पृथ्वीराज कपूर के पुत्रों में आखिरी पुत्र शशि कपूर नहीं रहे। लम्बी बीमारी के बाद इस थिएटर हस्ती और फिल्मों के रोमांटिक हीरो का देहांत हो गया। २०१४ में उन्हें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार मिला था। उसे लेने दिल्ली आये तो उन्हें देख कर उनकी हँसते खिलखिलाते परदे पर रोमांस करते शशि कपूर का चेहरा याद आ गया। कितने कमज़ोर हो गए थे वह। बड़ी मुश्किल ले मीडिया को हाथ जोड़ा उन्होंने। चेहरे पर मुस्कान तक नदारद थी। आखिर बिमारी की वजह से ही तो वह १९९१ से ही वह फिल्मों से दूर हो गये थे। उनकी पुलिस कमिश्नर की भूमिका वाली फिल्म अकेला १९९१ में ही रिलीज़ हुई थी। इसके बाद से उन्होंने छिटपुट इंग्लिश फ़िल्में ज़रूर की। लेकिन, हिंदी फिल्मों में शायद उनके लिए कुछ बचा नहीं था।
लेकिन, वह थिएटर के प्रति समर्पित थे। शशि कपूर के थिएटर और अभिनय कला के प्रति समर्पण का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्हें आज भी, बीमारी के बावजूद अपनी बेटी संजना के साथ या उसके बिना मुंबई में पृथ्वी थिएटर के बाहर व्हील चेयर पर बैठे देखा जाता था । शशि कपूर अपने पिता पृथ्वीराज कपूर के घुमक्कड़ थिएटर के साथ साथ शहर शहर नाटकों मे हिस्सा लिया करते थे। उन्होंने चार साल की उम्र से थिएटर में काम करना शुरू कर दिया था। उन्होंने, बड़े भाई राजकपूर की फिल्म आग में उनके बचपन का किरदार करके फिल्म डेब्यू किया था। आवारा के प्यार हुआ इकरार हुआ गीत में बरसाती ओढ़े फुटपाथ पर जा रहे तीन बच्चों में एक शशि कपूर भी थे। १९६१ में नंदा के साथ फिल्म चार दिवारी से अपने रोमांटिक करियर की शुरुआत की। हालाँकि, चार दिवारी असफल रही, लेकिन शशि कपूर का सिक्का जम गया। हालाँकि, शशि कपूर हिंदी फिल्मों के रोमांटिक चहरे थे। लेकिन, उन्होंने मल्टी- स्टारर फिल्मों में काम करने से परहेज नहीं किया। जबकि, उस समय भी उनकी सोलो हीरो फ़िल्में हिट हो रही थीं। वह जहाँ एक ओर फकीरा, चोरी मेरा काम, सलाखें, पाप और पुण्य जैसी सोलो हीरो फिल्म करते रहे, वही रोटी कपड़ा और मकान, क्रांति, कभी कभी, दीवार, त्रिशूल, हीरालाल पन्नालाल, आदि मल्टी हीरो फ़िल्में भी की। उन्होंने १७५ फिल्मों में अभिनय किया। उन्होंने १२ अंग्रेजी फिल्मे भी की । सत्तर के दशक में शशि कपूर को टैक्सी हीरो कहा जाता था। क्योंकि, वह एक ही दिन में चार चार पांच पांच शिफ्टों में काम किया करते थे। उन्हें मुंबई में एक स्टूडियो से दूसरे स्टूडियो भागते देखा जाता था। उनकी ६१ सोलो हीरो फिल्मों में ३३ सुपर हिट हुई थी। शशि कपूर अपने समय के सबसे ज़्याइदा फीस पाने वाले अभिनेता थे। १९७५ में रिलीज़ अमिताभ बच्चन के साथ की फिल्म दीवार में इन दोनों के बीच टकराव के संवादों में शशि कपूर का 'मेरे पास माँ है' संवाद अमर हो चूका है। फिल्म द डेसिवर्स में उन्होंने हॉलीवुड फिल्मों के जेम्स बांड पियर्स ब्रासनन के साथ अभिनय किया। फिल्मों में कास्टिंग काउच को लेकर उनके विचार बड़े खुले हुए थे। उन्होंने एक बार कहा कि उनके धर्मेंद्र और संजय खान को सीनियर एक्ट्रेस के कास्टिंग काउच का शिकार होना पड़ा। वह नंदा का शुक्रिया अदा करते थे कि नंदा ने कभी भी उनसे इस प्रकार की बात नहीं की।
शशि कपूर फिल्मों में सफलता के बावजूद थिएटर को महत्त्व दिया करते थे। पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने ही पृथ्वी थिएटर की प्रमुखता के साथ देखभाल की। उन्होंने १९५६ में एक ब्रितानी एक्टर ज्यॉफ्री केंडल के साथ ट्रवेल थिएटर 'शकेस्पीयराना' की स्थापना की। इसी थिएटर के कारण वह 'द टेम्पेस्ट' की नायिका जेनिफर से मिले। जल्द ही दोनों ने शादी कर ली। शशि कपूर ने अपने परिवार की परम्परा के विपरीत कभी भी जेनिफर से अभिनय छोड़ने के लिए नहीं कहा। वह पहले भारतीय एक्टर थे, जिसने इंटरनेशनल फिल्मों में काम किया। सिद्धार्थ फिल्म में सिमी गरेवाल के साथ उनके इंटिमेट सीन ने फिल्म को चर्चित कर दिया। उन्होंने भारत सोवियत सहयोग से बनी फंतासी फिल्म अजूबा का निर्देशन भी किया। उन्हें १९७५ में फिल्म दीवार के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का पुरस्कार मिला।
शशि कपूर में अच्छी फिल्मों के निर्माण का जूनून था। उन्होंने जूनून, कलयुग, ३६ चौरिंघी लेन, विजेता, उत्सव और अजूबा बनाई। जूनून और कलयुग के प्रोडूसर के रूप में भी उन्होंने यह पुरस्कार जीता। फिल्म जूनून से नफीसा अली का बतौर एक्ट्रेस डेब्यू हुआ था। मृच्छकटिकम नाटक पर आधारित उनकी फिल्म उत्सव क्लासिक फिल्मों में शुमार की जाती है। उन्हें २०११ में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। वह दादासाहेब फालके अवार्ड पाने वाले तीसरे कपूर थे। उनसे पहले उनके पिता पृथ्वीराज कपूर और बड़े भाई राजकपूर को भी यह पुरस्कार मिला था।
शशि कपूर का पूरा नाम बलबीर राज कपूर था। वह १८ मार्च १९३८ को ब्रितानी भारत के कलकत्ता में पैदा हुए थे। शशि कपूर के तीन बच्चे थे। करण कपूर ने कुछ फ़िल्में की। लेकिन, असफल रहे। वह आजकल एड फिल्म बनाते हैं। संजना कपूर शशि कपूर के साथ पृथ्वी थिएटर की देखभाल करती हैं। कुणाल कपूर फोटोग्राफर हैं।
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