गुरुदत्त ने, जब फिल्म आर-पार (१९५४) में एक मज़दूरनी के रूप में कुमकुम को
गीत कभी आर कभी पार लागा तीरे नज़र फिल्माया था, उससे पहले कुमकुम शहनाई, हिप हिप
हुर्रे, आंसू, नूर महल, मिर्ज़ा ग़ालिब, मीनार और गवैया जैसी फिल्मों में संक्षिप्त
भूमिकाये कर चुकी थी. लेकिन, आर-पार के इकलौते गीत ने उन्हें बॉलीवुड की कुल ११५ फिल्मों
में काम करने का मौका दिया. लेकिन, यह कुमकुम की नृत्य प्रतिभा का भी तकाज़ा था कि
वह पहली झलक, मिस्टर एंड मिसेज ५५, हाउस नंबर ४४, सीआइडी, एक ही रास्ता, मदर
इंडिया, आदि जैसी बड़ी फिल्मों में अपने अभिनय और नृत्य प्रतिभा का प्रदर्शन कर
पाने में कामयाब हुई. उनकी नृत्य प्रतिभा का परिचय देने वाले गीतों में मधुबन में
राधिका नाची रे (कोहेनूर), दगा दगा वाई वाई (काली टोपी लाल रुमाल), ख़ास उल्लेखनीय
है. उन्होंने दिलीप कुमार (नया दौर, कोहेनूर), देव आनंद (सीआइडी, बारिश), किशोर कुमार
(मिस्टर एक्स इन बॉम्बे), शम्मी कपूर (उजाला), राजेंद्र कुमार (मदर इंडिया, गीत, घर
संसार), धर्मेन्द्र (दिल भी तेरा हम भी तेरे, आँखें, ललकार) संजीव कुमार (राजा और
रंक), विनोद खन्ना (धमकी) में अभिनय किया. उनकी १९७३ में तीन फ़िल्में धमकी, जलते
बदन और एक कुंवारी एक कुंवारा रिलीज़ हुई. इसके बाद, वह शादी कर अपने पति के साथ सऊदी अरब चली गई. २००४ में उनकी वापसी हुई और उन्होंने एक भोजपुरी मैगजीन भी निकाली. वह
पहली भोजपुरी फिल्म गंगा मैया तोहे पियरी चढैबो में सुजीत कुमार की नायिका थी. एक्टर
गोविंदा उनके भतीजे थे. क्योंकि, गोविंदा की माँ और कुमकुम सौतेली बहने थी. कुमकुम
के पिता ने उनके जन्म से पहले ही इस्लाम स्वीकार कर लिया था. जेबुन्निसा नाम से
जन्मी कुमकुम को श्रद्धांजलि.
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Tuesday 28 July 2020
नहीं रहीं गुजरे जमाने की फिल्मों की कुमकुम
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श्रद्धांजलि
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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