अक्षय कुमार की हॉरर कॉमेडी फिल्म लक्ष्मी बॉम्ब, अगर दीवाली
वीकेंड पर रिलीज़ होती तो दिवाली की लक्ष्मी पूजा के लिहाज़ से उपयुक्त साबित होती। क्योंकि, फिल्म के टाइटल में लक्ष्मी भी है और दिवाली मनाने के लिए फोड़े जाने वाले बम भी। लेकिन,
अक्षय कुमार की यह फिल्म सलमान खान की संभावित फिल्म राधे : मोस्ट वांटेड
कॉप को चुनौती देने के लिए ईद वीकेंड पर रिलीज़ हो रही है। इस लिहाज़ से, अक्षय कुमार
हॉरर कॉमेडी के ज़रिये,
न तो लक्ष्मी पूजा करेंगे, न हॉरर के बॉम्ब फोड़ेंगे । मगर, वह राजकुमार
राव के साथ कॉमेडी के बम ज़रूर फोड़ेंगे।
उनकी पुनर्जन्म पर कॉमेडी फिल्म हाउसफुल ४ और राजकुमार राव की कॉमेडी
ड्रामा फिल्म मेड इन चाइना धनतेरस पर रिलीज़ हो चुकी होगी। इस फिल्म
में अक्षय कुमार की नायिका पूजा हेगड़े हैं । ट्रेड पंडित उम्मीद कर रहे है कि सफल हाउसफुल फ्रैंचाइज़ी की चौथी फिल्म
बॉक्स ऑफिस पर धन वर्षा करवा देगी।
गीतों तक सीमित दीवाली
आजकल,
हिंदी फिल्मों में दीवाली की कल्पना नहीं
की जा सकती। क्योंकि, हिंदी फिल्मों का कथानक अब काफी बदला हुआ है।
पारिवारिक फ़िल्में अब बहुत कम बनती हैं। जो बनती हैं, उनकी समस्या
काफी अलग होती है। इनमे दीवाली मनाने की कोई गुंजाईश नहीं होती। इसके बावजूद कुछ ऎसी फ़िल्में भी हैं, जिनमे
दिवाली एक गीत तक सीमित नज़र आती है। हालाँकि, करण जौहर और आदित्य चोपड़ा ने हिंदी फिल्मों
को आधुनिक जामा पहनाया है। लेकिन, इनकी फिल्मों में दीवाली का कोई न कोई दृश्य ज़रूर
देखने को मिलता है। सलमान खान की फिल्म
प्रेम रतन धन पायो का जलते दिए गीत, शाहरुख़ खान की फिल्म ओम शांति ओम के धूम तनतना
गीत में भी दिवाली के दृश्य देखने को मिलते हैं।
निर्देशक करण की फिल्म कभी ख़ुशी कभी गम के बोले चूड़ियां और कल हो न हो के
माही वे तथा आदित्य चोपड़ा की फिल्म मोहब्बतें के पैरों में बंधन है में दीवाली का
त्यौहार मनाया जाता नज़र आता है। इसी प्रकार से
संजय लीला भंसाली की फिल्म देवदास
के डोला रे डोला और हम दिल दे चुके सनम के ढोल बाजे में भी दीवाली मनाने के दृश्य
हैं।
दिवाली से भावनाओं का पैगाम
पुराने जमाने की फिल्मों में दिवाली के ज़रिये भावनाओं की अभिव्यक्ति की
जाती थी। गीत के बोल, संगीत, शामिल
चरित्र और फिल्म की कहानी इन भावनाओं को गीतों के माध्यम से जीवंत कर देती
थी। सन्देश दर्शकों तक सीधा पहुंचता
था। एक ही सिनेमाघर में सबसे लम्बे समय तक
चलती रहने का कीर्तिमान स्थापित करने वाली अशोक कुमार की किस्मत (१९४३) में घर घर में दिवाली है, मेरे घर में
अँधेरा गीत से एक चरित्र ही नहीं, आम जनता की
दुर्दशा का चित्रण होता था। स्टेज पर गा
रही मुमताज़ शांति के इस गीत से सामने बैठे दर्शक भी जुड़ाव मासूस कर रहे थे। पैगाम (१९५९) के कैसे मनाये दिवाली गीत में
मज़दूर वर्ग के आर्थिक अभाव के कारण दिवाली न मना सकने का दुःख व्यक्त होता
था। चेतन आनंद ने युद्ध फिल्म हकीकत में
