Sunday, 26 July 2020

हिंदी फिल्मों में अब तो सावन को आने दो !

कभी हिंदी फिल्मों में सावन छाया रहता था। नायक-नायिका के बीच रोमांस में सावन की खास भूमिका हुआ करती थी। बरसते पानी के बीच या तो प्यार के फूल खिलते थे या प्रेम में डूबे दो जिस्मों को सावन एक कर देता था। बॉलीवुड की कोई भी अभिनेत्री ऎसी नहीं थी, जो सावन की घटा में इतराई और इठलाई न हो या बारिश में भीगी न हो। हालाँकि, सावन शीर्षक के साथ दो फिल्मों का ही पता चलता है। लेकिन, सावन शब्द वाले शीर्षक वाली कई फ़िल्में प्रदर्शित हुई। इनमे से ज़्यादातर रोमांस, पारिवारिक या ड्रामा फ़िल्में थी।
रोमांटिक सावन  
शक्ति सामंत ने म्यूजिकल रोमांस फिल्म सावन की घटा (१९६६) में अपनी प्रिय अभिनेत्री शर्मीला टैगोर के साथ मनोज कुमार की जोड़ी और मुमताज़ के साथ त्रिकोण बनाया था। इस फिल्म में प्राण, सज्जन, मदन पूरी, जीवन जैसे खल अभिनेताओं का जमावड़ा था। इस फिल्म में रोमांस के साथ हत्या रहस्य भी था। सावन की घटा से शक्ति सामंत की रहस्य फिल्मों की याद ताज़ा हो जाती थी। इस लिहाज़ से निर्देशक रघुनाथ झालानी की फिल्म आया सावन झूम के ठेठ म्यूजिकल रोमांस फिल्म थी। आया सावन झूम के (१९६९) धर्मेन्द्र और आशा पारेख की जोड़ी की बड़ी हिट फिल्मों मे शुमार है। यह फिल्म कथानक के उतार चढ़ाव और नाटकीयता के कारण खूब सफल हुई थी।निर्देशक के आर रेड्डी की रोमांस फिल्म नया सावन (१९९२) की कहानी एक महिला के नेतृत्व में चार सदस्यों के म्यूजिक बैंड की कहानी थी। इस फिल्म में अश्विनी भावे, भारत भूषण, लक्ष्मीकांत बेर्डे, साहिल चड्डा और जावेद जाफ़री की प्रमुख भूमिका थी। १९८९ में सोनिका गिल, विक्की खान, चमन पूरी आदि ड्रामा रोमांस फिल्म प्यार का पहला सावन (१९८९) रिलीज़ हुई थी। निर्देशक सावन कुमार टाक की आखिरी फिल्म सावन द लव सीजन में सलोनी असवनी और कपिल झवेरी की रोमांटिक जोड़ी थी। सावन कुमार ने अपनी नई जोड़ी को सहारा देने के लिए सलमान खान की ख़ास भूमिका रखी थी। पर वह भी फिल्म को डूबने से नहीं बचा पाए।
सावन में पारिवारिक ड्रामा
आर भट्टाचार्य की संजीव कुमार, रेखा, महमूद अभिनीत पारिवारिक ड्रामा फिल्म सावन के गीत १९७८ में प्रदर्शित हुई थी। जीतेंद्र, रीना रॉय, विनोद मेहरा, मौशमी चटर्जी, देवेन वर्मा और अरुणा ईरानी की पारिवारिक रोमांस फिल्म प्यासा सावन (१९८१) प्रदर्शित हुई थी। दासारी नारायण राव निर्देशित इस मधुर संगीत वाली फिल्म को अच्छी सफलता मिली थी। १९९१ में निर्देशक अनूप मालिक की आग लगा दो सावन को फिल्म रिलीज़ हुई थी। इस फिल्म में रीमा लागू कुलदीप मालिक, हरीश पटेल, सरगम और अजित वाचानी की प्रमुख भूमिका थी। फिल्म में अभिनेत्री सरगम ने एक नर्तकी की भूमिका की थी। इसमे प्रेम त्रिकोण भी रखा गया था।

