चेहरे हैं नीलिमा अज़ीम और राजेश खट्टर के बेटे और शाहिद कपूर के भाई ईशान खट्टर और श्रीदेवी और बोनी कपूर की बेटी जाह्नवी कपूर।  मगर, यह दोनों फिल्म के  पोस्टरों में जाह्नवी और ईशान के नाम से परिचित कराये जा रहे हैं। यानि कि इन्हे अपने फेमस सरनेम कपूर और खट्टर की ज़रुरत नहीं है।  वास्तव में एक नहीं ऐसे कई उदाहरण पहले से हैं, जब इनके एक्टरों को लगा कि सरनेम में क्या रखा है और उन्होंने खुद के नाम के बाद उपनाम लगाना ही छोड़ दिया। 
बिना उपनाम के एक्टर  
ऐसे कई उदाहरण हैं, जहाँ फिल्म एक्टर अपने नाम के साथ अपने माँ या पिता का उपनाम नहीं लगाते। तनूजा और शोमू मुख़र्जी की बेटी कजोल ने हिंदी फिल्म डेब्यू काजोल नाम से किया था।  लेकिन, कभी भी नाम के आगे मुख़र्जी नहीं लगाया। आज भी वह खुद का परिचय काजोल देवगन नाम से नहीं कराती। गोविंदा जब फिल्मों में आये तो वह आहूजा नहीं रहे।  पहली फिल्म लव ८६ में उनका परिचय गोविंदा नाम से ही कराया गया। तबस्सुम हाश्मी ने तो खुद के नाम को काफी ट्रिम कर दिया।  वह न हाश्मी रही, न तबस्सुम ही। उन्हें फिल्मों में तब्बू नाम से जाना जाता है। जीतेन्द्र ने कभी अपने मूल नाम से फ़िल्में नहीं की।  उनके बेटे अपने मूल नाम तुषार से फ़िल्में तो करते हैं, लेकिन कपूर नहीं लगाते। राज बब्बर और स्मिता पाटील के बेटे प्रतीक नाम से फ़िल्में करते हैं। उन्हें बब्बर की ज़रुरत नहीं। गायक शान ने अपना परिचय कभी भी शान मुख़र्जी से नहीं दिया।इरफ़ान खान नाम से मशहूर हुए इस एक्टर ने खुद का नाम सिर्फ इरफ़ान रख लिया है।  
दक्षिण में भी चलन 
दक्षिण की तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम फिल्मों के शुरूआती युग को छोड़ दिया जाये तो साफ़ नज़र आता है कि दक्षिण के फिल्म एक्टर्स ने छोटे नाम या एक शब्द के नामों पर भरोसा किया।  ख़ास बात यह रही कि इन एक्टरों को इन्हीं छोटे नामों से सफलता और पहचान भी मिली। शिवाजी गणेशन, जैमिनी गणेशन, एम जी रामचंद्रन, एन टी रामाराव, आदि की परंपरा में बाद के एक्टरों ने एक शब्द वाले नाम ही रखे।  रजनीकांत, मोहनलाल, माम्मूटी और चिरंजीवी इसके उदाहरण हैं।  आज की पीढ़ी के एक्टर भी एक शब्द के नामों को प्राथमिकता दे रहे हैं।  धनुष, पृथ्वीराज, विक्रम, सूर्या, माधवन, सिद्धार्थ, विजय, अजित, सुदीप, असिन, तमन्ना, तापसी, अमला, स्नेहा और मल्लिका कुछ ऐसे ही उदाहरण हैं।   
बहुत से हैं ऐसे 
उपनाम को साथ न रखना आज का चलन नहीं। ओमप्रकाश छिब्बर ने छिब्बर हटा कर ओमप्रकाश नाम से कॉमेडी की दुनिया में तहलका मचा दिया। दक्षिण की तमाम एक्ट्रेस बिना उपनाम के आई।  वैजयंतीमाला के उपनाम को कोई नहीं जानता। उन्होंने डॉक्टर चमनलाल बाली से विवाह के बाद खुद का परिचय वैजयंतीमाला बाली से ही दिया। रेखा ने भी सावन-भादो से फिल्म डेब्यू रेखा नाम से किया, न कि रेखा गणेशन नाम से। श्रीदेवी ने हिंदी फिल्म डेब्यू करने से पहले अपने पूरे नाम  श्रीअम्मा यांगर अयप्पन को काटछांट कर श्रीदेवी कर लिया था।  शिवाजीराव गायकवाड़ को कितने लोग जानते हैं।  