दिवाली गीत आई अबकी साल दीवाली से सीमा पर दुश्मनों का मुकाबला कर रहे जवान की
पत्नी और परिवार के दुखों का चित्रण किया था।
इसी प्रकार से,
पैसा फिल्म के दिवाली आई है, नज़राना के एक वह भी दीवाली थी, स्टेज के
जगमगाती दिवाली की रात,
रतन के आई दिवाली आई दिवाली, ख़ज़ांची के आई दिवाली आई कैसे उजाले लाई, अमर कहानी के दिवाली की रात पिया घर आने
वाले है, जुगनू के
दीप दिवाली के झूठे,
आदि तमाम फिल्मी गीतों से फिल्म के मुख्य कलाकारों की गम और ख़ुशी भरी
भावनाओं का चित्रण किया जाता था।
दिवाली,
घटना और दुर्घटना
दिवाली खुशियों का त्यौहार है।
इसमें रोशनी भी है और पीछे छुपा हुआ अँधेरा भी। बॉलीवुड की दिवाली में भी
इसी का चित्रण देखा जा सकता है। फिल्म
चिराग में आशा पारेख के किरदार की आँखें दिवाली मनाते हुए ज़ख़्मी हो जाती हैं। कमल हासन की फिल्म चाची ४२० में कमल हासन की
बच्ची दिवाली मनाते हुए जल जाती है। फिल्म अनुराग में, बाल चरित्र
की आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए पूरा मोहल्ला दिवाली मनाने इकठ्ठा हो जाता
है। कुछ ऐसा ही, फिल्म आमदनी
अठन्नी खर्चा रुपैया में भी दिखाया गया है, जहाँ पूरा पड़ोस दिवाली की खुशियां इकठ्ठा
मनाता है । आदित्य चोपड़ा की फिल्म
मोहब्बतें की तीन युवा किरदार दिवाली मनाते हुए ही अपने प्रेम का इज़हार करते हैं। जहाँ, फिल्म जो जीता वही सिकंदर में मार्मिक का
किरदार दिवाली के दिन अपने प्रेम की अभिव्यक्ति करता है, वही मुझे कुछ कहना है में तुषार कपूर को फुलझड़ी
जलाती करीना कपूर से प्रेम हो जाता है।
फिल्म तारे ज़मीन पर और वास्तव में दिवाली दुखों का सैलाब लाने वाली साबित होती थी। वास्तव में, रघु (संजय दत्त) दिवाली के दिन अपने घर वापस
आता है। लेकिन,
माँ एक डॉन को अपने घर घुसने नहीं देती। तारे ज़मीन पर का मंदबुद्धि दर्शील
को दिवाली के दूसरे दिन माँ से बिछुड़ कर हॉस्टल रवाना होना है।
फिल्मों के टाइटल में दिवाली
दिवाली के त्यौहार का प्रभाव फिल्मों के टाइटल में भी नज़र आता है। दिवाली
टाइटल के साथ कुछ हिंदी फिल्मों में दीपक
आशा की फिल्म दिवाली की रात (१९५६), गजानन जागीरदार की फिल्म घर घर मे दिवाली
(१९५५), जयंत देसाई
की फिल्म दिवाली (१९४०),
आदि टाइटल के साथ बनी फ़िल्में
उल्लेखनीय हैं। दक्षिण की कुछ फ़िल्में भी
दिवाली या दीपावली टाइटल के साथ बनी। तमिल
फिल्म दीपावली (२००७),
तेलुगु फिल्म दीपावली (२००८) कन्नड़ फिल्म मर्यादा दीपावली (१९७२), एनटीआर की
तेलुगु फिल्म दीपावली (१९६०) ऎसी ही कुछ फ़िल्में हैं। एक इंग्लिश दिवाली (२००५) भी बनाई गई। पंजाबी भाषा में भी दिवाली फिल्म का निर्माण
हुआ। २००१ में अमिताभ बच्चन अपनी फिल्म
निर्माण कंपनी एबीसीएल कॉर्प के अन्तर्गत हैप्पी दिवाली टाइटल के साथ एक फिल्म
आमिर खान और रानी मुख़र्जी को लेकर बनाना चाहते थे। लेकिन, फिर इसे ठन्डे बस्ते में डाल दिया गया।
लक्ष्मी नाम की महिमा !
