१४ दिसंबर की सुबह ४ बजे लाखों-करोड़ों फिल्म प्रेमियों को अपने संवादों और अभिनय से हँसा हँसा कर लोटपोट कर देने वाली आत्मा सदा के लिए शरीर से मुक्त हो गई। २२ जनवरी १९६३ को भुज के गुजराती परिवार में जन्मे नीरज वोरा के पिता क्लासिकल संगीत के ज्ञाता था। तार-शहनाई को लोकप्रिय बनाने वाले। इस लिहाज़ से परिवार का बॉलीवुड कनेक्शन नहीं था। लेकिन, माँ को फिल्मों से बेहद लगाव था। वह नन्हे नीरज को लेकर चुपचाप फिल्म देखने निकल पड़ती। इसी समय नीरज को फिल्मों का शौक लगा। स्कूल के दिनों में वाद्य यन्त्र पर बॉलीवुड गीत गाया करते थे। पिता के संगीत से बॉम्बे का गुजराती समुदाय प्रभावित था। इनमे काफी गुजराती नाटककार थे। इन्ही की प्रेरणा से गुजराती नाटक करने लगे। कॉलेज के दौर में ही, १९८४ में, नीरज को केतन मेहता की फिल्म होली में अभिनय का पहला मौका मिला। उसी साल उन्होंने टीवी सीरियल छोटी छोटी बातें में भी काम किया। पहला नशा से वह फिल्म लेखन में आ गए। नीरज वोरा ने फिल्म रंगीला की स्क्रिप्ट लिखी थी। इस फिल्म के आखिरी शिड्यूल के दौरान एक एक्टर गायब मिला। इस पर रामगोपाल वर्मा ने नीरज वोरा को उसकी जगह दे दी। इस प्रकार से नीरज वोरा का एक्टिंग करियर सरपट दौड़ने लगा। वह रामगोपाल वर्मा की फिल्म के लिए ज़रूरी हो गए। अनिल कपूर और प्रियदर्शन ने रंगीला में नीरज को देख कर अपनी फिल्म विरासत में ले लिया। नीरज वोरा को पहली फिल्म डायरेक्ट करने का मौका मिला फिल्म निर्माता केशु रामसे की २००० में रिलीज़ अक्षय कुमार की फिल्म खिलाडी ४२० से। उन्होंने फिर हेरा फेरी और शॉर्टकट द कॉन इज ऑन भी निर्देशित की। नीरज वोरा ने कुल पांच फिल्मों का निर्देशन किया। उन्होंने तीस के करीब फिल्मों में अभिनय किया। टीवी सीरीज भी की। उन्हें ३० फिल्मों के संवाद, पटकथा और कहानियां लिखी । बतौर अभिनेता, वह अनीस बज़्मी निर्देशित फिल्म वेलकम बैक (२०१५) में बाशा भाई की भूमिका में दिखाई दिए। लगभग एक साल पहले उन्हें ज़बरदस्त दिल का दौरा पड़ा। इसके फलस्वरूप उनके दिमाग में प्रभाव पड़ा और वह कोमा में चले गए। पिछले एक साल से वह कोमा में थे। उनके मित्र फिल्मकार फ़िरोज़ नाडियाडवाला उन्हें दिल्ली से मुंबई ले गए। उन्होंने अपने घर में ही आईसीयू बना कर नीरज वोरा का ईलाज करवाना शुरू कर दिया था। हमेशा अपनी फिल्मों और निजी बातों से लोगों को हंसाते रहने वाले नीरज शायद लम्बे समय तक खामोश रहते रहते ऊब गए थे। आज सुबह उन्होंने दुनिया से विदा ले ली। उन्हें श्रद्धांजलि।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Thursday, 14 December 2017
चला गया लोगों को हंसाने वाला हँसता चेहरा नीरज वोरा
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श्रद्धांजलि
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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