नंदिता दास जैसे फिल्मकार खुद को खुदा की देन समझते हैं। कोई और न सही, कम से कम नंदिता दास तो यही समझती होंगी। अन्यथा वह ७ साल पहले मर चुके सआदत हसन मंटो को डीजल ट्रैन पर चढ़ता नहीं दिखाती। फिल्म मंटो के नगरी नगरी गीत के वीडियो को देखिये। ऎसी दुर्दशा है इन बॉलीवुड के
बुद्धिजीवियों की। मंटो फिल्म में नंदिता दास ने डीजल ट्रेन चलती दिखा दी है। पहली
डीजल ट्रेन १९६२ में चली थी, जबकि बेचारे मंटो १८ जनवरी १९५५ को ही
जन्नतनशीं हो गए थे। या अल्लाह! मंटो देखते समय मंटो की आत्मा डीजल इंजन की आवाज़
से काँप रही होगी।
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