अब दिवाली की बात चली है तो कुछ लक्ष्मी की बात भी हो जाए। एक गिनती के अनुसार भारत की फिल्म इंडस्ट्री
में १७ लक्ष्मी नाम वाली हस्तियां हैं।
इनमे बॉलीवुड दर्शकों की परिचित में कुछ लक्ष्मियाँ भी हैं। मसलन, जूली (१९७५) की लक्ष्मी और जूली २ (२०१७) की
लक्ष्मी राय। लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल जोड़ी
के लक्ष्मीकांत शांताराम कुंडालकर को कौन
भूल सकता है। हम आपके हैं कौन में, सलमान खान
और माधुरी दीक्षित के चरित्रों के बीच के रोमांस के क्यूपिड लक्ष्मीकांत बेर्डे ही
थे। पुराने जमाने की एक डांसर लक्ष्मी
छाया पाने नृत्य और सह भूमिकाओं में काफी मशहूर थी। उनके नाम पर, फिल्म दुनिया का एक गीत तू ही मेरी लक्ष्मी
तू ही मेरी छाया , शंकर जयकिशन
ने कंपोज़ किया था। मोहम्मद रफ़ी की आवाज़ में इस गीत को लक्ष्मी छाया और जोहनी वॉकर पर फिल्माया गया था।
खूबसूरत मॉडल एक्ट्रेस राजलक्ष्मी ने सिर्फ एक फिल्म अशोका द ग्रेट में एक गीत आ
तैयार हो जा में काम किया। उन्होंने
अभिनेता राहुल रॉय के साथ शादी कर फिल्मों को हमेसा के लिए अलविदा कह दिया। एक फिल्मों तक सीमित रहने वाली लक्ष्मियों में
लक्ष्मी (फिल्म परिस्तान १९४४), लक्ष्मी (फिल्म काम-क्रिया २००३), लक्ष्मी
(फिल्म वेलकम टू सज्जनपुर २००८), लक्ष्मी (फिल्म भोसले २०१८) के नाम उल्लेखनीय
हैं। विजय लक्ष्मी नाम की एक एक्ट्रेस ने
करीब ४६ फिल्मों में अभिनय किया। दक्षिण
की फिल्मों के मशहूर एक्ट्रेस एल विजयलक्ष्मी को महमूद के साथ फिल्म शबनम की दोहरी
भूमिका में देखा गया। इन्होने संजीव कुमार के साथ होमी वाडिया की फिल्म
अलीबाबा और ४० थीव्स तथा नरेश कुमार की फिल्म हुस्न और इश्क़ में भी अभिनय
किया। हृथिक रोशन की फिल्म सुपर ३० की
३० छात्रों में से एक बिंदिया की भूमिका
लक्ष्मी राजपूत ने की है । फिल्मों की
लक्ष्मी नाम की महिमा यहीं ख़त्म नहीं होती। लेकिन, लेख के शब्दों की एक सीमा होती है। इसलिए बस
इतना ही लक्ष्मी परिचय !
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