पार,
पतंग,
गुड़िया और यात्रा जैसी बेहतरीन हिंदी फ़िल्में बनाने वाले गौतम घोष की १३ साल बाद हिंदी फिल्मों में वापसी हो रही है। या
कहिये कि उनकी वापसी हो चुकी हैं।
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उन्होंने निर्माता अमित अग्रवाल की फिल्म वन डे इन द रेन्स की शूटिंग सिर्फ
२० दिनों में पूरी भी कर ली है। यह फिल्म
गौतम घोष की लघु कथा पर आधारित है।
इस
फिल्म में बारिश का महत्त्व है। इसलिए, नकली बारिश
के बजाय, देश में हो
रही बारिश के स्वभाविक स्वरुप को फिल्माना ठीक लगा। इसीलिए, आनन फानन में प्रोजेक्ट पर काम शुरू हुआ।
संयोग देखिये कि आदिल हुसैन, तिलोत्तमा शोम, नीरज कबि और ओंकारदास मानिकपुरी जैसे
सितारों की तारीखे भी मिल गई।
फिल्म को
बारिश के दौरान ही २० दिनों में शूट भी कर लिया गया।
कहते हैं गौतम घोष, "हम लोग
इंडो-इटैलियन सहयोग से एक अंतर्राष्ट्रीय फिल्म का निर्माण करने जा रहे थे। वह प्रोजेक्ट उस समय फाइनल नहीं हो पाया।
मेरे पास अपनी लघु कथा पर स्क्रिप्ट लिखी हुई
रखी थी। मैं इसे मानसून के दौरान फिल्माना
चाहता था।
मैंने यह बात अमित को तीस दिनों
के अंदर सारा प्रबंध कर दिया।
हमारे
शानदार एक्टरों और क्षमतावान तकनीशियन के कारण फिल्म २० दिनों में ही पूरी हो गई।"
गौतम घोष ने कई
राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीत रखे हैं।
उनकी हिंदी फिल्मों दखल, पार, पतंग और
गुड़िया को श्रेष्ठ फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला है।
वह फिल्म अबार अरण्ये, पद्मा नदीर
माझी और पार के लिए श्रेष्ठ डायरेक्टर का पुरस्कार भी जीत चुके हैं।
उनकी बंगला भाषा की फिल्मों ने भी राष्ट्रीय
पुरस्कार बटोरे हैं। उनकी आखिरी हिंदी
फिल्म यात्रा रेखा,
नाना पाटेकर और दीप्ति नवल के साथ २००६ में रिलीज़ हुई थी।
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