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वो देखो मुझसे रूठ कर मेरी जान जा रही है- साधना के लिए शम्मी कपूर |
हिंदी और दक्षिण की चारों भाषाओँ में फिल्म बनाने वाले के शंकर के हिंदी फिल्म करीयर के शुरुआत लड़की के बतौर एडिटर हुई थी। उनकी बतौर निर्देशक पहली फिल्म झूला थी। सुनील दत्त, वैजयंतीमाला और प्राण अभिनीत झूला हिट हुई। गुरुदत्त के साथ भरोसा बनाने के बाद उन्होंने महल के षडयंत्र वाली फिल्म राजकुमार बनाई। अभी तक श्वेत श्याम फ़िल्में बना रहे शंकर की यह पहली रंगीन हिंदी फिल्म थी। इस फिल्म में शम्मी कपूर और साधना की रोमांटिक जोड़ी थी। शम्मी कपूर के पिता पृथ्वीराज कपूर ने उनका पिता महाराजा का किरदार किया था। प्राण फिल्म के विलेन थे। ओमप्रकाश और राजेंद्र नाथ कॉमेडी का तड़का लगा रहे थे। फिल्म की खासियत थी इसका हिट संगीत। संगीतकार जोड़ी शंकर-जयकिशन ने फिल्म के लिए सात उम्दा गीत गढ़े थे। आजा आई बहार, तुमने पुकारा और हम चले आये, नाच रे मन बदकम्मा, दिलरुबा दिल पे तू, तुमने किसी की जान को जाते हुए देखा है, इस रंग बदलती दुनिया में और हम हैं राजकुमार जैसे गीत बच्चे बच्चे की जुबान पर थे। इस चित्र में राजकुमार शम्मी कपूर (मोहम्मद रफ़ी की आवाज़) राजकुमारी साधना के लिए तुमने किसी की जान को जाते हुए देखा है, देखो वो मुझसे रूठ कर मेरी जान जा रही है। यह रोमांस से भरे हसरत जयपुरी के लिखे बोलों वाले गीत, मोहम्मद रफ़ी की सोज़ से भरी आवाज़, शम्मी कपूर का रोमांटिक अंदाज़, साधना की शोखियाँ दर्शकों की जान निकालने के लिए काफी थी।
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