मुहम्मद पर, ईरान द्वारा निवेशित और ईरानी निर्देशक
माजिद मजीदी की फिल्म मुहम्मद द मैसेंजर ऑफ़ गॉड के भारत में रिलीज़ की खबरों ने ट्विटर
पर ख़ास तौर पर तूफ़ान मचा दिया है. ट्विटर पर #BoycottMovieOfProphet ट्रेंड कर
रहा है. खबर है कि इस फिल्म को डॉन सिनेमा द्वारा प्रदर्शित किया जाना है. हालाँकि,
मुहम्मद द मैसेंजर ऑफ़ गॉड ईरानी सरकार द्वारा निवेशित और ईरानी निर्देशक द्वारा २०१५
मे बनाई गई फिल्म है. यह फिल्म २०१५ में नहीं दिखाई जा सकी थी. इस फिल्म में
मुहम्मद साहब के जन्म से यात्रा का विवरण दिया गया है. फिल्म में मुहम्मद साहब का
किरदार तो है. लेकिन, उसकी शक्ल नज़र नहीं आती. उन्हें लोंग शॉट में या पीछे से बड़े
बालों और दाढ़ी के साथ दिखाया जाता है. मुहम्मद साहब के चरित्र को संवाद भी बहुत कम
दिए गए हैं, जो बुदबुदाने जैसे लगते हैं. तीन घंटे लम्बी इस फिल्म को बनाने में
सात साल का समय लगा है. इस फिल्म को ऑस्कर में भी भेजा गया था. इस फिल्म ने ईरान
में बॉक्स ऑफिस के तमाम रिकॉर्ड तोड़ दिए थे. जानकार बताते हैं कि इस लिहाज़ से १९७६
में प्रदर्शित मुस्फ्ता अक्काद की फिल्म द मेसेज में मुहम्मद साहब के चरित्र को
काफी साफ़ साफ दिखा गया था. इस फिल्म में संगीत देने के लिए भारतीय संगीतकार एआर
रहमान की कड़ी आलोचना हुई थी. भारत में मुल्लों ने फिल्म के खिलाफ फतवा जारी किया
है.
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Sunday, 5 July 2020
भारत में मुहम्मद द मैसेंजर ऑफ़ गॉड पर उफान !
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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