लेकिन, इसे रजनीकांत नाम से पूरी दुनिया जानती है। रवि कपूर को फ़िल्मी दुनिया ने जीतेन्द्र नाम से ही पहचाना। धर्मेंद्र आज तक धर्मेंद्र देओल से खुद का परिचय नहीं कराते।  क्या आपको मालूम है कि पुराने ज़माने की एक्टर-डांसर हेलेन का पूरा नाम हेलेन जैराग रिचर्डसन है? साउथ के एक्टर और ३इडियट्स से मशहूर माधवन खुद को आर माधवन नाम से परिचित कराते हैं। उनका पूरा नाम माधवन बालाजी रंगनाथन है। इसी प्रकार से गोलियों की रासलीला: राम-लीला, बाजीराव-मस्तानी और पद्मावती के एक्टर रणवीर सिंह ने भी अपने नाम को छोटा किया है।  दरअसल, वह वास्तव में रणवीर सिंह भवनानी हैं।  असिन थोट्टुमकल को हिंदी फिल्म दर्शक असिन के नाम से ही जानते हैं। हेमा मालिनी ने कभी भी अपने पिता वीएसआर चक्रवर्ती का उपनाम अपने नाम के आगे नहीं लगाया। 
इरफ़ान खान नाम से मशहूर हुए इस एक्टर ने खुद का नाम सिर्फ इरफ़ान रख लिया है। दरअसल, इरफ़ान का पूरा नाम साहबज़ादे इरफ़ान अली खान है। वास्तव में तुषार की एंट्री भी तुषार कपूर के नाम से ही हुई थी। उनकी बहन एकता खुद का परिचय एकता जीतेन्द्र कपूर के बतौर देती है। तुषार ने काफी बाद में अपने नाम के आगे  कपूर लगाना छोड़ दिया। प्रतीक की शुरुआत भी प्रतीक बब्बर नाम से हुई थी।  
बहुत लंबा था नाम 
बॉलीवुड के शोमैन राजकपूर का पूरा नाम रणबीर राजकपूर था।  आज उनके पोते को रणबीर कपूर के नाम से पहचाना जाता है। दारा सिंह रंधावा को पूरी दुनिया दारा सिंह के नाम से ही जानती है। वसंत कुमार शिवशंकर पादुकोण को उनके फिल्म नाम गुरुदत्त से ही जाना जाता है। मदर इंडिया के साहूकार सुखिया कन्हैयालाल वास्तव में कन्हैया लाल चतुर्वेदी थे। सैय्यदना इफ़्तेख़ार अहमद शरीफ को हिंदी फिल्म दर्शक फिल्मों में पुलिस भूमिका करने वाले इफ़्तेख़ार के बतौर जानते हैं। रणवीर सिंह को अपना पूरा नाम रणवीर सिंह भवनानी  इसलिए छोटा करना  पड़ा कि इस नाम से बॉलीवुड में समस्या आ रही थी। श्रीदेवी को तो अपना पूरा नाम श्रीअम्मा यांगर अयप्पन हास्यास्पद और कठिन लग रहा था।  काजोल ने माँ-पिता के तलाक़ के कारण नाम के आगे चक्रवर्ती नहीं लगाया।  तमन्ना भाटिया ने ज्योतिष की सलाह पर खुद को तमन्ना तक सीमित कर लिया।  तबस्सुम हाश्मी ने अपने नाम को अनोखापन देने के लिए तब्बू तक छोटा कर दिया।  गोविंदा अरुण आहूजा ने खुद के नाम को सूंदर और मशहूर बनाने के लिए गोविंदा में तब्दील कर दिया। कठिन होने के कारण असिन ने थोट्टुमकल नाम से निकाल दिया।  धरम देवदत्त पिशोरीमल आनंद ने एक्टर बनने के लिए खुद को देव आनंद या देवानंद में तब्दील कर दिया था। 
बॉलीवुड में ईशान और जाह्नवी को अपवाद तो नहीं कहा जा सकता है।  लेकिन, बॉलीवुड के ज़्यादातर युवा सितारे एक शब्द वाले नामों को ज़्यादा तरजीह नहीं दे रहे।  आने वाले युवा सितारों में करण देओल, सारा अली खान, हर्षवर्धन कपूर, टीना आहूजा, कृष्णा श्रॉफ, आर्यन खान, सुहाना खान, अहान शेट्टी, श्रद्धा कपूर, आदित्य रॉय कपूर, अर्जुन कपूर, परिणीति चोपड़ा, हुमा क़ुरैशी, आयुष्मान खुराना, विद्युत् जामवाल, वरुण धवन, आलिया भट्ट, आदि आदि नाम उदाहरण हैं कि वह  फिल्मों में आएंगे तो अपने सरनेम के साथ।   

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