डेब्यू कराने वाला सावन

बॉलीवुड को दो बड़ी और समर्थ अभिनेत्रियाँ देने वाली सावन टाइटल वाली फ़िल्में ही है। रेखा का सावन भादो से और श्रीदेवी का सोलहवा सावन से हिंदी फिल्म डेब्यू हुआ था। मोहन सहगल की एक्शन रोमांस थ्रिलर फिल्म सावन भादो (१९७०) में रेखा के साथ नवीन निश्चल का भी हिंदी फिल्म डेब्यू हुआ था। इस नई जोडी की फिल्म को ज़बरदस्त कामयाबी मिली थी। इस फिल्म के बाद रेखा हिंदी फिल्मों में अपने कदम जमा पाने में कामयाब हुई थी। फिल्म में श्यामारणजीतनरेन्द्र नाथआदि की दिलचस्प भूमिका थी। निर्देशक भारतीराजा की फिल्म सोलहवां सावन (१९७९) श्रीदेवी की पहली हिंदी फिल्म थी। इस फिल्म में अमोल पालेकरआदिल अमानकुलभूषण खरबंदादीना पाठक की भूमिका थी। लेकिनयह फिल्म फ्लॉप हुई थी। 
किशोर साहू की फिल्मों में सावन
रेखा का फिल्म डेब्यू कराने वाली सावन भादों से २० साल पहले, किशोर साहू ने १९४९ में ओमप्रकाश, मुनव्वर सुल्ताना, राज अदीब और इंदु के साथ संगीतमय फिल्म सावन भादो का निर्माण किया था। इस फिल्म के बारे में ख़ास जानकारी नहीं मिलती है। इसी साल किशोर साहू ने एक पारिवारिक हास्य फिल्म सावन आया रे (१९४९) भी बनाई थी। इस फिल्म में माथुर परिवार अपनी तीन पुत्रियों के विवाह के लिए नैनीताल आता है. इस हास्य फिल्म में किशोर साहू, डेविड, मोहना, सोफिया, रमोला, रमेश गुप्ता, गुलाब, प्रतिमा देवी, अनंत परभू, आदि की भूमिकाये थी। 
महबूबा के टाइटल सॉन्ग पर फिल्म
१९९५ में, एक रोमांस फिल्म मेरे नैना सावन भादो के बनाए जाने का ज़िक्र मिलता है। राजेश खन्ना और हेमा मालिनी की १९७६ में प्रदर्शित फिल्म महबूबा के किशोर कुमार और लता मंगेशकर द्वारा अलग अलग गाये गीत पर आधारित फिल्म मेरे नैना सावन भादो में किरण कुमार, नैना, अलोक नाथ, टीनू आनंद और गोगा कपूर अभिनय कर रहे थे। इस फिल्म का बाकी का विवरण ढूँढने पर भी नहीं मिलता। 
अरुण गोविल की सावन फ़िल्में
रामानंद सागर के धार्मिक शो रामायण के राम से मशहूर एक्टर अरुण गोविल ने ग्रामीण रोमांस वाली संगीतमय फ़िल्में बहुत की। उन पर यह भूमिकाये फबती भी खूब थी। उनकी दो सावन फिल्मों में से एक निर्देशक कनक मिश्र की ग्रामीण पृष्ठभूमि पर एक गायक की कहानी पर फिल्म सावन को आने दो (१९७९) को बड़ी सफलता मिली थी।  इस फिल्म में अरुण गोविल, रीता बहादुरी और जानकीदास की प्रमुख भूमिका थी। अरुण गोविल की दूसरी फिल्म साधना सिंह और देबश्री रॉय की रोमांस ड्रामा फिल्म प्यार का सावन (१९९१) थी। इस फिल्म को भी अच्छी सफलता मिली थी. इन दोनों ही फिल्मों की खासियत फिल्म का संगीत था।
कभी रोमांस के लिए ज़रूरी था सावन 
हिंदी फिल्मो में रोमांस के लिए एक अदद बारिश गीत ज़रूरी हुआ करता था। चाहे वाह रोटी कपड़ा और मकान का हाय हाय यह मजबूरी हो या फिल्म नमक हलाल का आज रपट जाए। पर अब हिंदी फिल्मों के नायक और नायिका की कोई मज़बूरी नहीं रही कि उन्हें सेक्स अपील के लिए बारिश में रपटना पड़े। ज्यादा रोमांटिक दिखना है तो चुम्बन के बाद बिस्तर पर जाने की आज़ादी भी है। इसीलिए हिंदी फिल्मों को बारिश की ज़रुरत नहीं। ऐसे में हिंदी फिल्मों में सावन का क्या काम है !

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