अभिनेत्री भूमि पेडनेकर परफेक्शनिस्ट बनती जा रही हैं। वह अपनी फिल्म के किरदारों की तरह खुद को ढालने की कोशिश करती है। उन्होंने अपनी अब तक की फिल्मों में देसी किरदार किये हैं। दम लगा के हईशा, टॉयलेट एक प्रेम कथा और शुभ मंगल सावधान में उन्होंने किरदारों में ढलने की कोशिश की है। इधर उन्हें विचित्र काम करते देखा जा रहा है। वह अपने जिम से निकल कर धुल भरी सडकों पर नंगे पैर घूम रही हैं। कभी सर पर पानी का घड़ा रख कर तपती धूप में पैदल जाती दिख जाती हैं । उन्हें घर पर झाड़ू पोंछा लगाते और गेहूं पीसते भी देखा जा रहा है। कहने का मतलब यह कि वह हर वह काम कर रही हैं, जो एक गाँव की महिला करती है। ज़ाहिर है कि यह उनकी मेथड एक्टिंग का एक हिस्सा है। भूमि पेडनेकर अभिषेक चौबे (इश्क़िया, डेढ़ इश्किया, उड़ता पंजाब) की फिल्म सोन चिरैया के लिए यह सब कुछ कर रही है। इस फिल्म में सुशांत सिंह राजपूत चम्बल के एक डाकू की भूमिका कर रहे हैं। भूमि फिल्म में गाँव की गोरी का रोल कर रही हैं। ज़ाहिर है कि वह गाँव की गोरी बनी है तो मेथड एक्टिंग के सिद्धांत का अनुसार उन्हें खुद को इसके अनुरूप ढालना ही पड़ेगा। सोन चिरैया की शूटिंग चम्बल में जनवरी से शुरू हो जाएगी।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Saturday, 2 December 2017
सर पर पानी भरा घड़ा लेकर चल रही है भूमि पेड्नेकर
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मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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