हिंदी फिल्म उद्योग के प्रतिभाशाली अभिनेताओं में गुरु दत्त और संजीव
कुमार का नाम उल्लेखनीय हैं. अभिनय के लिहाज़ से इन दोनों का कोई जोड़ नहीं. सूक्ष्म
भावाभिनय तो इनके बाए हाथ का खेल था. यह प्रतिभाशाली दुर्भाग्य के नाम पर काफी
समानता रखते थे. दोनों ही अल्पायु थे. शराब में डूबे रहने वाले. शराब ने ही दोनों
की जान ली. संजीव कुमार जहाँ ४७ साल की उम्र में स्वर्गवासी हुए,
गुरुदत्त ने तो सिर्फ ३९ साल की उम्र में जान दे दी. दोनों की जन्म तिथि
समान थी. गुरुदत्त, ९ जुलाई १९२५ को जन्मे थे,
जबकि संजीव कुमार १३ साल बाद १९३८ में. दोनों ने ही एक ऎसी फिल्म में काम
किया, जिसे यह दोनों पूरा नहीं कर पाए. यह फिल्म
थी के आसिफ की लव एंड गॉड (मोहब्बत खुदा है). के आसिफ की फ़िल्में काफी लंबा समय
लेकर बनती थी. आसिफ ने लैला मजनू पर अपनी इस फिल्म मे लैला निम्मी के साथ कैस यानि
मजनू की भूमिका के लिए गुरुदत्त को लिया था. लेकिन, जब तक फिल्म
बनती बनती १० अक्टूबर १९६४ को गुरुदत्त का निधन हो गया. इसके बाद,
फिल्म में मजनू की भूमिका में संजीव कुमार को ले लिया गया. संजीव कुमार ने
काफी हद तक यह फिल्म शूट की. लेकिन ९ मार्च १९७१ को के आसिफ के निधन के बाद फिल्म
डब्बा बंद हो गई. पंद्रह साल बाद, के आसिफ की
विधवा ने इस फिल्म को केसी बोकाडिया की मदद से आधा अधुरा रिलीज़ किया. क्योंकि,
तब तक संजीव कुमार की भी ६ नवम्बर १९८५ को मृत्यु हो चुकी थी।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Thursday, 9 July 2020
एक जन्म-तिथि वाले संजीव कुमार और गुरुदत्त
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श्रद्धांजलि
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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